18 सितम्बर 2017
ग़ौर से देखो गुलशन में बयाबान का साया है ,ज़ाहिर-सी बात है आज फ़ज़ा ने जताया है। इक दिन मदहोश हवाऐं कानों में कहती गुज़र गयीं, उम्मीद-ओ-ख़्वाब का दिया हमने ही बुझाया है। आपने अपना खाता नम्बर विश्वास में किसी को बताया है,