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खयाली पुलाव

29 जनवरी 2022

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एक दिन सुबह-सुबह मियां शेख चिल्ली बाज़ार पहुँच गए। बाज़ार से उन्होने अंडे खरीदे और उन अंडों को एक टोकरी नें भर कर अपने सिर पर रख लिया, फिर वह घर की ओर जाने लगे। घर जाते-जाते उन्हे खयाल आया कि अगर इन अंडों से बच्चे निकलें तो मेरे पास ढेर सारी मुर्गियाँ होंगी। वह सब मुर्गियाँ ढेर सारे अंडे देंगी। उन अंडों को बाज़ार में बेच कर मैं धनवान बन जाऊंगा। अमीर बन जाने के बाद मै एक नौकर रखूँगा जो मेरे लिए खरीदारी करेगा। उसके बाद मैं अपनें लिए एक महल जैसा आलीशान घर बनवाऊंगा। उस बड़े से घर में हर प्रकार की भव्य सुख-सुविधा होगी।
भोजन करने के लिए, आराम करने के लिए और बैठने के लिए उसमें अलग-अलग कमरे होंगे। घर सजा लेने के बाद मैं एक गुणवान, रूपवान और धनवान लड़की से शादी करूंगा। अपनी पत्नी के लिए भी एक नौकर रखूँगा और उसके लिए अच्छे-अच्छे कपड़े, गहने वगैरह ख़रीदूँगा। शादी के बाद मेरे 5-6 बच्चे होंगे, बच्चों को मैं खूब लाड़ प्यार से बड़ा करूंगा। और फिर उनके बड़े हो जाने के बाद उनकी शादी करवा दूंगा। फिर उनके बच्चे होंगे। फिर मैं अपने पोतों के साथ खुशी-खुशी खेलूँगा।
मियां शेख चिल्ली अपने ख़यालों में लहराते सोचते चले जा रहे थे तभी उनके पैर पर ठोकर लगी और सिर पर रखी हुई अंडों की टोकरी धड़ाम से ज़मीन पर आ गिरी। अंडों की टोकरी ज़मीन पर गिरते ही सारे अंडे फूट कर बरबाद हो गए। अंडों के फूटने के साथ साथ मियां शेख चिल्ली के खयाली पुलाव जैसे सपनें भी टूट कर चूर-चूर हो गए।
 

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रचनाएँ
शेखचिल्ली
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एक बार मियां शेख चिल्ली अपने मित्र के साथ जंगल में लकड़ियाँ कांटने गए। एक बड़ा सा पेड़ देख कर वह दोनों दोस्त उस पर लकड़ियाँ काटने के लिए चढ़ गए। मियां शेख चिल्ली अब लकड़ियाँ काटते-काटते लगे अपनी सोच के घोड़े दौड़ने। उन्होने सोचा कि मै इस जंगल से ढेर सारी लकड़ियाँ काटूँगा।
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कैसे नाम पड़ा शेखचिल्ली

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बुखार का इलाज

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शेखचिल्ली अपने घर के बरामदे में बैठे-बैठे खुली आँखों से सपने देख रहे थे। उनके सपनों में एक विशालकाय पतंग उड़ी जा रही और शेखचिल्ली उसके ऊपर सवार थे। कितना आनंद आ रहा था आसमान में उड़ते हुए नीचे देखने में

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शेखचिल्ली और कुएं की परियां

29 जनवरी 2022
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एक गांव में एक सुस्त और कामचोर आदमी रहता था। काम - धाम तो वह कोई करता न था, हां बातें बनाने में बड़ा माहिर था। इसलिए लोग उसे शेखचिल्ली कहकर पुकारते थे। शेखचिल्ली के घर की हालत इतनी खराब थी कि महीने मे

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सबसे झूठा कौन

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झज्जर के नवाब युद्ध लड़ने के लिए कई महीनों से बाहर गए थे। उनकी अनुपस्थिति में उनके छोटे भाई - छोटे नवाब ही राज-पाट का सारा काम संभालते थे। नवाब साहब धीरे- धीरे करके शेख चिल्ली को चाहने लगे थे। उन्हें

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सड़क यहीं रहती है

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एक दिन शेखचिल्ली कुछ लड़कों के साथ, अपने कस्बे के बाहर एक पुलिया पर बैठा था। तभी एक सज्जन शहर से आए और लड़कों से पूछने लगे, "क्यों भाई, शेख साहब के घर को कौन-सी सड़क गई है ?" शेखचिल्ली के पिता को सब

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शेखचिल्ली की खीर

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शेखचिल्ली पूरा बेवक़ूफ़ था और हमेशा बेवकूफी भरी बातें ही करता था। शेख चिल्ली की माँ उसकी बेवकूफी भरी बातों से बहुत परेशान रहती थी। एक बार शेखचिल्ली ने अपनी माँ से पूछा कि माँ लोग मरते कैसे हैं? अब माँ

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शेख चिल्ली का भाग्य जागा! झज्जर के नवाब ने शेख चिल्ली को नौकरी पर रख लिया था। शेख चिल्ली अब समाज का एक गणमान्य व्यक्ति था। एक दिन नवाब साहब शिकार के लिए जा रहे थे। शेख चिल्ली ने भी साथ आने की विनती क

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