बालक या किशोर (Juvenile) समाज के लिए एक भविष्य निधि हैं जिनके व्यक्तित्व का विकास कर एक अच्छे नागरिक, समाज, राष्ट्र तथा विश्व का निर्माण हो सकता है। बाल व्यक्तित्व के इन्हीं दृष्टिकोण पर आधृत ‘संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार कन्वेंशन’ (UNCRC) पर भारत ने वर्ष 1992 में हस्ताक्षर किए थे