कृष्ण की कल्पना "मुझे जिसकी तलाश हैवो मुझसे दूर है या कही आसपास हैकब से उसका इंतजार है मुझेकभी लगता पूरी हो गयी है कभी लगता अधूरी अभी तलाश है तन्हाई में अक्सर यही सोचता हूँआखिर वो कैसी होगी क्या मेरी कल्पना के जैसी होगीवो होगी सूरज के उजाले की तरहया होगी चांदनी रात की तरहस