क्षमा बडन को चाहिए
बात तकरीबन 18 साल पहले की है शादी के 2 महीने ही हुए होंगे मैं रसोई में खाना बना रही थी।
उस दिन अमावस्या थी पूर्वजों को भोग लगाना था। बस रोटी बनानी थी कि पतिदेव रसोई में आ गए और खाना परोसने को कहा।
नई-नई शादी हुई थी और कम उम्र होने की वजह से मुझे ज्यादा ज्ञान भी नहीं था सो मैंने पतिदेव को खाना परोस दिया।
तभी मेरी जिठानी जी रसोई में आई तो वह बोली अरे अभी तो पूर्वजों को भोग लगाना था तुम्हें याद नहीं रहा।
सुनकर में एकदम स्तब्ध रह गई मैं इतना डर गई कि अब क्या होगा। सासू मां बाहर ही बैठी थी और ससुर जी भी वही थे जेठानी जी ने कहा तुम ही सासू मां से पूछो क्या करे।
मैं डरते हुए सासू मां के पास गई और सब बताया लगा कि अब बहुत सुनना पड़ेगा वह भी ससुर जी के सामने मैंने धीरे से सासु जी को सब बात बताया।
तभी मेरे कानों में सासू मां की प्यार भरी आवाज आई कोई बात नहीं बेटा गलती हो जाती है। रसोई साफ करके फिर से दो रोटी बना लो और भोग लगा दो सुनकर मेरी आंखों में आंसू आ गए कि सासू मां हमेशा बुरी ही नहीं होती है।
उनकी एक माफी ने हमारा रिश्ता प्यार से भर दिया और और इस प्यार ने हमें मां बेटी बना दिया। यह बात मुझे ममता जी विश्वकर्मा ने अपनी जुबानी कही....उन्ही के भावों को मैंने अपने शब्दों की अभिव्यक्ति दी है
सीख - काश घर को स्वर्ग बनाने हेतु हर सास अपनी बहू को बेटी और बहू अपनी सांस को मां समझले तो झगडा ही खत्म हो जाए
*