15 मार्च 1959 को साउथ मुंबई की 7 औरते ने मिलकर एक ऐसा बिसनेस शुरू किया, जिसके बारे में किसीने सोचा भी नहीं था। इन औरतो ने पापड़ बनाने का काम शुरू किया ताकि को खुद भी कुछ पैसे कमा सके, पहले दिन पापड़ बेचकर जिन्होंने सिर्फ 50 पैसे की कमाई की थी आज वो उसी पापड़ की कंपनी की कमाई 1600 करोड हैं। 7 औरतों ने मिलकर जो काम शुरू किया था आज उस काम का हिस्सा 35000 औरते हो चुकी हैं, जिन्होंने मिलके लिज्जत को एक मूवमेंट बनाया हैं एक माध्यम बनाया है औरतो को शश्क्त और आत्मनिर्भर बनने के लिए। इनको कई सारे अवार्ड मिल चुके हैं। इस कहानी से हमें इंस्पिरेशन और बिजनस की बारिकिया सिखने को मिलेगी।
लिज्जत की शुरुआत 7 औरतों ने 80 रुपये से शुरु की थी। उन्होंने आपस में मिलकर 1 किलो पापड़ बेले तो उन्हें 50 पैसे का मुनाफा मिला फिर अगले दिन 2 किलो बेले तो 1 रुपया बचा। ये मुनाफा सुनकर बात ऐसी फैली की लोग काम के लिये जुड़ने लगे। उन्होंने इस बिजनेस में किसी एक को मालिक नहीं बनाया बल्कि सब एक को owner कहते थे। फिर इसका नाम गुजराती शब्द से रखा ‘लिज्जत’, लिज्जत का मतलब स्वादिष्ट होता है ।
पहले ये बिज़नस सिर्फ गुजराती महिला करती थी, लेकिन बाद में उन्होंने धर्म का भेदभाव नहीं किया और फिर सब एक होकर काम करने लगे। ऐसा कहा जा सकता हैं कि हाउस वाइव्स के लिए अपने खाली समय का सदुपयोग करके खुद को आत्मनिर्भर बनाने का ये बेस्ट काम था, घर पे बैठकर सिर्फ 5 घंटे काम करके वो 10000 कमा रही हैं। यानि की इस बिज़नेस से महिला सशक्तिकरण भी हो रहा था। लिज्जत के बिज़नेस से महिलओं को इज्जत मिली हैं। महिलओ ने अपने बच्चो को बड़े बड़े स्कूल और कॉलेज में दाखिला दिलाया ।
ऐसा होता है लिज्जत का काम, उनके सेण्टर पर आटा गुंदा जाता हैं और जो महिलाये घर पर काम करती हैं वोह सुबह सुबह आकर गुंदा हुआ आटा अपने घर पर ले जाके पापड़ बेलकर फिर उन पापड़ को सेण्टर पर दुसरे दिन सुबह दे जाती हैं। फिर उन पापड़ को अच्छी तरह चेक किया जाता हैं और उसी दिन उनका पेमेंट भी हो जाता हैं, यानि की हररोज एक महिला एक दिन के 650 रूपये कमाती हैं। फिर से वो उस दिन का आटा लिज्जत सेंटर से ले जाती हैं। ऐसा एक उनका पूरे दिन का प्लान ही होता हैं।
वहा की जो ब्रांच हेड हैं वो उनको एल्युमीनियम रोलिंग बोर्ड की ट्रेनिंग देती हैं। इसी कारण 2.5 करोड किलो पापड़ की टेस्ट एक जैसी होती है। एक बिल्डिंग के छत से शुरू हुआ काम 17 राज्यों में 82 ब्रान्चेस हैं और 80 करोड का माल एक्सपोर्ट किया जाता हैं। लिज्जत के प्रोडक्ट्स में लिज्जत मसाला, लिज्जत मिर्ची, सोप और डिटर्जेंट भी है। लिज्जत के महिलओं को लिज्जत सिस्टर नाम से बुलाया जाता हैं।
लिज्जत के बिज़नस ने बहुत तरक्की की और नाम और पैसे भी कमाया है लेकिन उन्होंने मशीन का इस्तमाल न करते हुये और महिलओं की संख्या को काम में बढ़ाया हैं। इन महिलओ ने तय किया है की हम मिलकर काम करेंगे।वहाँ का रूल ही ऐसा है की “कानाफूसी allowed नहीं है “, “जो बोलना है जोर से बोलों” इसी वजह से वहाँ महिलाओं की गॉसिप भी नहीं, झगडा नहीं, और यही वजह है कि ये काम अच्छी तरह से चल रहा है।
जसवंतीबेन पोपट (co-founder) चाहती तो आज बहुत बड़ा बिजनेस खड़ा करती लेकिन वो सभी महिला को अपने पैर पर खड़ा करना चाहती थी। जिससे जो गरीब बच्चे नहीं पढ़ पा रहे थे वो पढ़ पा रहे हैं और खुद के घर मै रहने लगे है। उन्होंने ये काम शुरुवात से ही बिज़नस मॉडल की तरह चलाया। उन्होंने बहोत सारी जगह दान भी किया हैं।
इनकी एक मुंबई में 21 मेम्बर की बहोत बड़ी कमिटी हैं। ये कमिटी औरतो के द्वारा औरतो के लिए चलाया गया व्यापर हैं। 21 मेम्बर मिलके ये कमिटी चलाती हैं और इनकी मासिक और साप्ताहिक मीटिंग भी होती हैं, ये बिज़नस एक स्टैण्डर्ड तरीके से चलाया जाता हैं।
उनकी संचालिका रोज हर एक के घर जाकर चेक भी करती हैं की औरते कैसे पापड़ बनाती हैं यानि की उनके सारे रूल्स follow करती है की नहीं, और जब कभी कंपनी को प्रॉफिट होता है तब कंपनी अपने एम्प्लोयी को गोल्ड coinकॉइन देते हैं ताकि उसका उपयोग बेटी की शादी में या बेटे के पढाई में हो सके। इससे बड़ा बिज़नस मॉडल महिलओं के लिए देश नहीं है ।
आज के युग में सब काम डिजिटल मशीन पर हो गया हैं फिर भी लिज्जत के Team ने 45,000 manpowerमैनपावर पर बिज़नेस खड़ा किया हैं ताकि महिलाओं को काम मिले और वो आगे बढ़े।