भारत के सुप्रीम कोर्ट ने आज देश मे समलैंगिक संबंधों पर ऐतिहासिक फैसला दिया है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने दो व्यस्को के बीच सहमति से बनाये गए समलैंगिक संबंधों को अपराध मनाने वाली धारा 377 से बाहर कर दिया है। सुप्रीम ने अपने फैसले में कहा कि बहुमत से सभी चीजें नही चल सकती है और हमे सभी को समान अधिकार देना होगा । कोर्ट का यह फैसला समलैंगिक लोगो सम्मान दिलाने में मददगार होगा ।
"गे" राजकुमार की कहानी
हमारे सामाज में हमेशा से समलैंगिक लोग रहे है लेकिन हमने कभी खुलकर अपनाया नही । ऐसे लोग खुद भी आगे आने से बचते रहे लेकिन हमारे देश एक राजकुमार ने खुले तौर पर खुद को "गे' होने की बात स्वीकार की थी ।
23 सितम्बर 1965 को अजमेर में महराज रघुवीर सिंह जी को बेटा हुआ, बच्चे का नाम मानवेन्द्र रखा गया। राजकुमार मानवेन्द्र का बचपन और बच्चों की ही तरह बीता । उन्होंने ने मुंबई के स्कोटिश स्कूल और अमृत बेन जीवन लाल कॉलेज आफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिकस से अपनी पढ़ाई पूरी की ।
राजकुमार मानवेन्द्र सिंह गोहिल बताते है कि उन्हें अपनी योन इच्छा के बारे में ज्यादा कुछ नही पता था । साल 1991 में मानवेन्द्र की शादी चन्द्रेश कुमारी से हुई, और एक साल बाद ही उनकी शादी टूट गयी, शादी टूटने का कारण मानवेन्द्र का समलैंगिक होना था । मानवेन्द्र से शुरु में यह बात छुपा कर रखी लेकिन 2002 में जब मानवेन्द्र को मानसिक तनाव के चलते अस्पताल में भर्ती होने पड़ा तो डॉक्टर ने यह बात उनके परिजनों को बताई। इसके बाद भी ये बात परिवार के अंदर ही रही।
2005 में वडोदरा के पत्रकार मानवेंद्र से मिले और 2006 में राजकुमार मानवेन्द्र के समलैंगिक होने की बात एक अखबार के जरिये बाहर आई ।
जब मानवेन्द्र के समलैंगिक होने का खुलासा हुआ तो राजपिपला शहर के लोगों ने उनका विरोध किया, पुतले जलाये और जब कभी वो लोगों के बीच निकलते तो अपशब्द सुनने को मिलते।
अपनी समलैंगिकता को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार करने के बाद मानवेन्द्र ने दूसरे ऐसा लोगो का मदद करने का बीड़ा उठाया । पहले मानवेन्द्र ने HIV और AIDS पीड़ितों के लिये ट्रस्ट बनाया और गुजरात के नर्मदा जिले के राजपिपला में समलैंगिको के लिए वृद्ध आश्रम की स्थापना की । इस आश्रम में करीब 50 से अधिक "गे" लोगो के रहने की व्यवस्था की गई थी और इसी साल मानवेन्द्र15 एकड़ की जमीन पर और भी बड़ा आश्रम बनवा रहे। ताकि उन समलैंगिक लोगो को आश्रय दिया जा सके जिन्हें उनके परिवार और समाज ने ठुकरा दिया है ।
आज राजकुमार मानवेन्द्र का नाम सिर्फ देश ही नही बल्कि विदेशों में भी जाना जाता है । वो 24 अक्टूबर 2007 को मशहूर अमेरिकी टेलीविजन शो 'द ओपरा विनफ्रे शो' में अतिथि के रूप में मौजूद थे। मानवेन्द्र ने 25 जुलाई 2008 को स्वीडन में 'यूरो प्राईड' समलैंगिक फेस्टिवल का उद्घाटन किया ।मानवेन्द्र 2009 में BBC में भी नजर आए ।
मानवेंद्र की आर्गेनाइजेशन "लक्ष्य फाउंडेशन" समलैंगिक पुरुषो और ट्रांसजेंडरो के साथ काम करती है और सुरक्षित सेक्स का प्रचार करती है ।