बीते गुरुवार को आए ऐतिहासिक फैसले के बाद अब भारत में समान लिंगों वाले लोगों के बीच शारीरिक संबंध बनाना अपराध नहीं बल्कि निजी पसंद हैं। इस फैसले के आने के बाद देश भर में अलग-अलग जगहों पर समलैंगिक समुदाय के लोगों ने जश्न मनाया। कई जगहों पर जश्न के दौरान इंद्रधनुषी रंगों का झंडा भी देखा गया।
अक्सर समलैंगिक आंदोलनों के दौरान यह झंडा लोगों के हाथ में दिखता रहा है।
अक्सर कई लोग इन रंग बिरंगे झंडों का मतलब भी जानना चाहते हैं। दरअसल यह झंडे काफी समय से समलैंगिक समुदाय का प्रतीक रहे हैं। इस झंडे में 6 रंग होते हैं या इंद्रधनुष जैसा दिखने वाला यह झंडा समलैगिंकों के समुदाय के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है। आइए जानते है इससे जुड़ा इतिहास।
1978 में आया था अस्तित्व में
इस रेनबो फ़्लैग को 1978 से ही एलजीबीटी समुदाय के प्रतीक के रूप में फहराया जाता रहा है। सैन-फ्रांसिस्को के कलाकार गिलबर्ट बेकर ने आठ रंगों वाले इस झंडे का डिज़ाइन बनाया था। इसके बाद 25 जून को 'गे फ़्रीडम डे' के दिन पहली बार इसे फ़हराया गया था। 1990 आते-आते ये झंडा दुनियाभर में एलजीबीटी समुदाय का प्रतीक बन गया।
पहले थे आठ रंग, अब छह
सबसे पहले रेनबो फ़्लैग में आठ रंग जोड़े गए थे और इनमें शामिल हर रंग का ज़िंदगी से जुड़ा कोई मतलब था जैसे -
गुलाबी - सेक्शुएलिटी
लाल - ज़िंदगी
नारंगी - इलाज
पीला - सूरज की रोशनी
हरा - प्रकृति
फ़िरोज़ी - कला
नीला - सौहार्द
बैंगनी - आत्मा
बाद में इन रंगों को घटाकर छह कर दिया गया। फ़िरोज़ी रंग की जगह नीले रंग ने ले ली, जबकि बैंगनी रंग को हटा दिया गया।