समय की गति को कोई नहीं रोक सकता वह निरंतर चलता रहता है वह किसी के लिए कभी भी नहीं रुकता है इसलिए हर इंसान को समय के साथ ही चलना होता है l समय का प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में बहुत ही महत्व है और सभी को इस महत्व को समझना चाहिए क्योंकि जो समय आज है वह कल नहीं होगा और जो कल होगा वह आज नहीं हो सकता बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता ना ही उसे लाया जा सकता है l इसलिए सभी को अपने जीवन में समय का सदैव सदुपयोग करना चाहिए ना कि दुरुपयोग जो व्यक्ति अपने जीवन में समय की पहचान कर लेता है और समय का सदुपयोग करता है वह कभी पराजित नहीं होता है क्योंकि सभी के जीवन में अपने भाग्य को बनाने के अवसर बार-बार नहीं आते हैं इसलिए आपके जीवन में जब भी समय आपको अवसर दे तो उसका सदुपयोग कर अपने भाग्य का निर्माण अवश्य करें l
हर व्यक्ति के जीवन का द्वितीय पड़ाव (10 वर्ष से 20 वर्ष) जब चल रहा होता है तो हर व्यक्ति के मन में विभिन्न इच्छाएं ,अनेक प्रयोजन, नई योजनाएं, नए सपने आदि जन्म लेते हैं और तब वह उन्हें पूरा करने की सोचता है, यही अवसर होता है उसे अपने लक्ष्य को चुनने का क्योंकि जब तक हम अपने लक्ष्य को नहीं चुनते तब तक हम इधर उधर भटकते रहते हैं और समय बीत जाता है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने लक्ष्य का चुनाव अवश्य करना चाहिए कि उसे क्या करना है, क्या बनना है, वह क्या कर सकता है आदि पर विचार करके अपनी क्षमता और अपनी रूचि के आधार पर अपने लक्ष्य को निर्धारित कर लेना चाहिए जब हम अपने लक्ष्य को चुन लेते हैं तो हमें अपने सपनों को पूरा करने में आसानी हो जाती है और हम अपने सपनों को व अपनी योजनाओं को सरलता पूर्वक पूर्ण कर सकते हैं l जब तक हम अपने लक्ष्य का चुनाव नहीं करते तब तक हम यही सोचते हैं कि यह कर ले यह कार्य अच्छा है, कुछ दिन बाद सोचते हैं कि यह नहीं अच्छा है कुछ और करते हैं l इसी तरह कभी किसी के कार्य को देखते हैं तो वह करने की सोचते हैं तो कभी किसी के बताए गए काम को करने की कोशिश करते हैं परंतु कभी भी कोई कार्य ना तो पूरा कर पाते हैं और ना ही सफल हो पाते हैं और इसी तरह जीवन का आधा समय इसी ऊहापोह में बीत जाता है और हम जहां के तहां ही रह जाते हैं मिलता है तो सिर्फ उम्र का बढ़ता हुआ पन और थोड़ा बहुत अनुभव परंतु यह अनुभव किस काम का जो पूरा ही नहीं है l यह सब इसलिए होता है क्योंकि हम लक्ष्य का चुनाव किए बिना ही आगे बढ़ते चले गए जिस ने जो बताया वह सब करते चले गए और यह ज्ञात ना हो पाया कि मेरी मंजिल कहां है और मेरा लक्ष्य क्या है l
इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को को अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करके ही आगे बढ़ना चाहिए और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए जिससे उसे कभी भी अपने किए पर पछतावा ना हो और उसे उसकी मेहनत का फल व उसकी मंजिल भी मिल सके l
इस कहानी का आशय यह हैं कि व्यक्ति को कभी भी अपने जीवन में अपने लक्ष्य का निर्धारण किए बगैर आगे नहीं बढ़ना चाहिए जब हम बगैर लक्ष्य के आगे बढ़ते हैं तो हमें कुछ हासिल नहीं होता और हमारी मेहनत व्यर्थ हो जाती है lइसलिए सर्व प्रथम अपने लक्ष्य को निर्धारित करें और कठिन मेहनत व परिश्रम करके उसे प्राप्त करें यही सफलता का पहला मंत्र है l
* लेखक *
(शरद शुक्ला)