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माणिपुर कांड

20 जुलाई 2023

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माणिपुर कांड 
               मणिपुर में दो महिलाओं की पिटाई वाली घटना से पूरा देश गुस्से में है। केंद्र सरकार के खिलाफ पूरा विपक्ष मणिपुर के मामले पर जवाब मांग रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत कई राजनीतिक दल के नेताओं ने मणिपुर घटना की घोर निंदा की है। संसद में मानसून सत्र चलने वाला है, माना जा रहा है इस दौरान विपक्ष पूरी तरह से केंद्र सरकार को घेरने की तैयारी में है।  उग्र भीड़ दो असहाय महिलाओं को नग्न कर घुमा रही है और भीड़ में शामिल लोग बड़ी बेशर्मी से पूरी घटना का वीडियो बना रहे हैं। वीडियो के इंटरनेट पर आते ही बवाल मच चुका है।  
हमलावरों के डर से गांव के पांच लोग जिनमें तीन महिलाएं और दो पुरूष हैं, किसी तरह भागकर नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन पहुंचे और सुरक्षा की मांग की। हमलावरों को जब इसका पता चला तो उन्होंने पुलिस स्टेशन पर धावा बोल दिया और पांचों को छुड़ाकर अपने साथ ले गए। दोनों पुरूषों की हत्या कर दी और महिलाओं को खेत में ले गए। पहले इनके साथ गैंगरेप किया और फिर इन्हें नंगा कर घुमाया। महिलाएं मदद के लिए चीखती रहीं, लेकिन किसी को तरस नहीं आई। बाद में तीनों महिलाएं कुछ अनजान लोगों की मदद से आरोपियों के चंगुल से भागने में कामयाब रहीं। जानबूझकर वायरल किया गया वीडियो
आदिवासी संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) का आरोप है कि वीडियो को जानबूझकर वायरल किया गया है। ताकि कुकी समुदाय की दुर्दशा को उजागर किया जा सके। संगठन के प्रवक्ता ने कहा कि इससे इन निर्दोष महिलाओं द्वारा झेली गई भयावह यातना कई गुना बढ़ गई है। ITLF ने मामले में महिला आयोग और एसटी आयोग से कार्रवाई की मांग की है।मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर उनकी परेड कराने के वीडियो से वह ‘‘बहुत व्यथित'' है और उसने इसे ‘‘किसी भी संवैधानिक लोकतंत्र में पूरी तरह अस्वीकार्य'' बताया. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इस वीडियो पर संज्ञान लिया और केंद्र तथा मणिपुर सरकार से फौरन कार्रवाई करने को कहा.
उसने कहा कि तनावपूर्ण माहौल में हिंसा को अंजाम देने के हथियार के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल करना पूरी तरह अस्वीकार्य है और ये दृश्य संविधान और मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन दर्शाते हैं. पीठ ने कहा, ‘‘मणिपुर में दो महिलाओं की जिस तरीके से परेड कराई गई है, उसकी कल आई वीडियो से हम बहुत व्यथित हैं.'' भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि अब वक्त आ गया है कि सरकार वाकई में आगे आए और कार्रवाई करे क्योंकि यह पूरी तरह अस्वीकार्य है. हम सरकार को कार्रवाई के लिए थोड़ा समय देंगे और अगर जमीनी स्तर पर कुछ नहीं होता है तो फिर हम कार्रवाई करेंगे.''तनावपूर्ण इलाके में हिंसा को अंजाम देने के हथियार के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल ‘‘बहुत व्यथित'' करने वाला है तथा यह ‘‘पूरी तरह अस्वीकार्य'' है. उन्होंने कहा, ‘‘यह संवैधानिक और मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है.''उन्होंने कहा कि अदालत इस तथ्य से अवगत है कि बुधवार को सामने आया यह वीडियो चार मई का है, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.
जैसे ही पीठ मामलों पर सुनवाई के लिए बैठी तो सीजेआई ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से अदालत आने के लिए कहा था. सीजेआई ने दोनों विधि अधिकारियों से कहा, ‘‘दोषियों पर मुकदमा दर्ज करने के लिए मई से लेकर अब तक क्या कार्रवाई की गयी और सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कार्रवाई कर रही है कि यह दोबारा न हो क्योंकि कौन जानता है कि यह अकेली घटना हो, अकेली घटना न हो, यह कोई प्रवृत्ति हो.'' उन्होंने कहा कि इतिहास में तथा दुनियाभर में इन हालातों में हिंसा को अंजाम देने के हथियार के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल होता रहा है लेकिन ‘‘किसी संवैधानिक लोकतंत्र में यह अस्वीकार्य है.'' सीजेआई के विचारों से सहमति जताते हुए मेहता ने कहा कि ऐसी घटनाएं पूरी तरह ‘‘अस्वीकार्य'' है. मेहता ने कहा कि सरकार भी इस घटना को लेकर बहुत चिंतित है और वह अदालत को इस संबंध में उठाए कदमों की जानकारी देंगे
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माणिपुर कांड ITLF ने मामले में महिला आयोग और एसटी आयोग से कार्रवाई की मांग की है।मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर उनकी परेड कराने के वीडियो से वह ‘‘बहुत व्यथित'' है और उसने इसे ‘‘किसी भी संवैधानिक लोकतंत्र में पूरी तरह अस्वीकार्य'' बताया. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इस वीडियो पर संज्ञान लिया और केंद्र तथा मणिपुर सरकार से फौरन कार्रवाई करने को कहा. उसने कहा कि तनावपूर्ण माहौल में हिंसा को अंजाम देने के हथियार के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल करना पूरी तरह अस्वीकार्य है

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