shabd-logo

गऊ माता की जय हो...

3 अप्रैल 2017

331 बार देखा गया 331
featured image

किस्सा कुछ यूँ है की हमारी दादी बहुत बड़ी गौ भक्त थी। बाबा को दान में कही एक बछिया मिली तो दादी ने गंगा मैया के नाम पर उसका भी नाम नाम रख दिया गंगा...!

..हां तो दादी जी के सेवा सत्कार से ये गंगा मैया खूब फली फूलीं... यमुना, कावेरी, गोदावरी नाम की कई गैया हो गयी लेकिन दादी की गऊ भक्ति में कोई कमी नहीं आयी। उन सबका सेवा सत्कार खूब मन लगाकर करतीं। एक बार तो गोदावरी ने उनके पांव पर अपना खुर इतने प्यार से रख दिया कि दादी के पाँव में प्लास्टर चढ़ाना पड़ा। इस दौरान इन गौमाताओं की सेवा सुश्रुसा के लिए दो लोग रखे गए एक नौकर और उसकी नौकरानी। लेकिन मजाल कि गऊ माताएँ उन दोनों से संभले। जब तक दादी लंगड़ाती हुई गौशाला में आकर प्यार से थपथपा कर यह न पुंछ ले कि -

"..का बात है गोदावरी..? काहे बिल्लवाये हौ..?"

तब तक गोदावरी पास आने वाले को अपनी सींघो से डराती ही रहती थी। ऐसे में एक दिन एक "ख़ास मेहमाननी" का घर पर आना हुआ तो किसी कारण गोदावरी मैया खूंटे से खुल गयीं और अपने सींघ उठाकर इतनी तेज उन "ख़ास मेहमाननी" की और लपकीं कि वो बड़ी जोर से चीखीं और दौड़कर हमसे लिपट गयीं।

कसम से पहले तो हम सकपकाये लेकिन तब तक दादी लंगड़ाती हुई बीच में आ गयी और बोलीं-

"का बात है गोदावरी ...? काहे बिल्लवाये हौ...?"

बस उसी दिन से हमारे मन में गऊ माता के लिए अपार श्रद्धा हो गयी...क्योंकि हमसे लिपटी हुई वो "ख़ास मेहमाननी" जब तक हमसे दूर हुई तब तक तो हम भाव बिभोर हो चुके थे..! जब उनका विवाह हुआ तो हमने उनकी बिदाई के समय उनके कान में कहा भी-

"ससुराल में गऊ माता को प्रणाम करना न भूलना"

यह सुनकर वो फिर उसी तरह हमसे लिपट कर रोने लगीं ...जैसा उस दिन लिपट गयी थी। सचमुच गऊ माता की जय कहने वाले का जीवन सफल होता है

..हमारे साथ आप भी कहिये ना-

"गऊमाता की जय...!"

अशोक कुमार शुक्ला की अन्य किताबें

6
रचनाएँ
ashokshukla
0.0
कोलाहल से दूर
1

सफर-ऐ-जिंदगी-१

1 फरवरी 2016
0
2
0

मेरी छोटी बहिनकी पुत्री आयु0 पूर्तिश्री के विगत जन्मोत्सव के अवसर पर मेरे माता तथा पिता आयु0 पूर्तिश्रीको आर्शिवाद देने के लिये उपस्थित थे। बच्चों के द्वारा केक काटने की जिद और संस्कारोकी सामान्य रूढियों के सामंजस्य के अनुरूप केक भी लाया गया और पिताजी तथा मांजी केद्वारा आयु0 पूर्तिश्री को रोली अक्षत

2

सफ़र-ऐ-जिन्दगी-7-पिता का जाना

4 फरवरी 2016
0
2
1

4 फरवरी मैं कभी नहीं भूल सकता क्योकि यही वो रात है जब ठीक चार साल पहले रात के तीसरे पहर यानी लगभग तीन बजे मेरे मोबाइल की घंटी बजी थी।इस घंटी ने मुझे गहरी नींद में जगा दिया था .....देखा मेरे छोटे भाई मनोज का फोन था.....मुझे याद आया.... दो या तीन दिन पहले मनोज से बात हुई थी तो यह बताया था की वो माजी औ

3

सफ़र-ऐ-जिन्दगी--स्कूल में दाखिला

5 फरवरी 2016
0
0
0

(फ़ालतू की बाते मत करना)अब की पीढ़ी तो बहुत छोटी उम्र में ही प्रेप और नर्सरी में दाखिल हो जाती है और कुछ एक साल के बाद ही प्राइमरी शिक्षा तक पहुँच पाती है इसलिए शायद ही कोई हो जिसे वो दिन याद रहे जब वो पहली बार स्कूल गए हो ....लेकिन उस जमाने में पांच साल से पहले किसी बालक को स्कूल भेजने के बारे में

4

सफ़र-ऐ-जिन्दगी-11-मीठा वाला साबुन

8 फरवरी 2016
0
3
1

आज मौनी अमावस्या है। कल रात बिस्तर में जाने से पहले ही मांजी ने याद दिला दिया था कि"सुबह चार बजे उठ कर पहले पानी में गंगाजल और तिल डाल कर नहा लेना उसके बाद ही कुछ बोलना यानी नहाने तक मौन रहना है"नहाने का पानी गर्म हो ले इतनी देर में बचपन में नहाने का वो दौर याद आ गया जब टीका लगे दो चार दिन और बीते ह

5

(सफ़र-ऐ-जिन्दगी-19-मेरे सामजिक सरोकार)

18 फरवरी 2016
0
3
0

छोटी बहन "बेबी" ने हमारे परिवार में आकर हम दोनों भाइयो के लिए एक खिलौना जैसा दिला दिया था। स्कूल से छुट्टी होने के तुरंत बाद हम घर पहुँच कर पलंग पर लेटी उस नन्ही मुन्नी को दुलारा करते थे। कई बार हम दोनों अपने घर पर मोहल्ले भर के बच्चों का जमावड़ा लगा देते। बचपन के उन दोस्तों में से कुछ के नाम आज भी य

6

गऊ माता की जय हो...

3 अप्रैल 2017
0
1
0

किस्सा कुछ यूँ है की हमारी दादी बहुत बड़ी गौ भक्त थी। बाबा को दान में कही एक बछिया मिली तो दादी ने गंगा मैया के नाम पर उसका भी नाम नाम रख दिया गंगा...! ..हां तो दादी जी के सेवा सत्कार से ये गंगा मैया खूब फली फूलीं... यमुना, कावेरी, गोदावरी नाम की कई गैया हो गयी लेकिन दादी की गऊ भक्ति में कोई कमी नही

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए