
कन्हैया...क्या सच में 'कंस' मारा गया
मथुरा का 'कंस' रामवृक्ष यादव मारा गया। यूपी के पुलिस महानिदेशक जावीद अहमद इसकी पुष्टि कर रहे हैं। कन्हैया पर क्या ये सच है कि कंस मर गया। वही 'कंस' जिसकी वजह से समूचा मथुरा सुलग रहा है। जिसकी वजह से फूल की होली खेले जाने वाले मथुरा में खून की होली खेली गई। काश...ये सच हो जाए कन्हैया। हम तो कल आपसे कह रहे थे न कि आपको आने की जरूरत है। आकर कह दो कन्हैया इन सबसे कि चले जाएं। नेताओं से भी कह दो मेरे मथुरा में राजनीति न करें। मथुरा तो कह राह है मुझे फूल से रंगा रहने दो। खून और सियासी रंग से नहीं।
मथुरा से गायब हुई बांसुरी की सुर, अब बूटों की धमक
मथुरा में रामवृक्ष यादव के रूप में कलियुग के ‘कंस’ ने ऐसी खूनी होली खेली कि दो जांबाज पुलिसकर्मियों समेत 27 लोगों को जान गंवानी पड़ी।
इस खूनी संघर्ष में ढाई साल से कब्जे की शिकार जवाहर बाग की जमीन भी खाली हो गई। मुख्य आरोपी रामवृक्ष का अभी तक सुराग नहीं लगा है। पर, कान्हा की नगरी से बांसुरी की सुर गायब हो गई। हां, वहां अभी भी कुछ सुनाई देती है। वो है सन्नाटे को चीरती हुई बूटों की धमक...। पर कन्हैया आखिर कब तक ये धमक सुनें हम सब। अगर तुम होते न तो मथुरा चीख-चीखकर तुमसे यही पूछता...।
सीखो कैसे निभाया जाता है याराना
धिक्कार है...ऐसे याराना पर। जो दुख की घड़ी में साथ छोड़ दे। कान्हा इन्हें सिखाओ याराना कैसे निभाया जाता है। तुम तो यराना के लिए भी एक मिसाल हो। सुदामा और कृष्ण। पर ये पुलिसवाले इन्हें तो सिखने की जरूरत है। कम से कम ये तो देखो तुम्हारा एक साथी मौत से जूझ रहा है। उसे फंसा देख तुम खिसक लिए।
कान्हा! दरअसल, जवाहरबाग में जहां एसपी सिटी और एसओ फरह फर्ज पर कुर्बान हो गए और अपने वरिष्ठों पर आंच नहीं आने दी, वहीं एसपी सिटी पर हमला किए जाने के बाद उनके हमराह सिपाही उन्हें छोड़कर भाग खड़े हुए। वह भी तब, जबकि उनके दो हमराह सिपाहियों के पास एके 47 राइफलें थीं। यही नहीं इस तरह की घटना प्रतापगढ़ के कुंडा में भी हो चुकी है। सीओ जियाउल हक ने अपनों की दगाबाजी से जान गंवा दी।