2014 लोकसभा चुनाव में ही तीनों लोकसभा सीटों पर भाजपा का रहा कब्जा सूबे की सत्ता पर काबिज सपा सरकार में सांप्रदायिक दंगे बन सकते हैं रोड़ा इलाहाबाद। संगमनगरी में पिछले कई विधान सभा चुनाव में सपा और बसपा के बीच लड़ाई देखने को मिली है। इन दोनों के अलावा अन्य दल सीट हासिल करने का ख्वाब ही देखते रहे हैं। पर अबकी चुनावी जंग काफी दिलचस्प देखने को मिल सकता है। इलाहाबाद में विधानसभा की 12 सीटें है। साल 2012 के चुनाव में सर्वाधिक 8 सीटों पर सपा ने बाज़ी मारी थी। जबकि बसपा 3 सीटों में ही सिमट कर रह गई और कांग्रेस के हाथ सिर्फ एक सीट लगी। भाजपा को खाली हाथ रहना पड़ा था। वहीं, कांग्रेस शहर उत्तरी सीट जमीनी नेता अनुग्रह नारायण सिंह की वजह से बचा सकी थी। इसी तरह बसपा से पूजा पाल ने शहर की पश्चिमी सीट पर बाहुबली नेता अतीक अहमद को हराया तो करछना में दीपक पटेल ने सपा के कद्दावर नेता रेवती रमण सिंह के बेटे उज्जवल को हराया। साथ ही कोरांव की सीट भी बसपा के पाले में आई। वहीं, पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने वाली समाजवादी पार्टी ने जिले की 12 सीटों में सर्वाधिक 8 सीटों पर जीत हासिल किया था। सपा से हाजी परवेज अहमद ने पूर्व विधायक नन्द गोपाल नंदी को करारी शिकस्त दी थी। फूलपूर से सईद अहमद ने बसपा नेता प्रवीण पटेल को हराकर सपा के खाते में एक महत्वपूर्ण सीट डाली थी। सत्यवीर मुन्ना ने सोरांव की सीट सपा की झोली में डाली। डॉ अजय कुमार ने बारा में सपा की जीत के परचम को लहराया। बाकी चारों विधानसभा सीट ( मेजा, प्रतापपुर, हंडिया और फाफामऊ) भी सपा के ही नाम रही। 2012 में भाजपा को इलाहाबाद से खाली हाथ लौटना पड़ा था। पर, 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने मोदी लहर की बदौलत जिले की तीनों सीटों पर कमल खिलाकर यूपी की सियासत के समीकरण बदल दिए हैं। ऐसे में सत्ताधारी दल सपा में हुए तमाम सांप्रदायिक दंगों का फायदा भाजपा व बसपा भुनाने में कामयाब हो सकती है।
आम से लेकर खास तक दावेदार
उत्तर प्रदेश की सियासत में कभी गुमनाम हो चुकी भाजपा एक बार मोदी को अपना चेहरा बनाकर नए कलेवर के साथ आई है। मोदी के आने के बाद लोकसभा चुनाव में भाजपा ने रिकॉर्ड तोड़कर प्रदेश की सियासी दुनिया में भूचाल ला दिया। ऐसे में इलाहाबाद जिले के तकरीबन सभी 12 सीटों पर आम से लेकर खास तक में भाजपा से विधायकी की टिकट पाने को बेताबी है। हालांकि भाजपा ने अब तक एक भी पत्ता नहीं खोला है। इसके बावजूद एक सीट से दर्जनों लोग दावेदारी ठोंकते नजर रहे हैं। यही नहीं वह दिनभर जनता के बीच रहने के साथ लोगों के सुख-दुख में हिससेदारी बंटा रहे हैं।