सच बताऊं तो ये प्रेम कहानी हकीकत की है। हमारे फेसबुक एकाउंट से वह साथी जुड़े भी हैं। इलाहाबाद के ही हैं। आज बातचीत के दौरान जानकारी हुई। बड़ी तकली फहुई। कहानी कुछ इस तरह है...
कीर्ति और अंकित दोनों बचपन में बहुत अच्छे दोस्त थे। हों भी क्यों न एक ही मोहल्ले के जो थे। दोनों का दिनभर का अधिकांश समय एक साथ ही गुजरता था। साथ खेलना, पढ़ना, खाना आदि-आदि। कभी-कभी दोनों में झगड़ा होता तो रूठने-मनाने का खेल भी वाकई दिल को छू जाता था। घरवाले भी दोनों के बचपन की बचकाना हरकत को देख हंसकर टाल देते थे।
जैसे-तैसे वक्त बीतता गया। बचपन की दहलीज को दोनों लांघ चुके थे। स्कूल में पढ़ाई करने वाले अंकित और कीर्ति अब कॉलेज में दाखिला ले चुके थे। पर समय कैसे-कैसे खेल खेलता है, ये शायद अंकित और कीर्ति को मालूम न था। अक्सर आपने भी देखा होगा कि लड़की सयानी होती है तो घरवाले ढेर सारी बंदिशे रखने लगते हैं। पहरा बढ़ा दिया जाता है। पैरों में पाबंदियों की जंजीर कस दी जाती है। कभी साथ बैठकर मिट्टी में खेलना, साथ हाथ पकड़कर स्कूल जाना इन सब पर कीर्ति के घरवालों ने पाबंदी लगा दी। होना लाजिमी था कि क्योंकि बिटिया सयानी हो चुकी थी। पर, काश ये पाबंदियां पहले ही लगा दी जातीं। अब तो जो होना था वह हो चुका था। बचपन की दोस्ती प्यार में बदल चुकी थी।
प्यार परवान चढ़ने लगा। दोनों प्रम दीवाने घरवालों के चोरी छिपे एक-दूजे से मिलने लगे। इसकी भनक कहीं से घरवालों को हुई। प्यार पर पहरा लगा दिया गया। पर दोनों प्रेम दीवानों का मिलना-जुलना बंद नहीं हुआ। शायद कीर्ति और अंकित ने जिंदगीभर साथ निभाने का तानाबाना बुन रखा था। सपने पूरे होने की बारी आती इसस पहले ही वो मनहूस रात आ गई। आज की रात ही अंकित कीर्ति से मिला था। दोनों ने ढेर सारे वादे किए। पर शायद अंकित को ये नहीं मालूम था कि आज की रात प्रेमिका से मिलन की आखरी रात होगी। कीर्ति का भी इस बात का पता नहीं था कि आज वह जो वादा कर रही है अंकित की नजरों में सारे वादे एक दिन झूठे लगने लगेंगे। उसी रात न जाने कैसे कीर्ति की मौत हो गई।
घरवाले भी उसे बीमारी से मौत का हवाला देकर दफन कर दिए। और भूल गए आज। अरे धिक्कार है। क्या कभी जिंदगी में खुशी रह पाएंगे आप लोग। आपने दो लोगों के सपने को तोड़ा है। कीर्ति अगर तुम मेरी आवाज सुन रही हो तो प्लीज कभी माफ न करना इन पापियों को जिसने तुम्हें तुम्हारे अंकित से हमेशा के लिए दूर किया है। अंकित से आज बात हुई तो पता चला तुम्हारे बारे में। तुम बीमार नहीं थी। तुम्हें मारा गया है। अभी दो घंटे पहले तक तो तुम अच्छी थी। अंकित से मिलकर आई। और कुछ ही देर में इस कदर बीमार हो गई कि इलाज का भी मौका न मिला। वादा कीर्ति तेरा वादा...
यार एक गाना याद आ रहा है। (दुनिया करती है क्यों जिद हमेशा... दो दिलों को जुदा करने के लिए....वादे होते हैं वफा करने के लिए...)