केंद्र सरकार की ऑनलाइन गंगा जल बुकिंग योजना को लेकर हरिद्वार में संत समाज में विरोध शुरू हो गया है। जबकि इलाहाबाद में ऑनलाइन दर्शन हो रहे हैं। घर बैठे भगवान के दर्शन करने के साथ शहरी अब जल्द ही प्रसाद भी पाएंगे। ललिता देवी में इसकी तैयारी चल रही है। प्रयाग के संत एक ओर इसका समर्थन कर रहे हैं तो विरोध जताने में भी पीछे नहीं हैं।
दरअसल, केंद्र सरकार ने हरिद्वार और ऋषिकेश से डाकघरों के जरिये घरों तक गंगाजल पहुंचाने की योजना बनाई है। गंगाजल लेने के लिए लोगों को ऑनलाइन बुकिंग करनी होगी। इसकी जानकारी सोमवार को संचार एवं सूचना प्रौद्यौगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दी थी। बताया था कि सरकार अब हरिद्वार और ऋषिकेश से गंगाजल को डाक विभाग की मदद से लोगों के घरों तक पहुंचाएगी। हालांकि इसकी कीमत और योजना की शुरुआत तय नहीं की गई। इससे पहले ही संतों ने विरोध शुरू कर दिया। वहीं, संगमनगरी में ऑनलाइन दर्शन से संत समाज नाता जोड़ रहा है। जबकि ऑनलाइन गंगाजल से परहेज किया जा रहा है।
प्रयाग के कई मंदिर जल्द होंगे ऑनलाइन
जल्द ही संगम स्थित अति प्राचीन मंदिर बड़े हनुमान मंदिर से लेकर सरस्वती घाट स्थित मनकामेश्वर मंदिर भी ऑनलाइन हो जाएंगे। यहां ऑनलाइन दर्शन के साथ प्रसाद वितरण की योजना है। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि यदि गंगाजल के ऑनलाइन होने पर इतना विरोध हो रहा है तो ऑनलाइन प्रसाद वितरण और दर्शन कहां तक उचित है।
सारी दुनिया ऑनलाइन तो मंदिर पीछे क्यों
ललिता देवी मंदिर प्रबंध समिति के प्रबंधक हरिमोहन वर्मा ने गंगाजल ऑनलाइन बिक्री का भरपूर समर्थन किया है। उनका कहना है कि सारी दुनिया आनलाइन हो रही है। ऐसे में लोगों को भी बदलाव लाना चाहिए। उन्होंने बताया कि ललिता देवी मंदिर में पिछले करीब तीन साल से ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था है। जल्द ही प्रसाद की भी व्यवस्था हो जाएगी।
इनकी भी सुनिए...
पवित्र गंगाजल बिक्री के लिए नहीं है। ऐसा करना सरासर गलत है। हां मंदिर का दर्शन ऑनलाइन होना तक तो चल सकता है। पर प्रसाद कतई नहीं।
महंत नरेंद्र गिरि, महंत बंधवा हनुमान मंदिर, इलाहाबाद