भोपाल यात्रा
: घर की चाहरदीवारी से अलग स्वान्तःसुखाय यात्रा पर रेल गाड़ी में बैठ कर ,खिड़की के सहारे खेत खलिहानों को दौड़ते, पीछे छूटने देखना और खुद को आगे बढ़ते देखने से रोमांचक यदि कुछ हो सकता है तो जिन्दगी में वह अनुभूति भी अवश्य करनी चाहिए मगर पेड़, पौधों, खम्भों,आकाश, चाँद, सूरज और नदियों को दौड़ते भागते दे