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मेरा परिचय

2 नवम्बर 2021

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मेरा परिचय पूछ रहे हो, कैसे मैं पहचान बताऊँ,

खिलते मुरझाते फूलों के, कैसा परिचय पत्र दिखाऊँ;


नहीं प्रमाण पत्र है कोई, 

शिखर विजय या सिन्धु थाह की

खोज रहा है अभी स्वयं ही, 

खुद को खुद अस्तित्व हमारा;

कहीं उठे पतझड़ के, 

झंझावातों में उड़ते पातों सा,

किसी विपिन में किसी वृंत पर, 

खिला हुआ कर्तृत्व हमारा;


सरित धार में बहता तिनका, कैसे तट के हाल सुनाऊँ,

मेरा परिचय --'।।


नभ विजयी संपाती के ही, 

पास कहीं पर नन्हा पंछी,

सिन्धु सेतु पर रेत डालता, 

मिल जाये अपनी ही रौ में;

या फिर यज्ञ कुंड में अक्षर, 

समिधा का जो हवन चल रहा,

वही समझ लो परिचय मेरा, 

किसी धुँयें की लिपटी लौ में;


जो संचालक जगत नियन्ता, अवलंबन एहसान जताऊँ,

मेरा परिचय ---।।


कविता के आवारा शब्दों,

सा गढ़ता निर्जन पथ राही,

जलते अंतिम पायदान पर,

किसी ग़ज़ल की सुर्ख बहर में;

या फिर सागर की बाहों से,

दूर भागती धुंधली सी कुछ,

परिचय हो सकता है मेरा,

तट से लौटी किसी लहर में;


खुद ही जान न पाया जिसको, भन्ते कितने  नाम गिनाऊँ,

मेरा परिचय --'-।।

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