मेरी ख़ट्ठी मीठू डायरी
आज पता है मेरी खट्ठी मीठू डायरी अपनी लेट लतीफ सुकून का इंतजार कर रही होगी दिल से ये तो सुकून को पता है
है न बोलो न ख़ट्ठी मीठू।
आज पता है खट्ठी मीठू हमारे ग्रुप में लिखा था हम सब ईसाई नही हैं इसलिए हमें क्रिसमस की बधाई न दें।
ये तो गलत बात है क्यों न देंगे बधाई खुद को तो लिख कर पढ़कर आगे बढ़ते हैं नारे लगाते हैं लेकिन सोच को नही बदलते हैं।
कितनी छोटी सोच है न आजकल पढ़ें लिखे लोगों की मुझे सोच कर आश्चर्य होता है।
वो भी एक लेखक हो कर जब भेदभाव करते हैं तो और लोगों की बात क्या करें ।
मुझे ये बात एक दम पसंद नही आई फिर मैंने भी वहाँ कविता लिख कर दें दिया पता है मेरी कविता क्या है।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई,
सब हैं भाई भाई,
फिर क्यों न दें बधाई,
ये बात हमें न समझ आई।
पता है फिर वहाँ के एडमिन ने लिखा वो पढ़कर कर न एक लेखक की सोच पर हंसी आई की खुद को हिन्दू और सनातनी कहते हैं।
जब एक लेखक हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई में भेदभाव करेगा तो फिर समाज को क्या कह सकते हैं।
अच्छा चलो खट्ठी मीठू डायरी अब सोने चलते हैं नींद आ रही है
शुभरात्रि और मेरे प्यारे प्यारे पाठकों को भी शुभरात्रि।
अब चलते चलते सबको क्रिसमस की बधाई भी तो दे कर जाना है न।
🌲merry chirtmas🎉🍫💐🌹🌲