मेरी ख़ट्ठी मीठू डायरी
लो आ गई आपसे मिलने आपकी लेट लतीफ सुकून अब चलो अच्छी वाली मुस्कुराहट तो दे दो।
अब इतना गुस्सा क्या अरे यार काम था बस उसी में उलझी रह जाती हूँ अरे ख़ट्ठी मीठू तुम्हें भूलती कहाँ हूँ रोज याद करती हूँ
आज पता है स्कूल में स्पोर्ट था बस उसी में चली गई तुझे तो पता है न मुझे ये सब देखने में कितना अच्छा लगता है खुद को रोक ही नही पाती हूँ पता है आज कितने सारे काम को सुबह को छोड़ कर भाग गई बच्चों के बीच कुछ पल के लिए बच्चे बनकर जीने के लिए।
पता है ख़ट्ठी मीठू कुछ माँ पापा को खेल में मस्ती नही करनी थी बस अपने बच्चों को जीतने के लिए ऑंखें दिखा रही थी तो कोई बच्चों को ठीक से आगे आने के लिए गुस्सा कर रहे थे मुझे अजीब लगा इते छोटे बच्चे को क्या पता क्या जीत है क्या हार क्या आगे क्या पीछे बेचारे तो बच्चे थे न
सच्ची में ख़ट्ठी मीठू आजकल मस्ती खुशी एहसास सारे खत्म जैसे होते जा रहे हैं सबको बस आगे बढ़ना है बस इसी में खुश है।
शायद उन्हीं में हम भी होंगे न हमें भी जीतना ही अच्छा लगता होगा न।
अच्छा आज इतना ही कल पक्का आऊंगी तुझसे मिलने
चलो हँस कर एक दूजे से जुदा होते हैं तभी तो ख़ट्ठी मीठू सपने भी आएंगे न जब हमें नीनू आएगी तब न।
शुभरात्रि मेरी ख़ट्ठी मीठू डायरी और मेरे पाठकों को भी शुभरात्रि चलो सो जाओ आप भी अब कल मिलेंगे कल की बातों के साथ।
सुकून