मेरी ख़ट्ठी मीठू डायरी
आज तो मुझे याद कर रही होगी मेरी ख़ट्ठी मीठू डायरी मुझे पता है।
बिना मुझे याद किये तुम्हें भी तो अच्छा नही लगता होगा न
आज लेट लतीफ सोच रही थी आज खट्ठी मीठू से क्या बात करूँ जो खट्ठी मीठू मुस्कुरा दे।
आज मुझे खूब हंसी आ रही थी कल एक कविता लिखी जिसे पढ़कर सब खूब हँसे मुझे भी हंसी आ रही थी पता है कविता का शीर्षक था।
फ्रेंड रिक्वेस्ट अब सोची कुछ ऐसा लिखूँ की सबको हंसी आए और
फिर मैंने कविता लिख दी।
सबको पढ़कर हंसी आई पता है क्या लिखी फ्रेंड रिक्वेस्ट ना बाबा ना।
अब फ्रेंड रिक्वेस्ट किस लिए एक तो दोस्त पागल है उसपर दिल भी पागल है फिर।
किस लिए किसी को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजूँ किसी को अब भीड़ किस लिए लगाना है।
सही कहा न मेरी खट्ठी मीठू डायरी और मेरी कहानी भी सब पढ़ रहे हैं हमें तो कुछ लिखना भी नही आता है वो तो बस लिख लेती हूँ मुझे तो कुछ समझ भी नही आता है की हम लिखते भी हैं।
और लोग पढ़ लेते हैं।
बहुत अच्छा लगता है।
अब तुम सोच रही होगी अब इतनी खुश मत हो लेट लतीफ सुकून अब सोने जाओ नही तो खुशी के मारे नींद ही न आए।
अच्छा बाबा सो जाती हूँ शुभरात्रि मेरी ख़ट्ठी मीठू डायरी और मुझे पढ़ने वाले पाठकों को भी।
अब कल मिलते हैं कल की बातों के साथ हँसते मुस्कुराते हुए।
सुकून