मेरी खट्ठी मीठू डायरी
अरे आ गई न आपकी लेट लतीफ सुकून अपनी ख़ट्ठी मीठू डायरी के पास पता है नही आती हूँ कुछ खाली खाली सा लगता है।
पता है ख़ट्ठी मीठू डायरी कल मेरा दिल कुछ भी लिखने का मन नही कर रहा था तो नही लिख पाई।
जब मन नही होता है तो तेरी सुकून कुछ भी नही करती है अरे सुकून की यही तो गलत आदत है या सही सुकून को पता ही नही चलता है।
अरे पता है खट्ठी मीठू डायरी आज एक छोटी सी बच्ची दुकान में जाकर न दुकान में सब देख कर कुछ मांग रही थी मुझे लगा अपने माँ के साथ आई होगी पर वो अकेले अपनी बहन के साथ आई और दुकान वाले ने उसे टॉफी दिया तो बड़ा अच्छा लगा।
पता है मैं जबतक समझती और कुछ देती न वो चली गई मुझे समझ ही नया की वो अकेले आई है मुझे लगा वो अपने माँ या पापा के साथ आई होगी मैं जब तक उसे कुछ देती तब तक वो चली गई।
मुझे अभी भी अच्छा नही लग रहा है मैं सोची मैं भी उसे कुछ दे दूँ मेरा कुछ तो है नही सब तो भगवान का दिया है अगर है तो किसी को थोड़ी सी खुशी देने में हर्ज ही क्या है।
वैसे आज मुझे अच्छा नही लगा उसको कुछ दिए नही तो सच्ची में ख़ट्ठी मीठू डायरी अब ये बातें तो बस तुम्हें ही बताऊंगी न
तेरे सिवा और किसे।
अच्छा अब चलो आज की बातें बस यँही तक अब देखो कल कुछ नया कुछ नई बातें के संग आएगी तेरी लेट लतीफ सुकून।
अब शुभरात्रि मेरी खट्ठी मीठू डायरी और मेरे पाठकों को भी प्यारी सी शुभरात्रि अब सो जाना आप सब भी समझे।
सुकून