मेरी ख़ट्ठी मीठू डायरी
अरे तुम तो आज लगता है पक्का नाराज होगी न कल लेट लतीफ सुकून आई नही तो।
अरे ख़ट्ठी मीठू डायरी पता है मुझे कल इति नींद आई न की मत पूछो तुझे तो पता है न मुझे नींद बड़ी प्यारी है उसके आगे सब कम पड़ जाते हैं।
आज पता है मेरी सुबह की शुरुआत बड़ी अच्छी हुई पता है मेरे माँ बाबा ने मुझे आज भी बच्ची समझते हैं अरे मैं हूँ ही इति लापरवाह की मत पूछो पता है मेरी लॉकेट थी भगवान जी की पता है खो गई ढूंढ ढूंढ कर थक गई पर मिलने का क्या कोई नामोनिशान भी नही था।
माँ बाबा रोज पूछते अरे बेटा मिला मैं रोज नही नही मिला वो फिर कहते तुम एकदम से लापरवाह हो फिर आज सुबह उठी और अपने सोफे को झाड रही थी की मेरे हाथों में वो आ गया पता है मैं इतनी खुश हुई न की मत पूछो।
सुबह सुबह अपने माँ बाबा को बोली आपने कितना गुस्सा करते हो पता है मेरी खोई चीज मिल गई।
पता है वो खुश हुए और बोले अब अपनी लापरवाही छोड़ दे और समझदार बन जा अपनी चीजों की देखभाल करना सीख लो मेरे सिवा कौन समझायेगा तुम्हें ये बातें।
सच्ची में न माँ बाबा के सिवा अपने बच्चों को हमेशा अच्छी बातें बताते हैं न पर बच्चे नासमझदार आजकल के तो एकदम सुनते ही नही है वो तो गलत बात होती है न।
अच्छा आज तो लेट लतीफ तेरी सुकून बड़ी खुश है वो तो तुझे पता होगा न।
अच्छा अब कल की बातें कल आज की बातें अब यँही तक का सफर है।
अच्छा अब चलो मुझे सोने दो नींद आ रही है आप भी सो जाओ मेरी ख़ट्ठी मीठू डायरी।
चलो शुभरात्रि मेरी खट्ठी मीठू डायरी और मेरे प्यारे प्यारे पाठकों को भी शुभरात्रि आप भी सो जाना आज की मुलाक़ात बस यहीं तक कल मिलते हैं कल की बातों के साथ।
सुकून