मेरी ख़ट्ठी मीठू डायरी
लो आ गई न लेट लतीफ सुकून अपनी ख़ट्ठी मीठू डायरी से मिलने।
आज सोच रही थी आऊं या नही फिर सोची चलती हूँ अपनी ख़ट्ठी मीठू से मिल आती हूँ वो भी तो इंतजार कर रही होगी न अपनी लेट लतीफ सुकून से मिलने का तो आ गई घूमते घामते अपनी ख़ट्ठी मीठू डायरी के पास।
पता है ख़ट्ठी मीठू कल न हम सब का वाट्सअप ग्रुप है उसमें सब मिलते हैं कविता सुनाते हैं सुनते हैं एक दूसरे से जान पहचान होती है अच्छा लगता है।
और पता है वहाँ जो एडमिन हैं न वो एक नये सदस्य जुड़े थे।
उन्होंने ने सबसे परिचय कराने को बोला तो सबका एडमिन सर जी परिचय करा रहे थे फिर मेरी बारी आई और मेरी तारीफ में उन्होंने ने मुझे स्पेशली कहा की मैं बहुत अच्छी इंसान हूँ तो बड़ा ही अच्छा लगा सुनकर कानों को तो विश्वास ही नही हुआ की सच्ची में हमारा स्वभाव अच्छा है।
अब तुम मेरी बातें सुनकर हँसना मत समझी तू मेरी खट्ठी मीठू डायरी।
अब अपनी तारीफ सुनकर तो अच्छा लगेगा ही न तो हमें भी अच्छा लगा और रात भर सोच रही थी सच्ची में हम इतने अच्छे हैं जितनी तारीफ के शब्द सुने थे।
अच्छा अब चलो हम चलते हैं अपनी तारीफ कह कर कुछ सुनाकर।
अब तुम्हें नींद आएगी या नही वो तुम समझना।
चलो अब सो जाना सब कोई भी नही जगना समझे बहुत रात हो चुकी है।
अच्छा अब शुभरात्रि मेरी खट्ठी मीठू डायरी और मेरे पढ़ने वाले प्यारे प्यारे पाठकों को भी।
अब मैं चली सोने आप सब भी सो जाना कोई न चलेगा बहाना।
सुकून