रात जितनी बढ रही थी ,खामोशी उतनी ही फैल रही थी ।
रूठ कर तेरा ,यूं बैठना
कहा मेरे दिल की पुकार सुन पा रही थी ।।
😍😍😍😍😍😍😍
4 अप्रैल 2020
रात जितनी बढ रही थी ,खामोशी उतनी ही फैल रही थी ।
रूठ कर तेरा ,यूं बैठना
कहा मेरे दिल की पुकार सुन पा रही थी ।।
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मुझे नही पता मै क्या लिखूंगा मगर कोशिश यही करूंगा की जो लिखू वो आप को एक मुस्कान जरूर दे।
मै विशाल ,प्रयागराज का हूं।
😍😍😍😍
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