कविता और अनुज की दोस्ती अब और भी अच्छी होती जा रही थी, और अनुज कविता की हमेशा मदद भी करता था.
बातों बातों मे कविता ने उसे अपने पिछली जिंदगी के बारे मे बताया था, शायद इसीलिए अनुज कविता की मदद करने से कभी पीछे नहीं हटता था. और पीछे क्यू हटे उसे तो हमेशा उसका साथ देना चाहिए था क्यू की वो उससे प्यार भी तो करता था.
पर इस बात से कविता बिल्कुल अनजान थी वो बस अनुज को ऑफिस मे बॉस और ऑफिस के बाहर दोस्त समझती थी.
समय बीतता गया और कविता अपने कामों मे पक्की होती चली गई. उसे लगभग साल होने आया था, अनुज के साथ ऑफिस मे.
कविता अनुज को अंकिता और विद्या से मिलाने घर बुलाई थी एक बार और अंकिता को अनुज की भावनाओं का थोड़ा थोड़ा अंदेशा भी हुआ था, पर अंकिता ने किसी से कुछ कहा नहीं.
अनुज ने कभी भी कविता को नहीं बताया के वो उससे प्यार करता है. क्यू उससे उसकी दोस्ती बहुत प्यारी थी जो उसे उसके करीब रखती है, और वो उस दोस्ती की बहुत इज्जत करता था.
विद्या तुझे लगता नहीं है आज कल कविता कुछ ज्यादा ही अनुज के साथ घूम रही है. अंकिता ने कविता को छेड़ने और उसकी मन की बात जानने के लिए कहा.
हाँ भाई बॉस और दोस्त और भी ऐसा दोस्त जो हमेशा साथ साथ घूमे मुझे भी कुछ हजम नहीं हो रहा है अंकिता. विद्या भी अंकिता का साथ देते हुए.
तुम दोनों ना चुप रहो वो बस अच्छा दोस्त है और कुछ भी नहीं वैसे भी वो कहा और मैं कहा कुछ भी बोलते हो तुम लोग बोलने के पहले सोचना तो चाहिए ना. और इतना बोल कर कविता बाहर चली गई.
कविता ने ऐसा इसलिए कहा क्यू की कविता के मुकाबले अनुज बहुत गोरा था, पर हमारी कविता जी को क्या पता के अनुज पहले से ही कविता के प्यार में था..
कुछ दिनों बाद AK Enterprises मे कुछ नया होने वाला था. जो अभी तक नहीं हुआ था. और जिससे बहुत से लोगों की जिंदगी मे बदलाव आने वाला था..
अब आप ये सोच रहे होंगे कि अनुज को तो ट्रेन वाली से प्यार हुआ था पर बीच मे कविता कहा से आ गई.
दरअसल वो कविता ही थी, कविता के बायोडाटा पर जो पत्ता था वो वही स्टेशन के यहा का था जहा वो उस दिन उतरी थी, और अनुज ने जब उसका पत्ता देखा तो बस पक्का करने के लिए किया था, पर उसे कहीं ना कहीं अंदर से पता था के ये वही होगी जिससे वो ट्रेन मे मिला था और उसका अंदेशा सच हो गया वो उस दिन ट्रेन में कविता से ही मिला था.....
हमारी जिंदगी भी ऐसे ही कुछ है कब किस मोड़ पर हमे कौन मिल जाए ये कोई नहीं जानता....