ऑफिस पहुँचते पहुँचते अनुज थोड़ा भीग गया था, यार ये बारिश भी ना बिन बुलाए मेहमान की तरह कभी भी आ जाती है. अनुज भीगते भीगते ऑफिस पहुचा.
अनुज को बारिश मे भीगना जरा सा भी पसंद नहीं था. इसीलिए वो हमेशा अपने पास छाता रखता था, पर आज देर होने की वजह से भूल गया था...
अपना बैग अपनी टेबल पर रख वो फ्रेश होने चला गया.
आईने में देख कर बालों को ठीक करते हुए उसे अचानक ही उस लड़की की याद आ गई.
कभी कभी हमारे साथ ऐसा होता है के कही किसी मोड़ पर कोई अनजान मिल जाता है, जिसका हमसे कोई कनेक्शन नहीं होता है, ना ही दुबारा मिलने की कोई उम्मीद, फिर भी हमे बार बार उस अजनबी का ख्याल आता रहता है.
टेबल पर आते ही अनुज ने अपना computer login किया और mail open दिखने लगा.
दोपहर के खाने के बाद आज अनुज सिगरेट पीने चला गया.
क्या अनुज सब ठीक है ना दोस्त, ''करन ने अनुज के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा'' मुझे क्या हुआ ठीक हू मैं, अनुज ने चेहरे पर बिना कुछ भाव लाते हुए कहा.
वो इस लिए भाई क्यू की तू जल्दी सिगरेट नहीं पिता है, राहुल ने कहा.
अरे नहीं बस ऐसे ही यार सिगरेट पीने का मन किया तो आ गया और कुछ नहीं, तुम लोग बताओ प्रोजेक्ट का क्या हाल चल रहा है अनुज ने सिगरेट को बुझाते हुए कहा.
हाँ सब ठीक चल रहा है भाई. करन और राहुल ने साथ में कहा
वैसे '' Recruitment'' का क्या चल रहा है, अनुज से करन से पूछा, हाँ दो दिन बाद है' ''Walk In'' है.
और हाँ अनुज इंटरव्यू के समय शायद तुझे भी रहना होगा, राहुल ने कहा, हाँ पता मुझे.
ठीक है चलो बाद में मिलते हैं, इतना बोल अनुज वहाँ से चला गया.
शाम मे अनुज को एक क्लाइंट से मिलता था, और जगह और समय दोनों पहले से तय था.
ऑफिस से थोड़ी सी दूरी पर एक कैफे मे अनुज अपनी मीटिंग खत्म की.
उसके क्लाइंट Mr. Dixit तो चले गए पर अनुज वही कैफे मे ही बैठा रहा.
थोड़ी देर बाद अनुज घर जाने के लिए जैसा ही उठा तो उसका पैर टेबल में लगा और खुद को संभालते हुए उसने बाजू के टेबल को पकडने के लिए हाथ रखा. वो खुद तो सम्भल गया था, पर टेबल पर रखी एक किताब उसका हाथ लगने की वजह से नीचे गिर गई थी.
उसने किताब उठाई तो वह किताब ''दिव्य प्रकाश दुबे जी'' की किताब ''अक्टूबर जंक्शन'' थी.
अनुज वह किताब उठा कर वापस अपनी जगह बैठ गया, उस पर एक दो तारीख लिखी हुई थी एक आज की और एक दो दिन बाद की. जिसकी भी ये किताब है लगता है उसने ये किताब आज ही खरीदी है और दो दिन मे पढ़ कर खत्म करने का टार्गेट रखा है.
अनुज ने अंदाजा लगाया और आस पास देखने लगा क्यू की जिस टेबल से उसे वह किताब मिली थी वह टेबल खाली था.
अनुज को वो किताब ना जाने क्यू भा गई, उसने किताब खोली तो उसमे उसे एक बायोडाटा मिला.
बायोडाटा अच्छे से पढ़ने के बाद उसने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और उस बायोडाटा पर लिखे ई-मेल पर कुछ मेल किया.
मेल करने के बाद उसने वह किताब उठाई और कैफ से बाहर अपनी बाइक के पास आया और घर के लिए निकल गया..
रात के खाने के लिए अनुज ने बाहर से ही खाना ऑर्डर किया था क्यू की वह घर में अकेले ही रहता था, उसने कई बार रूममेट रखने का सोचा पर फिर उसे ही नहीं जमा इसीलिए...
रात का खाना खाने के बाद उसने वह किताब उठाई और पढ़ते पढ़ते वो वही सोफ़े पर ही सो गया...