सभी की तरह कविता भी EOTY के बारे में सोच रही थी तभी विद्या ने उसे अपनी प्रमोशन की खबर सुनते हुए उसका ध्यान भंग किया.
वाह क्या बात है विद्या मैं बहुत खुश हू तुम्हारे लिए और कविता ने विद्या को गले से लगा लिया. पार्टी तो चाहिए ही हाँ विद्या, अंकिता ने घर में घुसते घुसते ही कहा, हाँ मेरी जान क्यू नहीं होगी ना पार्टी जरूर होगी, विद्या की बात सुनते ही तीनों जोर से हस पडे, और कविता और अंकिता ने विद्या को आकार गले से लगा लिया.
सुबह उठते ही सब अपने काम पर चले गये, अंकिता ने आज घर पर रहने के लिए छुट्टी ली थी, अंकिता ने कविता के लिए टिफिन पैक कर के दिया.
कविता रोज की तरह आज भी समय पर पहुच गई थी, वो कंप्युटर लॉगिन कर के फ्रेश होने जा ही रही थी के. उसे अनुज के कैबिन से कुछ आवाज आई.
अनुज के कैबिन में आवाज सुन कविता अनुज के कैबिन मे गई तो वहां अनुज पहले से ही था और अपने काम में लगा हुआ था, उसे देख ऐसा लग रहा था जैसे वो बहुत थका हुआ है और रात भर सोया नहीं है.
अनुज सर क्या मैं अंदर आ सकती हू कविता ने मजाक के मूड मे कहा हाँ, हाँ आओ ना कविता जी. क्या यार अनुज कविता जी ये क्या है. कविता ने मुह बनाते हुए कहा. तो अनुज सर क्या है हाँ, अनुज ने अपनी भौए चढ़ाते हुए कहा.
कविता ने एक दो बार अनुज से पूछा के वो ठीक है या नहीं पर अनुज ने उसे कहा के वो ठीक है. अनुज के जवाब से कविता ने फिर दुबारा नहीं पूछा,
अनुज के कैबिन की खिड़की बंद थी तो कविता ने सोचा खिड़कियां खोल दे और वो जैसे ही खिड़कियों की तरफ बढ़ी उसका पैर अनुज की टेबल से टकराया और वो नीचे गिर गई. उसे ऐसे देख अनुज ने उसे उठाया.
आज पहली बार कविता को अनुज का स्पर्ष बहुत अच्छा लगा और वो उस पल को महसूस करना चाहती थी, पर ये क्या, अनुज का हाथ तो गर्म था, फिर कविता ने उसके माथे को छू कर देखा तो उसे पता चला के अनुज को बुखार है.
कविता के बार बार कहने पर भी अनुज घर नहीं गया क्यू की आज उसे बहुत काम करना था EOTY के लिए, कविता के लिए इसलिए आज उसने कविता की बात नहीं मानी और कविता हार कर अपनी टेबल पर आ गई, पर उसे अनुज की ही चिंता लगी रही.
ऑफिस मे सभी को Mail मिल चुका था और अब जल्द ही आगे के टास्क सभी को दिए जाने वाले थे.
जैसे तैसे कविता ने ऑफिस में दिन बिताया और अनुज को घर जाने के लिए कहा, अनुज ने अब जाकर कविता की बात मानी क्यू की उसका काम भी अब हो चुका था.
कविता आज अनुज को घर छोड़ने गई थी, अनुज ने कहा के वो चला जाएगा फिर भी.
कविता मैं ठीक हू तुम चलो मैं तुम्हें घर छोड़ देता हू. चुप एक दम चुप अनुज मैंने तुम्हारी सुबह से मानी ना अब तुम मेरी बात सुनो, और जैसा मैं बोलूंगी तुम वैसा ही करोगे, कविता की आँखों में अनुज के लिए आज एक अजीब सा ही दर्द था जो अनुज शायद देख पा रहा था पर वो उस दर्द को दोस्ती का ही दर्द समझ रहा था. कविता ने अनुज को घर छोड़ा उसे खाना खिला कर और दवा दे कर वही उसके घर पर ही रुक गई.
उसने अंकिता और विद्या को बताया के वो आज घर नहीं आएगी, क्यू की वो अनुज के घर पर है, अंकिता को सुन थोड़ी हैरत हुई उसने कहा के, कविता तू सच मे अनुज से प्यार नहीं करती, अंकिता को तो साफ़ साफ़ कविता ने माना कर दिया था, पर शायद वो जानती थी के अंकिता सच कह रही थी..
और उसे पता नहीं क्या सूझा वो और वो वापस घर चली आई और बिना किसी से कुछ कहे, सीधा जाकर सो गई पर उसे मन ही मन अनुज की चिता सता रही थी.......