चौथे और पांचवे चरण के लिए सवालों को बरसात होने वाली थी, पर किन सवालों की ये किसी को नहीं पता था.
अब तक जो रेटिंगस का पोटला अनुज के हाथ अब वो किसी और के हाथ चला गया.
अनुज ने थोड़ा यहां वहां से पता कर के कविता को आइडिया देने गया पर कविता ने उसे कुछ भी कहने से मना कर दिया.
क्यू की कविता थोड़ी उसूलों वाली थी, उसे ऐसे सब करना पसंद नहीं था उसने तो कभी परिक्षा मे भी नकल नहीं की थी तो अब कैसे करती.
अनुज को माना करते करते कविता ने कह दिया कि, अगर तुम ऐसे ही मेरी मदद करते रहोगे तो '' मैं खुद को तुम्हारे काबिल कैसे बनाऊँगी, और कैसे तुम्हारे साथ चलूँगी''.
अनुज को कविता की बात पर विश्वास ही नहीं हुआ के कविता ने क्या कहा अभी और जो उसने सुना वो सच था या फिर. कविता की बात सुन अनुज उसके पास आया और बोला सच. कविता ने पलकें झुका ली, पर शर्माते हुए बोली ''हाँ''.
कविता की बात सुन अनुज ने उसे लगा लिया था, वो इतना खुश था मानो उसे किसी ने दुनिया की जागीर लाकर दे दी हो.
मुझे कोई अवार्ड नहीं चाहिए अनुज, मैंने बस ये सब तुम्हारे लिए किया, तुम्हारे काबिल बनने के लिए किया है, कविता के दोनों कंधों पर हाथ रख अनुज ने कहा,
कविता तुम्हें किसी काबिलियत का प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं है, और तुमने जो भी किया है सब अपने आप से किया है, और मुझे तुम पर पूरा यकीन तुम EOTY का खिताब जरूर जीतोगी.
अनुज की आँखों मे अपने लिए इतना विश्वास और प्यार देख कविता उसे देखती ही रह गई.
अनुज ने उसे दुबारा गले लगाया और उसके माथे पर अपना स्पर्श करते हुए कहा, '' All the best '' तुम ये खिताब जरूर जीतोगी..
अनुज की ये बात सुन कविता की आंखे नम हो गई और उसके चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ उठी.....
इस भाग को मैं यही रोक रही हू क्यू की अनुज को आज उसका प्यार मिला है तो थोड़ा हम भी खुशी मना ले...
आगे की कहानी अब अगले भाग मे अब देखना ये होगा कि इन दोनों को कहानी कब कौन सा मोड़ लेने वाली है.... EOTY की राह मे चलते चलते आगे और क