अनुज को EOTY की जरूरत नहीं थी, क्यू की उसने पाँच वर्षों में बहुत अच्छी Position हासिल कर ली थी.
और वैसे भी यह प्रतियोगिता बस Employees के लिए थी HOD या उनसे उपर वालों के लिए नहीं.
दूसरे दिन दिए गए टास्क मे भी सभी ने अच्छा प्रदर्शन किया और उसमे से चुने गए लोगों को तीसरे चरण के लिए लिया गया.
EOTY के लिए पाँच चरण रखा गया था, दो चरण तो कविता ने पार कर लिए थे, पर अब भी तीन चरण बाकी था.
तीसरा चरण उनके काम से थोड़ा हट कर था, अब उन्हें काम नहीं खेल खेलना था, तीसरे चरण मे खेल का आयोजन था. और लगभग तीसरे चरण में सभी को मज़ा आया, क्यू की उन लोगों ने आज तक ऑफिस मे एक साथ काम किया था, पर आज वो सब साथ मे खेल खेल रहे थे.
शतरंज, रेस, सुडुको, लुडो, कैरम जैसे छोटे छोटे खेलों का आयोजन किया गया था, जो वो आराम से खेल सके क्यू की बड़े खेलों के लिए उन्हें बहुत अभ्यास करना पड़ता और अभ्यास के लिए उनके पास समय नहीं था.
इस चरण को खेलते हुए लोगों ने बस खेल समझ ही खेला और बहुत आनन्द से खेला, क्यू की इस चरण को उन्होंने प्रतियोगिता समझ कर नहीं खेला. तीसरे चरण में जीते हुए विजेताओं को चौथे चरण के लिए भेजा गया.
कविता भी चौथे चरण तक पहुच चुकी थी, बड़ी मेहनत कर वो था तक पहुंचती थी, और उसकी रेटिंगस भी बहुत अच्छी थी.
अब तक उसकी रेटिंगस अनुज के हाथ में थी और कविता ने उसे चीटींग करने के लिए मना कर रखा था, क्यू की वो जानती थी के अनुज उसे ज्यादा रेटिंगस देगा.
क्यू की उसने अनुज को देख लिया था के उसने ज्यादा रेटिंगस दी थी दूसरे चरण के समय इसीलिए कविता ने अनुज को माना किया था, पर अनुज कहा इस बार कविता की बात मानने वाला था.
अब प्यार मे प्यार के लिए थोड़ी चीटींग तो चलती है, फिर भी अनुज ने कविता की बात मानी और साथ ही साथ उसने अपने दिल की भी मानी.
अब क्या करे दिल का मामला है ना, और इस पे कहा किस का जोर चलता है........
आशा है दोस्तों आपको ये कहानी पसंद आ रही होगी. अगले भाग मे आप सब के लिए एक छोटा का surprise है, उम्मीद है आपको वो surprise पसंद आएगा....
तब आप ये कहानी पढ़ते रहिए और अगला भाग मैं जल्द ही लाने वाली हू क्यू मुझे खुद से ही नहीं रहा जा रहा है...😉😉😉😉