मुल्ला नसरुद्दीन
लेखक
आर.के. चंद्रवंशी
तुर्की में जन्में, अपने दुबले पतले गधे पर बैठकर जगह - जगह देश विदेश में घुम घुम कर अपनी सूझबूझ, तेज बुद्धि, साहस और हास्य - व्यंग्य - विनोद द्वारा सबको चकित कर देने वाले विश्वभर में मशहूर विदुषक मुल्ला नसरुद्दीन से जुड़े १५० रोचक किस्से ।
सर्वेश्रेष्ठ कथाएं
आर. के. चंद्रवंशी के लेख - मुल्ला नसरुद्दीन: में संकलित सर्वश्रेष्ठ हास्य- व्यंग्यों व विनोदों का संग्रह
प्राक्कथन
मुल्ला नसरुद्दीन के किस्से मैंने नवम्बर २०२४ में लिखना प्रारंभ किया था। हिंदी में लेख संभव और सरल है, इसका पता मुझे देर से चला अभी भी हिंदी लेख अपने शैशव काल में है और इसमें अपार संभावनाएं हैं ।
संभवतः मुल्ला नसरुद्दीन के किस्से जैसा दूसरा कोई लेख हो परंतु यह लेख अद्वितीय है । इस लेख की समस्त सामग्री विभिन्न स्रोतों से लेकर तैयार की गई है।
पाठकों को यह स्वतंत्रता है कि वे इस लेख का आदर करते हुए इसकी सामग्री का जैसा चाहे वैसा उपयोग करें, इसके लिए मेरा आभार व्यक्त करने की बाध्यता नही है। अपने लेख पर मैं सर्वाधिकार पहले हीं समर्पित कर चुका हूं।
आशा है आपको मेरा यह प्रयास पसंद आएगा
"सबका मंगल हो।"
इस लेख की सामग्री किसी भी प्रकार से व्यवस्थित नहीं है इसे किसी भी पृष्ठ से पढ़ा जा सकता है। उसके अलावा यहां विषय सूची भी दी जा रही है जिससे पाठकों को पढ़ने में सुविधा होगी।
विषयसूची
१. मुल्ला नसरुद्दीन और शराब
२. मुल्ला नसरुद्दीन और बारात
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मुल्ला नसरुद्दीन और शराब
एक होटल में मुल्ला नसरुद्दीन प्रविष्ट हुआ। उसने एक गिलास शराब पीली और जोर से चिल्ला कर कहा, है किसी की ताकत की जरा आजमाइश कर ले ? लोग सिकुड़कर और डरकर बैठ गए। फिर उसने चिल्लाकर कहा कि कोई दमदार नहीं, कोई मर्द नहीं,सब नामर्द बैठे हैं? एक छोटा सा आदमी उठा। लोग तो चकित हुए कि यह छोटा सा आदमी किस लिए उठ रहा है! यह
तो इसको चकनाचूर कर देगा!!
लेकिन वह छोटा आदमी कराटे का जानकार था। उसने जाकर दो - चार हांथ मारे, वह जो मुल्ला नसरुद्दीन था, क्षण भर में जमीन में चारो खाने चित हो गया। और वह छोटा आदमी उसकी छाती पर बैठ गया और बोला, बोलो क्या इरादा है! देखा मर्द? वह मुल्ला नसरुद्दीन बड़ा हैरान हो गया।
उसने कहा भाई तू है कौन? तो उसने कहा मैं वही हूँ, जो तुम सोचते थे कि तुम हो, जब तुम होटल में भीतर आए थे।जो शराब पीकर तुमने सोचा कि तुम हो, मैं वही हूँ। कुछ कहना है?
मुल्ला नसरुद्दीन और बारात
मुल्ला नसरुद्दीन एक राह से गुजर रहा था। सांझ का वक्त था, धुंधलका था। और उसने एक किताब पढ़ी थी और किताब में डाकुओं और हत्यारों की बात थी। कुछ होगी पुराने जासूसी ढंग की किताब, भुत प्रेत, तिलिस्मी। वह घबराया हुआ था, किताब की छाया उसके सिर पर थी। उसने देखा कि लोग चले आ रहे हैं। उसने कहा मालुम होता है दुश्मन। और बैंड बाजे भी बजा रहे हैं, हमला हो रहा है। घोड़े पर चढ़ा आ रहा है कोई आदमी और तलवार लटकाए हुए। वह तो एक बारात थी। मगर वह बहुत घबरा गया। उसने देखा, यहां तो कुछ उपाय भी नहीं है। पास हीं एक कब्रिस्तान था, तो वह घबरा कर दीवाल छलांग कर कब्रिस्तान में पहुंच गया। वहां एक नयी- नयी कब्र खुदी थी। अभी मुर्दा लाने लोग गए होंगे कब्र खोदकर तो वह उसी में लेट गया। उसने सोचा कि मुर्दे की कौन झंझट करता है।
लेकिन उसको ऐसा छलांग लगा कर देखकर, छाया को उतरते देखकर बाराती भी घबरा गए कि मामला क्या है। अचानक एक आदमी छलांग लगाया, भागा -- वे भी देख रहे हैं।
वे भी घबरा गए, उन्होंने भी बैंड बाजे बंद कर दिए। जब बैंड बाजे बंद कर दिए तो मुल्ला ने कहा मारे गए! देखे गए! वह बिल्कुल सांस रोककर पड़ा रहा। वे भी आहिस्ता से दीवाल के ऊपर आकर झांके। जब बारातियों ने दीवाल के ऊपर झांका, उसने कहा हो गया खात्मा समझो! अब पत्नी - बच्चों का मुँह दुबारा देखने न मिलेगा। और जब उसको उन्होंने देखा कि वह आदमी , बिल्कुल जिंदा आदमी गया और नयी - नयी खुदी कब्र में बिल्कुल मुर्दे की तरह लेटा । उन्होंने कहा, कोई जालसाजी है। यह आदमी हमला करेगा, बम फेकेगा या क्या करेगा! तो वे सब आए लालटेनें लेकर, मसालें जलाकर खड़े हो गए चारों तरफ।
अब मुल्ला कब तक सांस रोके रहे! आखिर सांस सांस ही है । थोड़ी देर रोके रहा, फिर उठ कर बैठ गया। उसने कहा, अच्छा भाई कर लो जो करना है। उन्होंने कहा, क्या करना, क्या मतलब? तुम क्या करना चाहते हो? तब उसकी समझ में आया। उन बारातियों ने पूछा कि तुम यहां क्या कर रहे हो? तुम इस कब्र में क्यों लेटे हुए हो? तो नसरुद्दीन ने कहा, हद हो गई। मैं तुम्हारी वजह से यहां हूँ और तुम मेरी वजह से यहां हो! और बेवजह सारा मामला है। जब उसने देखा लालटेन बगैरह, ज्योति में की यह तो बारात है, दूल्हा - वुल्हा सजाए है, कहीं कोई हमला करने नहीं जा रहे। अपना वहम है।