![नागेंद्र प्रताप सिंह](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fusers%2Fnagendra-pratap-singh_6457487873244962c0b516fb_1683959540565.jpg&w=384&q=75)
नागेंद्र प्रताप सिंह
Advocate & Social Worker (Worked with WHO "IPPI")
![परिस्थितिकीय लेख](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Fparisthitiki-lekh_nagendra-pratap-singh_1686158274806.jpg&w=384&q=75)
परिस्थितिकीय लेख
ये पुस्तक परिस्थितयो के द्वारा उत्पन्न स्थितियों पर विचारों की एक श्रृंखला है, जिसे पढ़ने के पश्चात आपका आकर्षण और भी सशक्त और दृढ हो जायेगा।
![परिस्थितिकीय लेख](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Fparisthitiki-lekh_nagendra-pratap-singh_1686158274806.jpg&w=256&q=75)
परिस्थितिकीय लेख
ये पुस्तक परिस्थितयो के द्वारा उत्पन्न स्थितियों पर विचारों की एक श्रृंखला है, जिसे पढ़ने के पश्चात आपका आकर्षण और भी सशक्त और दृढ हो जायेगा।
![क्या कहता है कानून?](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Fkya-kahta-hai-kanun-_nagendra-pratap-singh_10275258_1686234140205.jpg&w=384&q=75)
क्या कहता है कानून?
वैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत हि समाजिक, आर्थिक और धार्मिक चेतना का विकास होता है। विधि भी अध्यात्म की भांति संतुलन, समन्वय और सहकार्य में रमती है। इस किताब में हम कुछ महत्वपूर्ण विधिक पहलुओं का काँट छांट और विच्छेदन करेंगे।
![क्या कहता है कानून?](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Fkya-kahta-hai-kanun-_nagendra-pratap-singh_10275258_1686234140205.jpg&w=256&q=75)
क्या कहता है कानून?
वैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत हि समाजिक, आर्थिक और धार्मिक चेतना का विकास होता है। विधि भी अध्यात्म की भांति संतुलन, समन्वय और सहकार्य में रमती है। इस किताब में हम कुछ महत्वपूर्ण विधिक पहलुओं का काँट छांट और विच्छेदन करेंगे।
![हम सबके राम।](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Fham-sabke-ram-_nagendra-pratap-singh_10275238_1686155804995.jpg&w=384&q=75)
हम सबके राम।
प्रभु श्रीराम के निश्चल प्रेम, त्याग, तपस्या, कर्मसाधना् राजधर्म, पुत्रधर्म, पतिधर्म, संयम, साहस और समाज के प्रति उनके समर्पण को प्रस्तुत करने वाली लीलाओं का वर्तमान परिस्थितियों के अंतर्गत समीक्षात्मक परिचर्चा हि इस पुस्तक का मुख्य ध्येय है।
![हम सबके राम।](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Fham-sabke-ram-_nagendra-pratap-singh_10275238_1686155804995.jpg&w=256&q=75)
हम सबके राम।
प्रभु श्रीराम के निश्चल प्रेम, त्याग, तपस्या, कर्मसाधना् राजधर्म, पुत्रधर्म, पतिधर्म, संयम, साहस और समाज के प्रति उनके समर्पण को प्रस्तुत करने वाली लीलाओं का वर्तमान परिस्थितियों के अंतर्गत समीक्षात्मक परिचर्चा हि इस पुस्तक का मुख्य ध्येय है।
![वेद हि विज्ञान माता-पिता।](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Fved-hi-vigyan-mata-pita-_nagendra-pratap-singh_10275246_1686197232655.jpg&w=384&q=75)
वेद हि विज्ञान माता-पिता।
आज हम विज्ञान, दर्शन, भौतिक, रसायन, अर्थ, अध्यात्म, समाज, धर्म, न्याय, चिकित्सा, अनुवंशिकी, खगोल, गणित, ज्यामितीय, जीव और वनस्पति इत्यादि शास्त्रों को देख रहे हैँ, सुन रहे हैँ और पढ़ रहे हैँ, उन सभी की उत्पत्ति वेदों से हि हुई है। ऋग्वेद, सामवेद, अथर
![वेद हि विज्ञान माता-पिता।](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Fved-hi-vigyan-mata-pita-_nagendra-pratap-singh_10275246_1686197232655.jpg&w=256&q=75)
वेद हि विज्ञान माता-पिता।
आज हम विज्ञान, दर्शन, भौतिक, रसायन, अर्थ, अध्यात्म, समाज, धर्म, न्याय, चिकित्सा, अनुवंशिकी, खगोल, गणित, ज्यामितीय, जीव और वनस्पति इत्यादि शास्त्रों को देख रहे हैँ, सुन रहे हैँ और पढ़ रहे हैँ, उन सभी की उत्पत्ति वेदों से हि हुई है। ऋग्वेद, सामवेद, अथर