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" नमो" , भारत और विश्व की अर्थव्यवस्था |

24 अक्टूबर 2024

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हे मित्रों, ईश्वर की असीम अनुकम्पा है हम भारतीयों के ऊपर कि हमने सही समय पर सही निर्णय लिया और किसी के बहकावे में ना आकर हम अपने निर्णय पर अडिग रहे और  अपने  देश  की  बागडोर  श्री  नरेंद्र  दामोदरदास  मोदी  जी  के  अनुभवी,  भरोसेमंद और  राष्ट्रभक्त  हाथों  में  रखी । आइये हम एक विश्लेषण करते हैं कि, हमारा निर्णय हमारे लिए, हमारे समाज के लिए और हमारे राष्ट्र के लिए कितना महत्वपूर्ण और लाभदायक था।

आज के परिवेश में यदि देखें तो वामपंथी देश चिन से फैले कोरोना नामक महामारी ने सम्पूर्ण विश्व के अर्थव्यवस्था को गहरी चोट दी, आइये कुछ उदाहरण से समझते हैं: -

१:- श्रीलंका एक फलता फूलता देश था, पर परिवारवाद और भ्रष्टाचार और वामपंथी देश चिन के कर्ज जाल से पीड़ित इस देश को कोरोना महामारी के प्रभाव ने कंगाल बना दिया। वंहा जबरदस्त क्रांति हो गई और जनता ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया। अत्यंत जटिल परिस्थितियों से जूझ रहा श्रीलंका गृह युद्ध की ओर बढ़ चला, परन्तु भारत ने अग्रज भ्राता का कर्तव्य निभाते हुए ना केवल स्वय श्रीलंका को मुद्रा और आवश्यक वस्तुओ से सहायता पहुंचाई अपितु विश्व के अन्य संस्थाओ से अपनी गारंटी पर ऋण भी दिलवाया। आज श्रीलंका भारत के सहयोग से उबरने की कोशिश कर रहा है।

२:- पाकिस्तान जो हमेशा मिलिट्री निरंकुशता के छत्रछाया में रहा और जिसने आतंक के बीज बोकर उसकी फसल को पूरे विश्व में फैलाया और अपनी गलत नीतियों के कारण विश्व से मिलने वाले ऋण को आतंकवाद और अपनी सेना पर खर्च किया, उस पाकिस्तान को चिन के कर्ज, आतंकवाद और कोरोना के दुष्प्रभाव ने लगभग बर्बाद कर दिया। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार भुट्टो ने एक बार कहा था " भले घाँस कि रोटी खानी पड़े पर हम एटम बम बना के रहेंगे" और मित्रों उनका यह सपना आज पूरा हो रहा है। पाकिस्तान एटम बम बना चुका है और आज घाँस की रोटी खा रहा है, क्योंकि गेहूं, आटा, तेल, दूध, पानी, किरोसीन तेल, पेट्रोल, डीजल अत्यधिक महंगे हो गए हैं। पाकिस्तान के पास केवल १५ दिन तक मुल्क चलाने का पैसा बचा है। कर्ज में डूबा पाकिस्तान हर दरवाजे पर कटोरा लेकर भीख माँग रहा है। आज पाकिस्तान में बिजली, गैस और अन्य जरूरत की सामान्य वस्तुऐ भी नहीं मिल रही हैं। पाकिस्तान पूरा कंगाल हो चुका है और अब गृह युद्ध कि तैयारी में है।

३:- न्यूजीलैंड , हे मित्रों ये एक छोटा सा मुल्क है, परन्तु इस छोटे से मुल्क में भी कोरोना महामारी का अत्यंत बुरा प्रभाव दिखाई दे रहा है। सरकार के खजाने में मुद्रा की कमी और लगातार बढ़ रहे ऋण के बोझ ने इस देश की अर्थव्यवस्था को तोड़ कर रख दिया है। बेरोजगारों कि बढ़ती संख्या, महंगाई और इससे देश को ना उबार पाने के कारण वंहा के प्रधानमंत्री ने बड़े दुःखी ह्रदय से रोते हुए अपना पद छोड़ दिया। अब इस देश कि अर्थव्यवस्था बगैर किसी दिशा के अधर में लटक रही है, जनता का क्रोध सातवे आसमान पर है।

४:- ऑस्ट्रेलिया, हे मित्रों यह भी एक छोटा सा देश है, पर कोरोना के दुष्प्रभाव से यंहा की अर्थव्यवस्था अपनी अंतिम सांसें ले रही है। सरकार द्वारा सुरक्षित मुद्रा कोष से धन निकालकर देश को चलाया जा रहा है, परन्तु कब तक। ये सुरक्षित मुद्रा कोष खत्म हुआ , फिर क्या होगा, कैसे महंगाई, बेरोजगारी और अन्य जटिल समस्याओ का हल निकलेगा। स्थिति बड़ी गंभीर और विकट है।

५:- इंग्लैड, हे मित्रों भारत सहित कई देशों को वर्षो तक लुटने वाले इंग्लैंड के हालत तो और बदतर हैं, वंहा पिछले चार वर्षो में  तीन प्रधानमंत्री बदल दिए गए। बेरोजगारी, महंगाई, सुरक्षित मुद्रा कोष में कमी और बढ़ते कर्ज ने इंग्लैंड कि अर्थव्यवस्था कि जड़े हिला दी हैं। वंहा आए दिन धरना प्रदर्शन हो रहे हैं। इंग्लैंड कि सरकार का मुखिया आज एक भारतीय है और उसके नीतियों ने कुछ हद तक इंग्लैंड कि जनता को राहत पहुंचाई है, परन्तु इंग्लैंड को शिघ्रता से इस स्थिति से उबरने कि अवश्यक्ता है।

६:- अपने डॉलर के बल पर पूरी दुनिया कि अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने वाला अमेरिका आज स्वय दयनीय स्थिति में है। उसे भी आर्थिक मंदी का डर सता रहा है। वंहा भी सरकार के नीतियों की कड़ी आलोचना हो रही है। रूस -युक्रेन युद्ध में युक्रेन का साथ देकर पूरे यूरोप कि अर्थव्यवस्था को डवाडोल कर देने वाले अमेरिका के अंदरूनी हालत बेहद खराब हैं।अमेरिका एक ओर ईरान, दूसरी ओर रूस और तीसरी ओर चिन से युद्ध करने के मुहाने पर खड़ा है।

७:- मित्रों पूरे विश्व में कोरोना नामक महामारी फैलाने वाले वामपंथी देश चिन की अर्थव्यवस्था भी बुरे दौर से गुजर रही है। चिन आज भी कोरोना महामारी से लड़ रहा है। भारत कि वेक्सिन का सहारा लेकर वो अपने देश के नागरीको को बचाने कि कोशिश कर रहा है। आज भारत ने चिन को कई क्षेत्रो में पीछे कर दिया है। बहुत सी विदेशी कम्पनियां चिन का त्याग कर भारत में या तो स्थापित हो चुकी हैं या फिर स्थापित होने का प्रयास कर रही हैं।

८:-इसी प्रकार मित्रों अफ्रीका और यूरोप के कई देशों कि अर्थव्यवस्था का वहीं स्तर है जो ऊपर बताया गया है। रूस और युक्रेन के युद्ध ने फ्रांस, जर्मनी, पोलैंड, तथा अन्य NATO  समूह मे सम्मिलित देशों के हालात खराब कर दिए हैं,  ना केवल गैस, पेट्रोल, डीजल और केरोसिन तेल अपितु खाद्यान्न कि भारी कमी पैदा हो चुकी है और NATO समूह के देशों के साथ साथ मिश्र, मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलिपिंस, जापान, सऊदी अरब तथा अन्य खाड़ी के देश गेंहू और अन्य खाद्यान्न के लिए भारत पर निर्भर हो चुके हैं।

९:- रसिया, हे मित्रों रसिया के बारे में क्या बताए, ये युक्रेन से पिछले एक वर्ष से युद्धरत है। इस युद्ध के कारण अनेक प्रतिबन्ध का सामना कर रहा है। भारत के द्वारा मित्रता निभाने से और भारत के कारण सऊदी अरब और ( ईरान) और अन्य अफ़्रीकी देशों से होने वाले व्यापार  से अपनी अर्थव्यवस्था को सम्हाले हुए है।

१०:- मित्रों अब अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, बंगलादेश म्यांमार इत्यादि जैसे छोटे देश भी भारत कि अर्थव्यवस्था से लाभ प्राप्त कर स्वय को जिंदा रखे हुए हैं।

अनुत्थाने ध्रुवो नाशः प्राप्तस्यानागतस्य च । प्राप्यते फलमुत्थानाल्लभते चार्थसम्पदम् ।।

अर्थात  :- यदि राजा उद्योगरत तथा विकास-कार्यों के प्रति सचेत न हो तब जो धनसंपदा-पूंजी उसके पास पहले से मौजूद हो और जो कुछ भविष्य के गर्त में मिल सकने वाला हो (अनागत), उन दोनों, का नाश अवश्यंभावी है । सतत प्रयास, श्रम, उद्यम में संलग्न रहने पर ही सुखद फल और वांछित संपदा-संपन्नता प्राप्त होते हैं । मित्रों शास्त्र रूपी या ज्ञान को चरित्रार्थ करते हुए , हमारे सर्वाधिक लोकप्रिय नेता ने वो कदम उठाए जिसकी दुनिया आज भी सराहना कर रही है। मित्रों तनिक स्वयं के द्वारा लिए गए निर्णय पर ध्यान दीजिये, आपने अपने देश को एक शसक्त, ईमानदार और अत्यंत बुद्धिमान हाथों में सौपा जिसने अपना राजधर्म निभाते हुए देश को सर्वोपरि रखा और जनता की भलाई को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और इसीलिए उसने:-

१:- जन धन योजना से करोड़ो लोगों के बैंक खाते खुलवाए; २:- स्वच्छ् भारत योजना के तहत घर घर शौचालय बनवाया; ३:- आयुष्मान योजना लाकर ( दुनिया का सबसे बड़ा बीमा योजना) गरीब वर्ग को ₹५ लाख तक बीमा दिलवाया; ४:- सम्पूर्ण कोरोना काल में ८० करोड़ लोगों को मुफ्त में अनाज देता रहा और आज तक दे रहा है; ५:- देश में हि कोरोना वेक्सिन बनवाया; ६:- देश के सीमावर्ती क्षेत्रो सहित सम्पूर्ण देश में सड़क, हाइवे और सुरंग का अद्भुत जाल बिछाया; ७:- पेट्रोल, डीजल और केरोसिन तेल का सुरक्षित भण्डारण किया; ८:- प्रधानमंत्री रोजगार मुद्रा योजना से लाखों "Start up" कम्पनियां खोलने का हौसला दिया; ९:- रुस और युक्रेन के युद्ध में "युद्ध ना करने और विश्व शांति का संदेश देते हुए" किसी का पक्ष नहीं लिया और अपनी मित्रता निभाते हुए रूस से सस्ते दरो पर तेल प्राप्त किया और यही नहीं देश को सुरक्षित रखने के लिए रूस से S४०० खरीदा, फ्रांस से राफेल खरीदा और DRDO कि योग्यता से अनेक मिसाइल का निर्माण करवाया। तेजस लडाकू विमान कि माँग तो पूरे विश्व में है। हे मित्रों आज जितना दम खम भारतीय सेना का दिख रहा है, ऐसा पूर्व में कभी देखने को नहीं मिला। आज हमारी सेना विश्व के सबसे शक्तिशाली सेनाओ में से एक है। १०:- कोरोना के दौरान जब सम्पूर्ण विश्व स्वार्थ में डूबा अपना अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लगा था, तब उसने हमें "आपदा में अवसर" का महत्वपूर्ण सिद्धांत दिया, जिस पर चलकर हमने पूरी दुनिया को ना केवल दवा और कोरोना कि वेक्सिन दी अपितु खाने को अन्न और पहनने को वस्त्र भी दिए। मेक इन इंडिया और मेड इन इंडिया ने तो कमाल हि कर दिया। ११:- यही नहीं मित्रों किसान सम्मान निधि योजना से किसानों कि सबसे बड़ी चिंता हि दूर कर दी; १२:- विधवा पेंशन, वृद्ध पेंशन और अन्य भुगतानो से वरिष्ठ नागरिकों को सुकून पहुंचाया; १३:- औषधि योजना से लाखों रुपए कि लागत वाली दवाओ को हजार और सौ के अंदर ले आया; १४:- कई क्रन्तिकारी परिवर्तन और संशोधन के जरिये उसने मनी लाउंड्रिंग, काला बाजारी, बेनामी संपत्ति और काला धन पर बहुत हद तक अंकुश लगा दिया; १५:- परीक्षा पे चर्चा और मन की बात जैसे कार्यक्रमों से उसने जनता, क्षात्र और अभिभावक वर्ग के ह्रदय को जीत लिया। और इस प्रकार उसने एक ऐसी अर्थव्यवस्था का निर्माण किया जिसके दम पर वो अपना राजधर्म निभा रहा है और भारत कि जनता अपना लोक धर्म निभा रही है। अब भारत में घबराहट केवल विपक्ष के नेताओं को है, कि कैसे जब सारी दुनिया परेशान है तो भारत और भारत की जनता चैन से अपने अपने कार्य  में व्यस्त है। भारत के विपक्षी पार्टी के नेता भारत कि मजबूत अर्थव्यवस्था को देख कर परेशान और चिन्तित हैं, उन्हें ऐसी अर्थव्यवस्था कि उम्मीद नहीं थी।

प्राज्ञे नियोज्यमाने तु सन्ति राज्ञः त्रयोगुणः । यशः स्वर्गनिवासश्च विपुलश्च धनागमः ॥

अर्थात : - बुद्धिमान लोगों की नियुक्ति करने वाले राजा को तीन चीज़ों की प्राप्ति होती है – यश, स्वर्ग और बहुत धन। अब आइये देखते हैं कि शास्त्र से मिले इस ज्ञान को किस प्रकार प्रयोग में लाया गया। मित्रों ये उस व्यक्ति के दूरदर्शिता का परिणाम है, जिसके हाथो में हमने देश कि बागडोर सौपी है। हमारे देश के विदेश मंत्री श्री एस जयशंकर हों या वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण, गृह मंत्री श्री अमित शाह हों या रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी या फिर विश्व के कई बड़े उद्योगपतियों को अपनी कर्मठता, राष्ट्रभक्ति और ईमानदारी से कार्य करना सिखाने वाले श्री नितिन गडकरी हों या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजित दाभोल जी हों सभी अपने अपने क्षेत्रों के महारथी हैं, कोई किसी से कम नहीं। अब ऐसी केबिनेट जिस देश में कार्य  कर रही हो भला उसकी अर्थव्यवस्था कैसे बिगड़ सकती है।

हमारे शास्त्रों में राजधर्म को कुछ इस प्रकार बताया गया है:- "  प्रजासुखे सुखं राज्ञः प्रजानां च हिते हितम् । नात्मप्रियं हितं राज्ञः प्रजानां तु प्रियं हितम् ।।"  

अर्थात :- प्रजा के सुख में राजा का सुख निहित है; अर्थात् जब प्रजा सुखी अनुभव करे तभी राजा को संतोष करना चाहिए । प्रजा का हित ही राजा का वास्तविक हित है । वैयक्तिक स्तर पर राजा को जो अच्छा लगे उसमें उसे अपना हित न देखना चाहिए, बल्कि प्रजा को जो ठीक लगे, यानी जिसके हितकर होने का प्रजा अनुमोदन करे, उसे ही राजा अपना हित समझे ।

इसी प्रकार हमारे शास्त्र आगे कहते हैं: - " तस्मान्नित्योत्थितो राजा कुर्यादर्थानुशासनम् । अर्थस्य मूलमुत्थानमनर्थस्य विपर्ययः ।।"  

अर्थात  :- अतः उक्त बातों के मद्देनजर राजा को चाहिए कि वह प्रतिदिन उन्नतिशील-उद्यमशील होकर शासन-प्रशासन एवं व्यवहार के दैनिक कार्यव्यापार संपन्न करे । अर्थ यानी संपदा-संपन्नता के मूल में उद्योग में संलग्नता ही है, इसके विपरीत लापरवाही, आलस्य, श्रम का अभाव आदि अनर्थ (संपन्नता के अभाव या हानि) के कारण बनते हैं ।

दुष्टस्य दण्डः स्वजनस्य पूजा न्यायेन कोशस्य हि वर्धनं च । अपक्षपातः निजराष्ट्ररक्षा पञ्चैव धर्माः कथिताः नृपाणाम् ॥

अर्थात:-   दुष्ट को दंड देना, स्वजनों की पूजा करना, न्याय से कोश बढाना, पक्षपात न करना, और राष्ट्र की रक्षा करना – ये राजा के पाँच कर्तव्य है। और मित्रों हमने और अपने जिसे चूना है, वो इन सभी गुण धर्म पर पूर्णतया खरा उतरता है। उसने सदैव राष्ट्र और उसके पश्चात प्रजा को सर्वोपरि मानकर अपना राजधर्म निभाया है। हम सब विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता और अपने प्रधानमंत्री जी के साथ हैं और सदैव रहेंगे। 

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रचनाएँ
वो नहीं तो कौन ?
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मित्रों ये किताब उस व्यक्ति विशेष को समर्पित है जिसके सद्चरित्र, अनुशाशन, ईमानदारी, शांतिप्रियता, कर्मठता और अपने राष्ट्र और राष्ट्जनो के प्रति अथाह प्रेम और समर्पण का कायल सम्पूर्ण विश्व है | आप में से बहुत लोग मेरे विचार से असहमत हो सकते हैं परन्तु वर्तमान में भारत की स्थिति और विश्व के अन्य देशों की स्थिति का तुलनात्मक विशेलषण करने के पश्चात आपकी असहमति कुछ सिमा तक सहमति में परिवर्तित हो सकती है | हमारे शास्त्रों केअनुसार "विदेशेषु धनं विद्या व्यसनेषु धनं मति:। परलोके धनं धर्म: शीलं सर्वत्र वै धनम्॥" अर्थात विदेश में विद्या धन है, संकट में बुद्धि धन है, परलोक में धर्म धन है और शील(अच्छा चरित्र ) सर्वत्र ही धन है! इसी को चरितार्थ करता वो महापुरुष विश्व का सबसे लोकप्रिय जनप्रतिनिधि बन कर उभर चूका है| वृतं यत्नेन संरक्षेद वित्तमेति च याति च | अक्षीणो वित्ततः क्षीणो वृत्ततस्तु हतो हतः!" अर्थात चरित्र की यत्नपूर्वक रक्षा करनी चाहिए। धन तो आता-जाता रहता है। धन के नष्ट होने पर भी चरित्र सुरक्षित रहता है, लेकिन चरित्र नष्ट होने पर सबकुछ नष्ट हो जाता है। और उस महापुरुष के पावन जीवन से इसी तथ्य की शिक्षा मिलती है | वो महा व्यक्तित्व जानता है कि "येषां न विद्या न तपो न दानं, ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः । ते मृत्युलोके भुवि भारभूता, मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति! अत: वोअपने ज्ञान के प्रकाश से विश्व को रोशन करता है और अपना सर्वस्य दान कर देता है | वो एक तपस्वी का जीवन जीता है और कर्म को अपने जीवन का आधार बना के ही जीता है | वो यह भी जानता है कि "मानं हित्वा प्रियो भवति। क्रोधं हित्वा न सोचति।।कामं हित्वा अर्थवान् भवति। लोभं हित्वा सुखी भवेत्।।" इसीलिए हर प्रकार के अहंकार को त्याग कर सबका प्रिय बन चूका है| उसने क्रोध, कामेच्छा तथा लोभ को त्याग कर स्वयं को सुखी बना लिया है और सबको प्रेरित कर रहा है। "यथा चित्तं तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रियाः ! चित्ते वाचि क्रियायांच साधुनामेक्रूपता !!" वो अच्छा है इसलिए उसके ह्रदय में जो है उसे ही वो प्रकट करता है, वो जो कहता है वही करता है , उसके मन, वचन और कर्म में समानता होती है | और जब ऐसे व्यक्ति का विरोध कोई करता है तो मैं उससे केवल एक प्रश्न पूछता हूँ कि "वो नहीं तो कौन ?"
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आखिर उस “चायवाले” के व्यक्तित्व में ऐसा क्या विशेष है?

22 अक्टूबर 2024
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वर्ष 2014 से विपक्ष में बैठे बेरोजगारी का मातम मनाने वाले छदमधर्म-निरपेछतावादीयों और छदमउदारवादीयों के मस्तिष्क मेंअक्सर ही ये जिज्ञासा कौतूहल के साथ उत्पन्न होती है कि“आखिर उस “चायवाले” के व्यक्तित्व

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आखिर विपक्षि नेता हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी से चीढते क्योँ हैं?

22 अक्टूबर 2024
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 मित्रों अब ये तथ्य किसी से छिपा नहीं है , कि आज विश्व के ही नहीं अपितु भारत की विपक्षी राजनितिक पार्टियों के नेता पूर्णतया "मोदी विरोध " की राजनीति में डूब चुके हैं | मोदी विरोध में ये कभी भी कि

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श्री एस जयशंकर जैसा सपूत और श्री नरेंद्र मोदी जी जैसा जौहरी|

22 अक्टूबर 2024
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जी हाँ दोस्तों विदेशो में हमारे देश के मुख अभिव्यक्ति बने श्री एस जयशंकर जी कि राजनितिक वाक्पटुता और स्पष्टवादिता के सभी मूरीद हो चुकेहैं, धन्य हैं हमारे पारखी प्रधानमंत्री जिन्होंने इस हिरे को परखा औ

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क्या मोदी विरोधी मोदीफोबिया रूपी एक रहस्यमय मानसिक बीमारी से त्रस्त है?

22 अक्टूबर 2024
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 मित्रों उसमहामानव के विरुद्ध दुर्भावना की अभिव्यक्ति उस वर्ष से हि शुरूहो गई थी जब वो प्रथम बार गुजरात के मुख्यमंत्री पद से सुशोभित हुआ। यद्यपि उसने गोधरा के दंगों और फसादों से किसी शुरवीर कि भांति ल

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हत्या का षड्यंत्र २०२० में और उस पर अमल २०२२ में|

22 अक्टूबर 2024
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साल २०२० में एक यूट्यूब चैनल पर खालिस्तानी आतंकवादियो ने एक एनिमेटेड वीडियो अपलोड किया था, जिसमें जो कुछ दिखाया गया था वो कुछ इसप्रकार है:- १:- प्रधानमंत्री जी अपने कार्यालयसे बाहर निकलते हैं अपनी SPG

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वो पीढियों से चली आ रही मांगे पूरी कर रहे, हमें उनका साथ नहीं छोड़ना|

23 अक्टूबर 2024
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मैं बहुत  पीछे नहीं जाना चाहता, बस तथाकथित स्वतन्त्रता वाले वर्ष से २०१४ तक कि अवधी (जिसमें स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री जी और स्व श्री अटलबिहारी वाजपेयीजी के कार्यकाल को छोड़कर) हिंदुस्तान का सना

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Deep Fake Video, Tool Kit और कांग्रेस।

23 अक्टूबर 2024
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मित्रों कांग्रेस लोकतंत्र के महा पर्व  वर्ष २०२४ के लोकसभा चुनाव को लोकतंत्र की दृष्टि से नहीं अपितु एक भयानक युद्ध की दृष्टि से देख रही है और उसी दृष्टि से भाग भी ले रही है। काग्रेस अपने अस्तित्व की

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राष्ट्रवाद और राष्ट्रवादी क्यों जरूरी है?

23 अक्टूबर 2024
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 देख लो जब अफगानिस्तान पर तालिबान ने आक्रमण कर कब्जा करना शुरू किया तो वंहा कि जनता के साथ साथ सेना ने भी बुजदिलो कि तरह आत्मसमर्पण कर दिया। उनके पास पेट्रोल, डीजल कि कमी नहीं थी, सारी दुनिया से मदद भ

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हमारा संविधान खतरे में है, हमें संविधान को बचाना है|

23 अक्टूबर 2024
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 मित्रों जैसा की आप और हम वर्ष २०१४ से लगातार अपने देश में एक शोर सुन रहे हैं, खासकर विपक्ष का हर नेता और उनकी पार्टी का हर कार्यकर्ता चीख चीख कर जनता को बता रहा है कि “हमारा संविधान खतरे में है, हमें

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भारत कि सशक्त और धाकड़ विदेश नीति।

23 अक्टूबर 2024
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मित्रों आज से कुछ वर्ष पूर्व गीतकार और कवी प्रसून जोशी के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए   हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदीजी ने कहा था कि “भारत ना आँखे उठा के बात करता है और ना आँखे

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आपदा सदैव एक अवसर के साथ आती है|

23 अक्टूबर 2024
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जी हाँ,  मित्रों जब पूरे विश्व में कोरोना काल का भयानक दौर चल रहा था, सर्वत्र त्राहि माम त्राहि माम की असहनीय दशा अपने चरम पर थी, तब हमारे प्रधानमंत्री (श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी) ने देशवासियो का

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भयानक षड्यंत्र, भ्रष्टाचार और नफरत का धंधा , गोधरा |

23 अक्टूबर 2024
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मित्रों ये सत्य है कि प्रतिष्ठित परिवार में जन्म ले लेने से ही कोई व्यक्ति उस प्रतिष्ठा का अधिकारी नहीं हो जाता और यदि उसे प्रतिष्ठित मान भी लिया जाए तो, यह उसके अपने कर्म पर निर्भर करता है कि वो व्यक

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विपक्ष की राजनीति केवल "विरोध"।

23 अक्टूबर 2024
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जी हाँ मित्रों आज का विपक्ष केवल एक मुद्दे पर जिवित है और वो है "विरोध"। विरोध यदि सकारात्मक है तो उसका प्रभाव राष्ट्र के जनमानस पर अवश्य पड़ता है और वो भी उसमें सम्मिलित होने का प्रयास करता है उदाहरण

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पसमांदा मुसलमानो के लिए मसीहा बने " नमो" |

23 अक्टूबर 2024
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 जी हाँ मित्रों आज तक आपने मुसलमानो के केवल “शिया” या “सुन्नी” नामक दो बड़े भागो में विभक्त देखा होगा या फिर इन्हें “हनफि”, “अहमदीया”, “देवबन्दी”, “देहलवी”, ” बरेलवी”, “बहावी” और कई प्रकार की जमातो में

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ब्रिटेन को पछाड़कर विश्व की पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना भारत |

23 अक्टूबर 2024
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 जी हाँ मित्रों आज अंग्रेजों और अंग्रेजों का पक्ष लेने वाले और भारत में रहने वाले उनके चाटुकारो के लिए निसंदेह दुःख भरा दिन है, परन्तु प्रत्येक सच्चे भारतीय के लिए आज का दिन गौरवमय आंनद से भरा उत्सव ज

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श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदीजी विरुद्ध ममता, नितीश, केजरी और राहुल|

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 मित्रों मैं आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूँ वर्ष २०२४ में होने वाले लोकसभा चुनाव और प्रधानमंत्री पद के उम्मीद्वारो पर। ज़रा ध्यान दीजिये एक ओर है, आदरणीय श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी यदि हम ईनके

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पहले काबिलियत पैदा करो फिर मैदान में आओ।

23 अक्टूबर 2024
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जो कर्मयोगी है वो कभी रिटायर नहीं होता है। जो कर्म में विश्वास रखता है वो अवकाश के बारे में नहीं सोचता। एक कर्मयोगी सदैव अपने कर्तव्यों के प्रती उत्साहित और जागरूक रहता है। आज हमारे देश को  लालू जी न

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पाकिस्तानी पप्पू बिलावल भुट्टो का हमारे प्रधानमंत्री के बारे में बयान|

23 अक्टूबर 2024
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मित्रों पाकिस्तानी पप्पू और  "बिल्लो  रानी "   के नाम से कुख्यात बिलावल भुट्टो ने एक बयान देते हुए कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी को अमेरिका ने बैन कर दिया था। “गुजरात का कसाई जिन्दा है” |  खैर पप्पू

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"तुम मुझे वोट दो मैं तुम्हें विकसित भारत दूँगा"।

23 अक्टूबर 2024
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मित्रों आज हमारे देश में दो प्रकार का नेतृत्व है। एक है आदरणीय प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी के रूप में जिनके पास २०२९ तक भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तथा २०४७ तक ए

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हे प्रभु इतनी भयानक योजना।

23 अक्टूबर 2024
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कांग्रेस पार्टी वर्ष २०१४ के पश्चात किस प्रकार अति भयावह रूप में सनातनियों के विरुद्ध षड्यंत्र रच रहीं है, उसका एक और जीता जागता उदाहरण है उसका घोषणा पत्र जिसे वो न्याय पत्र कह रहीं है। सनातनियों को ल

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BharOS भारत का अपना ओपरेटिंग सिस्टम|

24 अक्टूबर 2024
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रों आदरणीय  प्रधानमंत्री  श्री  नरेंद्र  दामोदरदास  मोदी  जी  के  नेतृत्व  में आत्मनिर्भर भारत कि दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए हमारे देश ने अपना एक ओपरेटिंग सिस्टम विकसित कर लिया है, जो अति

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Central Bank digital currency @E-rupya सफलता का नया मुकाम|

24 अक्टूबर 2024
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 मित्रों UPI अर्थात Unified Payment Interface (जिसकेमाध्यम से मोबाइल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करके अपने बैंक अकाउंट से किसी दूसरे के बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर किया जाता है) कि अभूतपूर्व सफलता के पश्चा

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" नमो" , भारत और विश्व की अर्थव्यवस्था |

24 अक्टूबर 2024
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हे मित्रों, ईश्वर की असीम अनुकम्पा है हम भारतीयों के ऊपर कि हमने सही समय पर सही निर्णय लिया और किसी के बहकावे में ना आकर हम अपने निर्णय पर अडिग रहे और  अपने  देश  की  बागडोर  श्री  नरेंद्र  दामोदरदास

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चूँकि वो तानाशाह है।

27 अक्टूबर 2024
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हाँ तुम लोग सही कह रहे हो वो तानाशाह है इसलिए :-   १:-तुम उसे खुलेआम "मौत का सौदागर, नीच, भ्रष्ट, चोर और ना जाने कैसे कैसे अपशब्दों से पुकारते हो और वो तुम्हें इसके लिए क्षमा कर  देता है और tumhare व

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