कांग्रेस पार्टी वर्ष २०१४ के पश्चात किस प्रकार अति भयावह रूप में सनातनियों के विरुद्ध षड्यंत्र रच रहीं है, उसका एक और जीता जागता उदाहरण है उसका घोषणा पत्र जिसे वो न्याय पत्र कह रहीं है। सनातनियों को लेकर इतनी भयानक योजना इसके पूर्व केवल केरल में खलीफत आंदोलन के असफल हो जाने पर हिन्दुओं के नरसंहार के समय देखने को मिली थीं, उसके पश्चात जिन्ना और सोहराब वर्दी जैसे पिशाचों द्वारा "Direct Action Day" के समय बंगाल मे हुए हिन्दू नरसंहार के समय देखने को मिली थीं या फिर नोवाखाली में हरामियो द्वारा किए गए हिन्दू नरसंहार के समय देखने को मिली थीं या फिर जम्मू-कश्मीर में हिन्दुओं के नरसंहार के समय देखने को मिली थीं ।
जी हाँ मित्रों जब भूरी काकी के इशारों पर नाचने वाले और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के फिसड्डी अर्थशास्त्री मौलाना मनमोहनसिंह ने खुले मंच से जब यह कहा था कि "अल्पसंख्यक विशेषकर मुस्लिम को ऊपर उठाने की अवश्यकता है और देश के संसाधनों पर पहला हक इनका है ", तभी यह समझ में आ गया था कि कांग्रेस अपने निचता के पराकाष्ठा को छूने को बेकरार है, पर भला हो देश के जनमानस का जिन्होंने ना केवल कांग्रेस के नापाक और काले मंसूबों को धूल में मिला दिया अपितु एक एसा नेता चुना जिसने कांग्रेस को हासिये पर लाकर पटक दिया।
कांग्रेस अपनी हैवानियत और दुश्मनी से सनातनियों का ना दहला पायी और ना सनातन को मिटा पायी। वर्ष २०२४ का कांग्रेस का घोषणा पत्र सीधा सीधा सनातनियों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा है।
अपनी 138 साल की यात्रा के सभी चरणों में, कांग्रेस देश के सनातनी लोगों की समस्याओं, विकास, आकांक्षाओं और आशाओं एवं उम्मीदों के सदैव विरोध में खड़ी रही है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कांग्रेस का सबसे प्रमुख उद्देश्य भारत की सत्ता हासिल करना था। तब कांग्रेस नेहरू, माउंटबेटन और अन्य अंग्रेज परस्त नेताओं के कब्जे में थी और उन्हीं के षड्यंत्रों से निर्देशित हो रही थी। भारत के स्वतंत्रता में कांग्रेस ने कभी कोई बलिदान नहीं दिया, क्योंकि कांग्रेस डोमिनियन स्टेट के पक्ष में सदा से रही, वह आजादी चाहती ही नहीं थी।
आजादी के बाद से, कांग्रेस का धर्म सिद्धांत, पूर्णतया नेहरू और उनके चाहने वालों और उस समय के अन्य निकृष्ट लोगों द्वारा तैयार किया गया, जो केवल और केवल तुष्टीकरण की नीति और भाषा समझता था। भारत का संविधान तैयार करने में सर्वश्रेष्ठ भूमिका निभाने वाले भारत रत्न बाबा साहेब श्री भीमराव रामजी अम्बेडकर को तो इतिहास से मिटाने की भरपूर कोशिश की कांग्रेस ने पर जनसंघ और कांग्रेस से इतर अन्य पार्टियों ने अपना सहयोग देकर कांग्रेस को अपने मंसूबों पर कामयाब ना होने दिया।
कांग्रेस दोहराती है कि भारत का संविधान हमेशा हमारे साथ रहेगा और हमारा एकमात्र मार्गदर्शक रहेगा परंतु जब भी मौका मिला कांग्रेस ने संविधान को बदलने की कोशिश की उदाहरण के लिए:-
१:- नेहरू ने अनुच्छेद ३७० और ३५-A को जबर्दस्ती संविधान में जोड़कर जम्मू-कश्मीर को भारतीयों खासकर सनातनियों के पहुँच से दूर कर दिया;
२:- श्रीमती इंदिरा गाँधी ने तो आपातकाल लगाकर सम्पूर्ण विपक्ष को जेल में डालकर संविधान की आत्मा "उद्देश्यिका" को ही ४२ वें संशोधन में बदल दिया और
३:- श्री राजीव गाँधी ने तो तुष्टीकरण की पराकाष्ठा पार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा शाह बानो के वाद में दिए गए मेंटेनेंस के आदेश को अध्यादेश लाकर पलट दिया और संवैधानिक ढांचे को हिला दिया ।
मित्रों ये तो कुछ उदाहरण हैं, इतिहास इनसे भरा हुआ है।
स्वतंत्रता मिलने के बाद से कांग्रेस ने भारत और सनातनियों की आशा और उम्मीद कोअंग्रेजों से भी बुरी तरीके से कुचल दिया। कांग्रेसी नीतियों ने मुख्य रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था को लगभग खत्म सा कर दिया और तेजी से औद्योगीकरण को प्रोत्साहित करने के चक्कर में लघु एवं कुटीर उद्योग को खत्म सा कर दिया, भारत को एक अकालग्रस्त देश और दुनिया भर के देशों से खाद्यान्न आयात करने वाले देश के रूप में बदल दिया, एक वैश्विक सॉफ्टवेयर शक्ति-केंद्र (पावरहाउस) के रूप में भारत के उदय होने की शक्ति को धूल मे मिला दिया। वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञों का बड़े पैमाने पर पलायन हुआ। कांग्रेस ने अनुसंधान एवं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में देश को वर्षों पीछे धकेल दिया। देश में जो भी प्रतिभाएं अपने बल पर उभर कर सामने आयी वो सुविधाओं के अभाव में देश छोड़ने को विवश हो गई।
एक तरफ़ तुष्टीकरण और भ्रष्टाचार के कारण लगातार कांग्रेस सरकारों द्वारा आर्थिक विकास को नगण्य बनाया गया, वहीं दूसरी तरफ़ कांग्रेस की समाज विभाजनकारी नीतियों ने यह सुनिश्चित किया कि प्रत्येक सनातनी अपने ही देश में हासिये पर चला जाए और मुसलामानों का गलत उपयोग कर कांग्रेस अर्थात "नेहरू गाँधी" परिवार सदैव भारत पर राज करता रहे। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यू.पी.ए.) के शासन काल में हुए अनगिनत हजारों करोड़ के घोटालों ने देश को अति पिछड़े देशों के साथ लाकर खड़ा कर दिया।
पांच वर्ष पहले, अर्थात वर्ष २०१९ में भी चुनाव से पूर्व कांग्रेस ने ५४ पन्नों का घोषणापत्र प्रकाशित किया था। विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता और भारत के जनमानस के दिलों पर राज करने वाले आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी के सरकार के पहले कार्यकाल के रिकॉर्ड के आधार पर, कांग्रेस ने लोगों को देश की राजनीति और अर्थव्यवस्था की मजबूत स्थिति और भाजपा/एनडीए सरकार को फिर से चुनने के प्रश्न पर झूठ और फरेब का पहाड़ खड़ा किया था। इसी कांग्रेस ने बड़ी निर्लज्जता से "चौकीदार चोर है" का नारा दिया था, परंतु भारतीयों ने कांग्रेस की चाल को समझकर उसके घोषणा पत्र से दूरी बनाई और अपने प्रिय मोदी को पुनः प्रधानमन्त्री बना दिया और वो भी पूर्ण बहुमत से।
आनंद का विषय ये है कि कांग्रेस के जितने भी हार्वर्ड विश्वविद्यालय वाले फिसड्डी अर्थशास्त्री थे उनके द्वारा देश की स्थिति के बारे में किया गया आकलन पूर्णतया गलत साबित हुआ। पिछले पांच वर्षों में यह भारतीयअर्थव्यवस्था अंग्रेजों के देश की अर्थव्यवस्था को रेलकर विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई।
कांग्रेस ने अपने २०१९ के घोषणापत्र में जो वादे और आश्वासन दिए थे, उनका ना तो उस समय कोई मोल था और ना आज के समय कोई भाव है। वे आज भी नकारे हैं और कहीं अधिक अप्रासंगिक हैं। इसलिए, कांग्रेस अपने २०१९ के घोषणापत्र में कही गई उन्हीं घिसी पीटि बातों को दोहराने से शुरुआत करती है और चाहती है कि भारतीय उस घोषणापत्र की बातों को इस घोषणापत्र के हिस्से के रूप में पढ़ कर अपना अमूल्य समय बर्बाद करें।
कांग्रेस का अनर्गल प्रलाप और मिथ्या प्रवंचना:-
- झूठ संख्या १
- कांग्रेस ने कहा था, ‘युवाओं की नौकरियां चली गईं हैं‘ – मित्रों यदि एसा होता तो भारत में इस समय वही दशा और दिशा होती जो पाकिस्तान और श्रीलंका की हुई। भारत आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में कदम बढ़ा चुका है। आज युवा रोजगार से अधिक स्वरोजगार की ओर उन्मुख है।
- झूठ संख्या २
- कांग्रेस ने कहा था, ‘किसान आशा और विश्वास खो चुके हैं‘ - मित्रों किसानों के खातों मे उनके जीवन में प्रथम बार वार्षिक ₹६००० आना शुरू हुआ मोदी राज में। कृषि बजट हजार करोड़ से लाख करोड़ तक पहुँच गया। किसानों के लिए तीन अद्भुत कृषि कानून आए थे, पर एक षडयंत्र के तहत उसे लागू नहीं होने दिया गया।
- झूठ संख्या ३
- कांग्रेस ने कहा था, ‘व्यापारियों का व्यापार चौपट हो गया है‘ – GST से प्रत्येक वर्ष लाखों करोड़ का राजस्व प्राप्त हो रहा है और व्यापारी वर्ग भी खुश है, अब वो GST देने और लेने दोनों में प्रवीणता हासिल कर चुके हैं, अतः कांग्रेस का यह दाव भी असफल हो गया।
- झूठ संख्या ४
- कांग्रेस ने कहा था, ‘सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों ने अपना विश्वास खो दिया है‘ - लाखों सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एम.एस.एम.ई.) नेहरू से लेकर UPA सरकार तक बंद हो चुके थे परंतु वोकल फॉर लोकल, मेक इन इंडिया, स्टार्टup इंडिया इत्यादि ने इन्हें नया जीवन प्रदान कर दिया और अब ये रोजगार और स्वरोजगार दोनों पैदा करने में सक्षम हैं।
- झूठ संख्या ५
- कांग्रेस ने कहा था, ‘महिलाओं में सुरक्षा की भावना खत्म हो गई है’ -वर्ष २०१४ से २०२२ के बीच महिलाओं के खिलाफ अपराध में जबर्दस्त गिरावट आयी है। उज्ज्वला योजना, लखपति दीदी योजना, लाडली बहना योजना,सुकन्या समृद्धि योजना, नारी वन्दन विधेयक, शादी सगुन योजना और बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ इत्यादि ने नारी का सशक्तिकरण किया है और इससे उनके प्रती होने वाले अपराधों में कमी आयी है।
- झूठ संख्या ६
- कांग्रेस ने कहा था ‘वंचित समुदाय अपने आर्थिक अधिकार खो चुके हैं’ - सरकार के विभिन्न विभागों में एवं अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पी.एस.यू.) में भारी संख्या में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग समुदाय के लोग नौकरियां प्राप्त करने में सफल हो पाए हैं। आदिवासियों को उनके वन अधिकारों के साथ सुरक्षा प्रदान की गई है।
- झूठ संख्या ७
- कांग्रेस ने कहा था, ‘सरकारी संस्थानों की स्वतंत्रता ख़त्म हो गई है’ - संवैधानिक निकायों सहित प्रत्येक संस्था को संवैधानिक ढांचे में लाकर और भी शक्तिशाली बना दिया गया है और, उन्हें पूर्णतया स्वतंत्रता प्रदान की गई है ताकि वे बिना किसी अड़चन के अपने कर्तव्यों और दायित्वों का निर्वहन कर सकें।
कांग्रेस की सबसे बड़ी चिंता है उसके द्वारा ’डर, धमकी और नफरत का माहौल’ जो इतने वर्षों से बनाया गया था वो लगभग खत्म सा हो गया है। पिछले पांच वर्षों से हर वर्ग के लोग खुलकर आनंद में में जी रहे हैं; लोगों को डराने-धमकाने के लिए अब कांग्रेस क्या कोई भी पार्टी कानूनों और जांच एजेंसियों को अपना हथियार नहीं बना सकती; और अपनी कथनी व करनी के माध्यम से भाजपा और उसके सहयोगियों ने विभिन्न धार्मिक, भाषा और जाति समूहों के लोगों के बीच में जो एकता और राष्ट्रवाद की भावना फैलाई है, उसने कांग्रेसी मंसूबों को तहस नहस कर दिया है।
जिन काल्पनिक खतरों को दिखाकर पहले कांग्रेस ने भारतीयों को डराया धमकाया था, वे आज महज झूठ का पुलिंदा बन गए हैं।
अर्थव्यवस्था दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति कर रहीं है और भारत शीघ्र ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाला है। यह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है, हमारी विकास दर विश्व के कई विकसित देशों से कहीं अच्छी है। कल तक तुर्की का १ रुपया हमारे देश के ३३ रुपये के बराबर था आज वही तुर्की का १ रुपया हमारे ३ रुपये के बराबर है। मित्रों भूलना नहीं चाहिए कोरोना कालके बुरे दौर से भी गुजरा है, इसके पश्चात भी भारत की जी.डी.पी. वर्ष २०१३-१४ में १०० लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष २०२३-२४ में १७३ लाख करोड़ रुपये हो जाएगी।
अमीरों और गरीबों व मध्यम वर्ग के बीच समानता समान्य रूप से बढ़ी है, जिससे समानता, समता और सामाजिक एवं आर्थिक न्याय के लक्ष्यों को जबर्दस्त उछाल मिला है। प्रमुख वैश्विक अर्थशास्त्रियों ने अपनी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के तहत भारत, कांग्रेस और ब्रिटिश राज की तुलना में अधिक समानता की ओर अग्रसर है। भारत के मध्यम वर्ग द्वारा अर्जित राष्ट्रीय आय का हिस्सा आज अपने उच्चतम ऐतिहासिक स्तर पर है और विश्व स्तर पर सबसे अधिक है। भारतीय समाज में समानता में वृद्धि विशेष रूप से २०१४ और २०२३ के बीच देखी गई है।
कांग्रेस के अनुसार ग्लोबल हंगर इंडेक्स पर १२५ देशों में भारत का स्थान १११वा है और पाकिस्तान तथा श्रीलंका की स्थिति बेहतर है, क्या कोई भी समान्य ज्ञान रखने वाला व्यक्ति कांग्रेस के इस प्रोपेगेंडा को समझ नहीं पायेगा। भिखारी के नाम से मश्हूर जिन्ना का पाकिस्तान और आर्थिक दिवालियेपन में फसा श्रीलंका के हालात भारत से अच्छे हैं, धन्य है ये कांग्रेस।
आज सबसे गंभीर खतरा यह है कि भारत अब वास्तव में स्वतंत्र और लोकतांत्रिक गणराज्य बन चुका है, अब यहाँ तुष्टीकरण, परिवारवाद, भ्रष्टाचार, देश के साथ गद्दारी और दुश्मनों के साथ यारी नहीं चल पाएगा। भारत में लोकतंत्र मजबूती से स्थापित होता जा रहा है और देश तेजी से राष्ट्रवाद की ओर बढ़ रहा है। संघीय ढांचे को और मजबूत बनाया जा रहा है और केंद्र सरकार अधिकांश केंद्रीय राजस्व को राज्यों के साथ साझा कर रही है, उन विषयों पर कानून पारित कर रही है जो राष्ट्र के हित में है, और अपनी वित्तीय और कार्यकारी शक्तियों का उपयोग कर, राज्यों का दर्जा और भी बढ़ा रही है और साथ में नगर पालिकाओं को भी सशक्त बना रही है। गैर-भाजपा शासित राज्यों के राज्यपालों को राज्यों की निर्वाचित सरकारों के कामकाज में सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। गैर-भाजपा नेताओं को भारत के जनमानस की इच्छा को सम्मान देने के लिए प्रेरित करने हेतु राष्ट्रवाद और राजधर्म का पाठ पढ़ाया जा रहा है। मीडिया को पुरस्कृत करके उसे अच्छी और ईमानदार पत्रकारिता हेतु प्रेरित किया जा रहा है।
अपने आप से दो प्रश्न पूछें:
- क्या आज आपका जीवन २०१४ से पूर्व की की तुलना में बेहतर नहीं है?
- क्या आपका मन भयमुक्त नहीं है जैसा कि श्री महात्मा गाँधी,रवीन्द्रनाथ टैगोर, नेताजी या फिर आजाद ने कल्पना की थी?
आपके सामने जो विकासपुरुष मोदी २०१९ में थे, वे आज भी मान्य है। आपको चुनना है:
- लोकतांत्रिक सरकार या परिवारवाद शासन;
- स्वतंत्रता या भय;
- सभी के लिए समृद्धि या तुष्टीकरण करते हुए कुछ लोगों के लिए धन;
- पिछ्ले १० वर्षों का या ४५ से अधिक वर्षों का अन्याय
वर्ष २०२४ में लोकसभा चुनाव परिवारवाद, भ्रष्टाचारवाद और तुष्टीकरणवाद पर लोकतंत्र, भय पर स्वतंत्रता, कुछ लोगों की समृद्धि पर सभी के लिए आर्थिक विकास और अन्याय पर न्याय को चुनने का अवसर प्रदान करेगा। हम सब आपसे अपील करते हैं है कि आप धर्म, भाषा और जाति से परे देखें, समझदारी से चुनाव करें और एक लोकतांत्रिक सरकार स्थापित करें जो भारत के सभी लोगों के लिए काम करेगी। हम आपसे “राष्ट्रवादियों"को वोट देने की अपील करते हैं, जो सनातन का, इस राष्ट्र का और इस राष्ट्र के नागरिकों का सम्मान करते हैं और "सबका साथ और सबका विश्वाश" की बात करते हैँ।
जयहिंद, वंदेमातरम।