प्रभु श्रीराम के निश्चल प्रेम, त्याग, तपस्या, कर्मसाधना् राजधर्म, पुत्रधर्म, पतिधर्म, संयम, साहस और समाज के प्रति उनके समर्पण को प्रस्तुत करने वाली लीलाओं का वर्तमान परिस्थितियों के अंतर्गत समीक्षात्मक परिचर्चा हि इस पुस्तक का मुख्य ध्येय है।
0.0(0)
2 फ़ॉलोअर्स
8 किताबें
मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के जीवन की समस्त लीलाये आज भी उतनी हि प्रासंगिक हैं, जितनी त्रेतायुग और द्वापरयुग में हुआ करती थी और यही नहीं कलयुग के अंत के पश्चात जिस नविन जड़ और चेतना के क्रमिक
मित्रों सुबाहु और ताड़का सहित आतंक मचाकर ऋषि मुनियो के जीवन को दुश्वार बना देने वाले असुरो का वध करने के पश्चात मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम अपने अनुज लक्ष्मण के साथ महर्षि विश्वामित्र के आदेश क
मित्रों महर्षि विश्वामित्र के साथ साथ अन्य सभी ऋषि मुनियों के भय का कारण बने सुबाहु और ताड़का का वध कर और मारिच को दण्डित कर, देवी अहिल्या का उद्धार करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम अपने अनु
अब हम उन घटनाओं का जिक्र करेंगे जो स्वयम्बर के दौरान घटित हुई। माता सीता के स्वयम्बर का स्थल रंगशाला अत्यन्त ही सुशोभित हो रहा था। स्वयम्बर में भाग लेने के लिए कई राज्यों के बलशाली और महाबलशाली राज
मित्रों स्वयम्बर में प्रभु श्रीराम जी ने अत्यंत सहजता से अपने इष्टदेव महादेव के धनुष को तोड़कर जानकी जी का वरण किया था तब वो और महर्षि विश्वामित्र आने वाले कठोर समय से अवगत थे, क्योंकि परमेश्वर शंकर
मित्रों आज कि परिस्थितियों में भगवान् श्रीराम की लीला और भी अधिक प्रसांगिक साबित हो रही है। आपने अक्सर हि देखा, सुना और पढ़ा होगा कि, माता पिता के द्वारा रिश्ते से इंकार करने पर प्रेमी युगल ने जान द
मित्रों आप सभी ने आधुनिक परिवेश में प्रचलित "ब्रेन वाश" जैसे शब्द के बारे में तो अवश्य सुना होगा | आजकल यह शब्द आतंकवाद के मकड़ जाल में फंस कर आतंकी बनने वाले युवाओ और लव जिहादियों के चक्कर में आकर
मित्रों आधुनिक परिवेश में हम अक्सर ये देखते हैं, पढ़ते हैं और सुनते हैं कि, कुछ इंच भूखन्ड के लिए भाई ने भाई के या पिता ने बेटे के या बेटे ने पिता के या चाचा ने भतीजे के या मामा ने भान्जे के प्राण हर
छोटा भाई और उसका अपने बड़े भाई से प्रेम और उसके प्रति समर्पण। जी हाँ मित्रों आज का आधुनिक परिवेश कभी कभी हि हमें छोटे भाइयों का अपने अग्रज के प्रति प्रेम और समर्पण को देखने, सुनने और पढ़ने का अवसर प
आज हम माता सुमित्रा के त्याग, तपस्या और अद्भुत बलिदान के ऊपर चर्चा और परिचर्चा करेंगे। माँ तुझसे तेरे बच्चों का बड़ा है अद्भुत नाता। पूत कपूत सुने हैं पर ना माता सूनी कुमाता। सब पे करुणा दरसाने
मित्रों आज हम पति और पत्नी के रिश्तों पर चर्चा करेंगे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और माता सीता के द्वारा प्रस्तुत लीला को ध्यान में रखकर। क्या आपने कभी भी भारतीय भाषाओ में "Divorce" या "
मित्रों हमने मर्यादा पुरूषोतम श्रीराम के लीला के अंतर्गत पित-पुत्र का प्रेम, पुत्र का पितृ और मातृ भक्ति, पत्नी का पति धर्म, अनुज का अपने अग्रज के प्रति समर्पण और निस्वार्थ प्रेम और राजकुमारो का अपन
पिछले अंक में हम सबने देखा कि किस प्रकार अयोध्या में विस्तार को प्राप्त कर चुके दुःख, निराशा और विषाद के वातावरण को राजकुमार भरत के मुखारबिंद से निकले एक वाक्य " मैं अपने स्वामी राम को वापस लेने जा
हे मित्रों अभी तक के लेखो में हमने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् श्रीराम के द्वारा दर्शाये गए पुत्र, युवराज, पति, अग्रज भ्राता रूपी लीलाओ का अमृतपान किया। हे मित्रों हमने माता सुमित्रा का त्याग, लक्ष्
आइये एक बार पुन: हम कुछ पवित्रता पर चर्चा करते हैं । आपने दशानन, दशरथ और राम जैसे पवित्र नामों से तो अवश्य अवगत होंगे।आइये इनके वास्तविक अर्थ का विश्लेषण करते हैं और ईनके मूलस्वरूप को समझने का प्रया