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पहले काबिलियत पैदा करो फिर मैदान में आओ।

23 अक्टूबर 2024

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जो कर्मयोगी है वो कभी रिटायर नहीं होता है। जो कर्म में विश्वास रखता है वो अवकाश के बारे में नहीं सोचता। एक कर्मयोगी सदैव अपने कर्तव्यों के प्रती उत्साहित और जागरूक रहता है। आज हमारे देश को 

लालू जी ने "तेजस्वि" दिया, मुलायम सिंह जी ने अखिलेश दिया, सोनिया जी ने राहुल दिया, उद्धव ठाकरे ने आदित्य दिया, स्टालिन ने जूनियर स्टालिन दिया और ममता ने अभिषेक दिया इत्यादि।

और मित्रों इन सभी में जो एक बात समान रूप से पायी जाती है तो वो है, कि ये सभी सोने का चम्मच मुँह में लेकर पैदा हुए। बिना कुछ किए ही राजनीतिक  कद इन्हें विरासत में मिल गया। बिना गली कूचे की खाक छाने ये विधायक, सांसद और मंत्री बन गए। उड़ते प्राइवेट विमान में अपना जन्मदिन, उड़ते हेलिकाप्टर में मछली को नोच नोच के खाकर उसकी कंकाल का मज़ाक उड़ाने वाले, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में बैठकर डिग्रियां बटोरने वाले ये लालू, मुलायम और सोनिया के शहजादे जब कह्ते हैं कि :-

"इस देश से गरीबी एक झटके में मिटा देंगे", "हम ३० लाख भर्तीया करेंगे","हम रोजगार देंगे", "हम गरीबों को रोटी, कपड़ा और मकान देंगे","हम किसानों के लिए काम करेंगे","हम दलितों, पीड़ितों, शोषितों और नारियों के उत्थान के लिए कार्य करेंगे, तो मित्रों सच मानिये "हँसी और रोष के अलावा हमारे हृदय में और कुछ नहीं उत्पन्न होता।

मैं पूछता हूँ इन शहजादो से कि तुम धन दौलत और सुख- सुविधा की मखमली चादर में पैदा हुए और जवान हो गए (कुछ तो प्रौढ़ता भी पार कर गए) पर क्या तुमने कभी गरीब को देखा; क्या तुमने गरीबी का अनुभव किया; क्या तुमने किसी से पूछा कि तुम दलित क्यों हो; क्या तुमने शोषित से पूछा कि तुम्हारा शोषण किसने किया; क्या तुमने किसी किसान से पूछा कि उसका जीवन इतना कठिनाइयों से भरा क्यों है; क्या तुमने किसी नारी से पूछा कि उसके सशक्तीकरण  की अवश्यकता क्यों पड़ी; क्या किसी मजदूर से पूछा कि "दिहाड़ी" की क़ीमत क्या होती है, नहीं पूछा ना, फिर तुम किस मुँह से उनके समस्याओं को दूर करने की बात करते हो।

जब तुम सोने के चम्मच से चांदी की कटोरी में बादाम और काजू से बने हलवे का आनंद अपने माता या पिता के हाथों से ले रहे थे ना, तब ये मजदूर, ये दलित, ये पीड़ित, ये शोषित और ये किसान अपने बच्चों को रूखी सुखी रोटी और ठंडा पानी देकर कहता था बेटा आज ये खाले कल तेरे लिए दूध का इंतजाम मैं कर दूँगा।

जब तुम हजारों का सूट पहनकर अंग्रेज बाबु बनकर घूमते थे और तुम्हारी माँ बलैया लेती थी, उस समय गरीबों, दलितों, शोषितों, पीड़ितों और किसानों के बच्चों की माताएं पैसे वालो के घरों से पुराने कपड़े मांग कर लाती और उन्हें साफ सुथरा कर लोटे में गर्म पानी भर स्त्री करती और अपने बच्चों को पहनाती थी।

तुमने तो ऑस्ट्रेलिया, अमेरीका और ब्रिटेन में जाकर पढ़ाई की पर इन गरीबों, दलितों, शोषितों, पीड़ितों और किसानों के बच्चे तो अपने गांव के स्कुल में भी दाखिला ना ले पाते थे।

तुम तो इंपोर्टेड बोतल बंद पानी पीकर बड़े हुए और इन गरीबों, दलितों, शोषितों, पीड़ितों और किसानों के बच्चों को तो शुद्ध कुएं का पानी भी नसीब नहीं होता था।

दंगे, फसाद होने पर तुम अपनी माँ के पल्लू में छिप जाते थे पर इन गरीबों, दलितों, शोषितों, पीड़ितों और किसानों के बच्चे तो उसी माहौल में खुद को बचाने की नाकाम कोशिश करते परिस्थिति के घाट उतर जाते थे।

और तुम्हें क्या बताऊँ, किस किस प्रकार से आईना दिखाऊँ, मैं लाख कोशिश कर लूं पर तुम ना समझ पाओगे, चलो छोड़ दो, गरीबी तुम क्या मिटावोगे।

और सुनो तुम जिससे लड़ रहे हो ना झुंड बनाकर, उसे तुम नहीं जानते, उसने गरीबी को जीया है; उसने शोषण के अपमान का घूंट पीया है; उसने किसानों के दर्द को समझा है; उसने माताओं और बहनो के दर्द को नजदीक से जाना है; वो स्वयं मजदूर था इसलिए "दिहाड़ी" का महत्व जानता है; वो स्वयं पीड़ित था इसलिए पीड़ितों के मर्म को पहचानता है। उससे लड़ के तुम्हें कुछ हासिल नहीं होगा, वो एक विद्यालय है जहाँ पढ़कर तुम्हें सच्चाई का एहसास होगा। तुम अपने मिथ्या अहंकार में डूब किसे ललकार रहे हो, अरे काबिलियत छत पर चढ़ने की नहीं और सुरज को छूने का प्रयास कर रहे हो। मत ठगो इस देश को और अपने आपको मुर्ख ना बनाओ, यदि दम है तो पहले काबिलियत पैदा करो फिर मैदान में आओ।


 

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रचनाएँ
वो नहीं तो कौन ?
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मित्रों ये किताब उस व्यक्ति विशेष को समर्पित है जिसके सद्चरित्र, अनुशाशन, ईमानदारी, शांतिप्रियता, कर्मठता और अपने राष्ट्र और राष्ट्जनो के प्रति अथाह प्रेम और समर्पण का कायल सम्पूर्ण विश्व है | आप में से बहुत लोग मेरे विचार से असहमत हो सकते हैं परन्तु वर्तमान में भारत की स्थिति और विश्व के अन्य देशों की स्थिति का तुलनात्मक विशेलषण करने के पश्चात आपकी असहमति कुछ सिमा तक सहमति में परिवर्तित हो सकती है | हमारे शास्त्रों केअनुसार "विदेशेषु धनं विद्या व्यसनेषु धनं मति:। परलोके धनं धर्म: शीलं सर्वत्र वै धनम्॥" अर्थात विदेश में विद्या धन है, संकट में बुद्धि धन है, परलोक में धर्म धन है और शील(अच्छा चरित्र ) सर्वत्र ही धन है! इसी को चरितार्थ करता वो महापुरुष विश्व का सबसे लोकप्रिय जनप्रतिनिधि बन कर उभर चूका है| वृतं यत्नेन संरक्षेद वित्तमेति च याति च | अक्षीणो वित्ततः क्षीणो वृत्ततस्तु हतो हतः!" अर्थात चरित्र की यत्नपूर्वक रक्षा करनी चाहिए। धन तो आता-जाता रहता है। धन के नष्ट होने पर भी चरित्र सुरक्षित रहता है, लेकिन चरित्र नष्ट होने पर सबकुछ नष्ट हो जाता है। और उस महापुरुष के पावन जीवन से इसी तथ्य की शिक्षा मिलती है | वो महा व्यक्तित्व जानता है कि "येषां न विद्या न तपो न दानं, ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः । ते मृत्युलोके भुवि भारभूता, मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति! अत: वोअपने ज्ञान के प्रकाश से विश्व को रोशन करता है और अपना सर्वस्य दान कर देता है | वो एक तपस्वी का जीवन जीता है और कर्म को अपने जीवन का आधार बना के ही जीता है | वो यह भी जानता है कि "मानं हित्वा प्रियो भवति। क्रोधं हित्वा न सोचति।।कामं हित्वा अर्थवान् भवति। लोभं हित्वा सुखी भवेत्।।" इसीलिए हर प्रकार के अहंकार को त्याग कर सबका प्रिय बन चूका है| उसने क्रोध, कामेच्छा तथा लोभ को त्याग कर स्वयं को सुखी बना लिया है और सबको प्रेरित कर रहा है। "यथा चित्तं तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रियाः ! चित्ते वाचि क्रियायांच साधुनामेक्रूपता !!" वो अच्छा है इसलिए उसके ह्रदय में जो है उसे ही वो प्रकट करता है, वो जो कहता है वही करता है , उसके मन, वचन और कर्म में समानता होती है | और जब ऐसे व्यक्ति का विरोध कोई करता है तो मैं उससे केवल एक प्रश्न पूछता हूँ कि "वो नहीं तो कौन ?"
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जी हाँ मित्रों आज का विपक्ष केवल एक मुद्दे पर जिवित है और वो है "विरोध"। विरोध यदि सकारात्मक है तो उसका प्रभाव राष्ट्र के जनमानस पर अवश्य पड़ता है और वो भी उसमें सम्मिलित होने का प्रयास करता है उदाहरण

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23 अक्टूबर 2024
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 मित्रों UPI अर्थात Unified Payment Interface (जिसकेमाध्यम से मोबाइल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करके अपने बैंक अकाउंट से किसी दूसरे के बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर किया जाता है) कि अभूतपूर्व सफलता के पश्चा

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27 अक्टूबर 2024
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हाँ तुम लोग सही कह रहे हो वो तानाशाह है इसलिए :-   १:-तुम उसे खुलेआम "मौत का सौदागर, नीच, भ्रष्ट, चोर और ना जाने कैसे कैसे अपशब्दों से पुकारते हो और वो तुम्हें इसके लिए क्षमा कर  देता है और tumhare व

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