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आज का विज्ञान _नशीली चीजों की लत क्यों लगती है_आनंद, फिर ललक, और फिर उसके बिना ना रह पाने की हालत विज्ञान की नजर से देखिए कि किसी भी नशीली चीज की लत क्यों लग जाती है। किसी भी तरह का नशा हो, उसकी लत लग ही जाती है। ऐसा सोचने वाले हमेशा गलत साबित होते हैं जो पहले तो अपनी मर्जी से कोई

_आज का विज्ञान_*अधिकतर हवाई जहाज सफेद रंग के ही क्यों होते हैं - Why do Most of the Airplanes are White _दसअसल हवाई जहाज को सफेद रंग से पेंट करने के पीछे का कारण यह है कि सफेद रंग ऊर्जा का कुचालक होता है और अपने ऊपर गिरने वाली सूर्य की अधिकतर किरणों को परावर्तित (Reflected) कर देता है जिससे जहाज की

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आम अवधारणा के विपरीत नासा के एक ताजा अध्ययन में पाया गया है कि भारत और चीन पेड़-पौधे लगाने के मामले में विश्व में सबसे आगे हैं। सोमवार को जारी इस अध्ययन में बताया गया कि दुनिया 20 वर्ष पहले की तुलना में अधिक हरी भरी हो गई है। उपग्रह से मिले आंकड़ों एवं विश्लेषण के आधार पर

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वैज्ञानिक अनुसंधान के बारे में आश्चर्यजनक चीजों में से एक यह है कि हम केवल उन चीजों के बारे में नहीं जानते हैं, जिसके बारे में हम जानना चाहते हैं, बल्कि कभी-कभी संयोग से आश्चर्यजनक खोज भी सामने आ जाती है। इस हफ्ते ऐसा ही हुआ, जब खगोलविदों ने गलती से ‘मिल्की वे’ के हिस्से

इस्राएल! एक छोटासा लेकिन बहुत विशिष्ट देश! दुनिया के सबसे खास देशों में से एक! इस्राएल के जल संवर्धन की चर्चा करने के पहले इस्राएल देश को समझना होगा| पूरी दुनिया में फैले यहुदियों का यह देश है| एक जमाने में अमरिका से ले कर युरोप- एशिया तक यहुदी फैले थे और स्थानिय लोग उन्हे अक्सर 'बिना देश का समाज' क

पर्यावरण संरक्षण सर्वोत्तम मानवीय संवेदना सुशील शर्मा मनुष्य और पर्यावरण का परस्पर गहरा संबंध है।अग्नि , जल, पृथ्वी , वायु और आकाश यही किसी न किसी रूप में जीवन का निर्माण करते हैं, उसे पोषण देते हैं। इन सभी तत्वों का सम्मिलित , स्वरूप ही पर्यावरण है। पर्यावरण संरक्षण पाँच स्तरों पर सम्भव होगा-1- मान

विश्व का एक मात्र उदारण जो पेड़ों के लिये अपनी कीमती जान देना वह् 363 अमर शहीद विशनोई जो अमृता देवी की अगवाई में हुआ जोधपुर नरेश ने किले की चिनाई के लिए चुना पकाने के लिए लकड़ी लाने का आदेश् दिया उनके सैनिक लकड़ी लेने के लिए निकले तो खेजड़ली गांव में बहुत खेजड़ी के पेड़ देखे तो उसे काटने लगे यह देख विशनोई

                               दिन पर दिन बढती जा रही  हमारी वैज्ञानिक प्रगति और नए संसाधनों से हम सुख तो उठा रहे हैं लेकिन अपने लिए पर्यावरण में विष भी घोल रहे हैं . हाँ हम ही घोल रहे हैं . प्रकृति के कहर से बचने के लिए हम अब कूलर को छोड़ कर किसी तरह से ए सी खरीद कर ठंडक का सुख उठाने लगे हैं लेकिन उ

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हिंदु वेदों को मान्यता देते हैं और वेदों में विज्ञान बताया गया है । केवल सौ वर्षों में पृथ्वीको नष्टप्राय बनाने के मार्ग पर लानेवाले आधुनिक विज्ञान की अपेक्षा, अत्यंत प्रगतिशील एवं एक भी समाज विघातक शोध न करने वाला प्राचीन ‘हिंदु विज्ञान’ था ।पूर्वकाल के शोधकर्ता हिंदु ऋषियों की बुद्धि की विशालता दे

पाकिस्तानी हैं भारतीय गुजरा कलमाटी थी भारतीय और भारतीय थे फलएक समान थे भारतीय हवा, जल और स्थल सूझवान बनाओ भगवान उनको सूझवान बनाओवो भी थे कभी भारतीय घर-बाहर और भारतीय घाटवर्तमान में जो कहलाते हैं पाकिस्तानी खाट, बाट, हाट सूझवान बनाओ भगवान उनको सूझवान बनाओवो भी थे कभी भारतीय तन, मन और धनथे वो भी कभी भ

दस साल तक बिल्कुल मासूमफिर भी पहले वर्ष से ही बस्ते में गुमबीस साल तक पढ़ाई,बाद बीस के पढ़ाई को पूर्णविरामऔर सुरक्षित भविष्य को जद्दोजहद 25 वर्ष तक शादी की आसकालसैंटरों ने किया लेकिन बहुत बुरा हालतीस वर्ष तक जब-तब काम की तलाशइंजीनियरिंग के बाद भी अर्धबेकारऑनरोड़ कनौपी लगाने की थमें न तलाशचालीस वर्ष

टी.वी, रेडियो, दूरसंचार, मौसम की भविष्यवाणी करने, अंतरराष्ट्रीय टेलीफोन संवादों, सुरक्षा उपायों, जासूसी करने, दूरस्थ ग्रह-नक्षत्रों का अध्ययन करने के लिए कृत्रिम अपग्रह अंतरिक्ष में भेजे जाते हैं। संसार का पहला उपग्रह स्पुतनिक-1 था। इसे 4 अक्तूबर, 1957 को सोवियत संघ से अंतरिक्ष में छोड़ा गया था। आज

पर्यावरण यानी वातावरण । पृथ्वी और इसके कक्ष में आने वाली हवा, पानी, समुद्र, पहाड़ियां, पेड़ों से भरे जंगल, मिट्टी, झील, झरने जानवर, सौरमंडल इत्यादि पर्यावरण के विभिन्न अंग हैं। पर्यावरण में संतुलन होना चाहिए। इसे सदा साफ और स्वच्छ रखना सभी का कर्तव्य है। पशु-पक्षी और हम सब के जीने के लिए ऑकसीजन बहुत

सार्वजनिक, गैरसरकारी, कॉर्पोरेट व निजी क्षेत्र की स्थापनाओं को अपने कार्य को सफल बनाने के लिए अनेक योजनाएं तैयार करनी होती हैं। अनेक उत्पादन/सेवा क्षेत्र की उपयोगिता सिद्ध करने के लिए आवश्यक, यहां तक कि आवश्यक प्रचार-प्रसार भी किया जाता है जिससे अधिक से अधिक जनो का ध्यान आकर्षित करने में सफलता मिले

भारत एक विशाल देश है और हर एक क्षेत्र में इसने बहुत ही उन्नति करली है। हर क्षेत्र में उन्नति करने के बावजूद कुछ प्रतिभाएं अभी भी छुपी हुई हैं जो अभी तक अपना उपयुक्त स्थान पाने के लिए प्रयत्नशील हैं। उन्हीं में से कुछ प्रतिभाओं का वर्णन मैं नीचे कर रहा हूं।गत वर्ष घर के बाहर चौराहे में मैने मदारी को

प्रकृति के नियम अनुसार पुरातन काल से ही परिवर्तन की लहरें चल रही हैं। समाज एवं प्रकृति में परिवर्तन एक शास्वत प्रक्रिया है। दुनिया में शायद ही कोई ऐसा समाज होगा जो इस परिवर्तन से अछूता होगा। जहां तक भारत का प्रश्न है, यह सर्विदित है कि उसके राजनीतिक इतिहास के आरंभ से बहुत पहले ही सामाजिक इतिहास का आ

भारत के इतिहास में गाय का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। अलग-अलग कालों में इसने अलग-अलग भूमिका निभाई है। सामान्यत: मानव जाति के उदयकाल तथा श्री कृष्ण जी के अवतार काल से विशेषत: गाय को भारत में बहुत श्रद्धा से पूजा जाता रहा है। भागवत में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि समुद्र-मंथन के समय क्षीरसागर से पां

हजारों वर्ष पहले का किस्सा है कि सिकंदर के गुरू अरस्तु एक बाग में बैठकर अध्ययन कर रहे थे। एक महिला आई ओर अरस्तु से शादी करने की जिद करने लगी। अरस्तु ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया। किंतु महिला नहीं मानी तथा अपनी बात मनवाने को अड़ी रही। अरस्तु ने उससे पूछा कि तुम मेरे साथ शादी क्यों करना चाहती हो। उस

बिल्लु एक टांगेवाला है। उसका रोजगार का साधन ही टांगा और घोड़ा हैं। रोजाना टांगा स्टैंड पर जाना और सवारियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाना। जब अच्छी कमाई हो गई तो अच्छा खाना पीना, मंदी रही तो जेब अनुसार घर का खर्च। एक दिन जब वह घर से निकल रहा था तो उसकी बीवी ने उसे बोला कि आज घर खर्च चलाने ला

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