ज़माने की हकीकत में झूठ मिले, मेरे दोस्त खजाना लूट चले |
मैने जिनके लिए इतने बैश किये, मुझे धोखा दे गैरों पे मरे ||
मुहब्बत में धोखे हजारों मिले, जो जाने कभी न मुहब्बत करे |
वो गैरों की बाहों में सोने लगे, मेरे प्यारे हम क्या खिलौने लगे ||
जब चाहा दिल तोड़ चले, मेरे साथी क्यों हमें छोड़ चले |
अपना बनाके मुख मोड़ चले, मेरे मासूम दिल को तोड़ चले ||