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नही करते तो नही करते।।

13 मार्च 2024

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मसला अलहदा था कि मैं हँस रहा था,
वो क्या है न,कि हम यूँ ऑसू बहाया नही करते,।।

क्या हुआ कि जख्म अब.रिसने लगे है,
दिल रो लेता है,ऑखों से अब हम रोया नही करते।।

तन्हाई से दोस्ती पक्की कर ली है हमने,
तन्हाई मे भी तन्हा हम होया नही करते।।

और कहते है,

कि वो समंदर भर की रंजिशे, शिकायतें,बेहिसाब, नफ़रतों के सैलाब,,
लिए बैठे थे।।
हम हो जाए  नम्र और  कमजोर, इन सब से,
नही ऐसे तो हम. ऑसू जाया नही करते।।

ताकीद दे रखी है दिल को अब तो, सह ले मिलता है जो भी अपनों से,कोई गम या फिर उलझन। या नफ़रत ही हरदम,
बदले मे कह दे कोई  रिवायत, ऐसे मे हम कोई इशारा भी तो नही करते।।

सहरा मे,बेहिसाब मोती है, उसकी यादों के
कोई  चुन ले गूंथ ले माला मे,
न, यह हिसाब, बेवजह, हम अपनो से भी ग्वारा नही करते।।
=/=
संदीप शर्मा।।

दिल की गहराई ही नापनी है न,
तो नापों,
हम समंदर अंजुरी मे न भर ले तो कहना।।


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