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नववर्ष की वंदना

1 जनवरी 2024

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*सन 2024 मंगलमय हो*

वन्दना नव वर्ष की।
कामना  उत्कर्ष की।

आगत यह सुखमय रहे।
चौबीस में सब निर्भय रहे।
तन व मन  निरामय रहे।
यह वर्ष मंगलमय रहे।

समोन्नति के अर्श की।
वन्दना नव वर्ष की।
कामना उत्कर्ष की।

छोड़ दे सब  द्वेष को।
जाति धर्म विद्वेष को।
याद रख इस देश को।
अंजाम दे परिवेश को।
कामना बस हर्ष की।
वन्दना नव वर्ष की।

शासन चले बस नीति से।
विनती यही रजनीति से।
कुर्सी मिले बस रीति से।
अन्याय की न अनीति से।
उत्कृष्ट वाले दर्श की।
वन्दना नव वर्ष की।
कामना उत्कर्ष की।

पूजनीय यह विधान हो।
सबका प्रिय संविधान हो।
भारत वतन  महान हो।
पुनः विश्व मे बखान हो।
फिर से बने आदर्श की।
वन्दना  नव वर्ष की।
कामना उत्कर्ष की।

             ©कलम घिसाई

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कलम घिसाई
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इस पुस्तक में मैने एक सामान्य हिन्दी के शब्दों के माध्यम से विभिन्न गजले लिखी है। आमतौर पर गजल का अर्थ सिर्फ उर्दू काव्य से लिया जाता है। मैने इस मिथक से परे जाकर हिंदी में गीत मय गजल लिखने का प्रयास किया है। कितना सफल हुआ हूं यह पाठक ही तय कर सकते है।

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