एक मांसाहारी परिवार था...परिवार का प्रमुख रोज एक मुर्गे को हलाल करता था।मुर्गा चीखता और वह अट्टहास भरता !!!उसके तीन अबोध बच्चे थे,बड़ा करीब चार वर्ष का था, दूसरा ढाई वर्ष का और तीसरा गोद का बच्चा था,उसके बच्चे जब पिता के इन कृत्यों को देखते तो उन्हें लगता कि उनके पिता कोई खेल खेलते हैं और पिता को उसमें बड़ा आनन्द आता है !!!एक दिन पिता किसी काम से कहीं बाहर गये,घर में मुर्गा नहीं आया तो बच्चों ने सोचा कि आज पिताजी नहीं हैं तो चलो आज हम ही यह खेल खेलें !!!बड़े बेटे ने छोटे को लिटाया, लिटाकर एक पैर से उसे दबाया, एक हाथ से सिर दबाया और उसके गले को छुरे से रेत दिया , जैसे ही गला रेता,बच्चा चीख पड़ा,भाई की चीख सुनकर यह भी घबराकर भागा !!! चीख की आवाज़ सुनी तो माँ जो अपने सबसे छोटे बेटे को टब में नहला रही थी,वह उसे वहीं छोड़कर आवाज का दिशा की ओर भागी,बेटे ने देखा माँ आ रही है और अब मुझे मारेगी तो उसने अपना मानसिक सन्तुलन खो दिया और छत से कूदकर अपनी जान दे दी तो इधर वह बेटा भी गले की नस कट जाने के कारण मर चुका था,माँ दोनों बेटों का हाल देखकर वहीं मूर्छित होकर गिर गई !!!काफी देर बाद जब मॉ को होश आया तो याद आया कि वह छोटे बेटे को टब में नहलाता हुआ छोड़कर आई थी मगर तब तक काफी समय गुजर चुका था,जब वह नीचे आई तो उसका गोद का बालक टब में ही शान्त हो चुका था !!!ये है पाप का कहर,आदमी पाप करता है तो उसका परिणाम उसे भुगतना ही पड़ता है मगर अफसोस कि मनुष्य सब चीजों को देखते हुए समझते हुए भी पाप करने से भय नहीं खाता..!!
जीवन की सबसे बड़ी सिख देने वाली कहानी
जीवन में शिक्षा देने वाली और ज्ञानवर्धक कहानिया
शिक्षा वर्धक कहानिया
आध्यात्मिक शिक्षा देने वाली कहानी
जीवन बदलेन वाली कहानियां
प्रेरणात्मक कहानी