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जो डर गया सो...(व्यंग्य)

31 जुलाई 2022

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जो डर गया....सो...??
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एक महान आदमी हुये हैं.. जिनका नाम गब्बर था...उन्होंने कहा है कि भई.."जो डर गया सो मर गया" पर जास्ती लोग केवल बोलने के लिए बोल देता है पन डर तो सबको लगता है....
आम आदमी पुलिस से डरता है...पुलिस वाला गुंडा लोगो से डरता है...गुंडा नेता से और नेता आम आदमी से...बोले तो ये डर का एक साइकल है जो चलता रहता है..
किसान सब्जी अनाज दूध सस्ती होने से डरता है और इधर आम आदमी यहीइच महंगी होने से डरता है...
इसी घाल-मेल में सरकार से विपक्ष डरता है सरकार किसान से डरता है इसलिए विपक्ष किसान के साथ खड़ा उसे बता रहा है कि अगर आज नही डरा तो समझो कि मरा... पन ये नई बताता की कौन वो या किसान...

अपने यूपी वाले भैय्या... सही समझे वही लाल टोपी वाले..उनको वैक्सीन से डर लगता है...और सबसे ज्यादा डरता है तो अपना मुसलमान भाई... उनको नही पता कि कायको... अपना नेता लोग बताता है कि तुमको डरना चाहिए नही दिक्कत हो जाएँगा... अपना उप महामहिम ने दस साल देश का संवैधानिक सोभा बढ़ाने के बाद उनको डर लगा कि अपना देश असहिष्णु है....कायको सब सही बोलता तो किताब कैसे बिकता... बोले तो अब डर पूरी तरह बाजारू हो गयेला है...

बड़ा बड़ा पार्टी का लोग बाकयदा टीम बनाकर डर बेच रेला है...इनका पास कईच टाइप का डर है...तुम आम आदमी हो तुमको तो डरना पड़िगा...पहले बीमारी से  डराइंगा फिर दवाई से ....तुमको तो डरना इच पड़ेगा...

आज इन लोगा को याद रखना पड़ेगा गब्बर को भूल जाने में ही भलाई है...
..

.....राकेश
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