मित्रो मै एक छोटा प्रयास कर रहा हूँ , शायद कोई त्रुटि या भरी शब्द मिले तो .....माफ करना । इसी आशा और विश्वास के साथ मै अपनी बात शुरू करता हूँ।
महिला , स्त्री , नारी और अंग्रेजी में " woman " मानव संस्कृति की एक महत्वपूर्ण अंग है । एक स्त्री को हम कई रूपों में जैसे की एक स्त्री - माँ के रूप में , बहन के रूप में , पत्नी के रूप में देख सकते है ।
"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता "
जहाँ नारी का सम्मान होता है वह सुख और समृधि का वास होता है , ऐसा हमारे पवित्र ग्रंथो कहा गया है। नारी को देवी का प्रतीक भी मानते है ।
आज अख़बार और समाचार में सभी जगहों पर एक सबसे विशिष्ठ खबर होती है -
१. महिला अपने बच्चे के साथ खुदखुशी की ,(जली या नौवी माजिले से कूदी कर जान दी ) ।
२. महिला के साथ सामूहिक बलात्कार या बलात्कार करने का प्रयास ।
३. दहेज़ के भूख की आग में जली " सीमा , सुधा और पता नही कितनी ।
४. माँ के कोख में भी नहीं बक्शा जा रहा है ।
ऐसी स्थिति हो गयी है , कि देश का ,समाज का पतन सुनिश्चित हो गया है । आखिर वो भो तो किसी कि बहु ,बेटी और माँ होती है । क्षमा करियेगा अधिक बलात्कार के मामलों में बलात्कारी समाज का नेता ,उसका कोई परिजन/ नजदीकी रिश्तेदार या बड़े पुलिस अधिकारी ( उनके परिजन) होते है जो कि समाज के रक्षक माने जाते है और खुद को साबित करने की फिराक में रहते है ।
कही से मुझे प्राप्त ये पंक्तिया बता रही है कि नारी के क्या रूप हो सकते है , माँ , बहु , बेटी या बहन होने के साथ साथ -
"तुमही दुर्गा, तुमही काली, तुम्हरी महिमा बड़ी निराली ।
तुमही गीता ,तुमही सीता , तुमसे मर्द न कउनउ जीता ।
तुम ही से घर मथुरा काशी , तुमही घर कि सत्यानाशी । "
ज्यादा मै कुछ नही कहूँगा , यदि कुछ दिनों तक यही चलता रहा तो यही सीता और गीता ...दुर्गा और काली का रूप धारण कर लेगी और मथुरा काशी को छोड़ कर सत्यानाश का जो तांडव प्रस्तुत करेगी कि सम्पूर्ण सृष्टी का विनाश हो जायेगा ।
आप सभी मित्रो से, भाइयो से , बहनों से और माताओ से आखिर कब तक !!!