"ब्रेकफास्ट लगा दिआ है" इतना कहकर वाणी फिर से किचन मे आ गई l शब्द फिर से बिना ब्रेकफास्ट किये ही जाने लगा पर आज ऋषभ उसे रोकते हुए बोले, "रुक! तुझसे कुछ बात करनी है"
"जरूर इन्हे इस शादी और उस वाणी के बारे में ही बात करनी होगी l इसके अलावा कुछ और बात करते ही कहां है ये?"ये सोचकर शब्द रूखे स्वर में बोला,"डैड मैं लेट हो रहा हूं l आकर बात करता हूं l"
" जब तक तू आता है,हम सो चुके होते हैं l इसलिए मुझे तुझसे अभी बात करनी है" ऋषभ ने सख्त होकर कहा तो शब्द फिर से टालते हुए बोला, "डैड मेरी एक बहुत जरूरी मीटिंग है आज! इन्वेस्टर आते ही होंगे l"
" तो ठीक है मिस्टर शब्द कपूर! आपकी कंपनी के सीईओ होने के नाते मुझे कुछ बहुत इंपॉर्टेंट डिस्कस करना है l क्या आप मुझे 2 मिनट देंगे? "ऋषभ ने अकड़ कर कहा तो शब्द बिना कुछ कहे चुपचाप बैठ गया l
"कहिए क्या डिस्कस है आपको?" शब्द ने पूछा तो ऋषभ उदास होकर बोल पड़े, "बेटा मुझे तुझसे बस यही पूछना है कि तू हमारी गलती की सजा उस बेचारी बच्ची को क्यों दे रहा है? तुझे हमसे शिकायत है ना तो हमसे नाराज हो जा l उससे क्यों?"
ऋषभ की बातें सुनकर शब्द सोफे से उठते हुए बोला, "सर आई थिंक आप भूल रहे हैं कि आपने मुझे अपने बेटे की हैसियत से नहीं बल्कि कंपनी के एमडी होने की हैसियत से रोका है l इसलिए अगर आप कोई कंपनी रिलेटेड बात करना चाहते हैं तो बोलिए l वरना ये मेरा पर्सनल मैटर है और आप इसमें किसी भी टाइप का कोई इंटरफ़ियर नहीं कर सकते l"
ये कहते हुए शब्द गुस्से मे वहां से चला गया और वाणी फिर से अपने आंसू पोछते हुए अपने काम में लग गई l
" मुझे नहीं लगता ये कभी भी मानेगा l आई थिंक अब हमें इन दोनों का डाइवोर्स करवा देना चाहिए और फिर वाणी के लिए एक अच्छा लड़का ढूंढ कर उसकी शादी करवा देनी चाहिए l" मीरा ने उदास होकर कहा तो ऋषभ झल्ला कर बोल पड़े, " और तुम्हें लगता है कि फिर सब ठीक हो जाएगा? पहली बात तो डाइवोर्सी लड़की के लिए अच्छा लड़का सिर्फ फिल्मों में मिलता है असल जिंदगी में नहीं और फिर शादी के 6 महीनों बाद ही डाइवोर्स! मतलब समझती हो इसका? दुनिया शब्द को कुछ नहीं कहेगी वाणी पर ही उंगली उठाएगी क्योंकि हमारा समाज ऐसा ही है लड़की की गलती कोई नहीं देखता l सब लड़की पर ही उंगली उठाते हैं और चलो मान लेते हैं कोई मिल भी गया तो क्या वाणी उसके साथ खुश रह पाएगी? शायद तुमने नोटिस नहीं किया मीरा पर वाणी सब से बहुत प्यार करती है l शब्द से दूर होकर वो कभी खुश नहीं रह पाएगी l"
"तो इसका मतलब हम बस उसे रोज ऐसे ही बिखरते हुए देखते रहेंगे? कुछ नहीं करेंगे?" मीरा ने कहा तो ऋषभ गुस्से में बोल पड़े, "अब करने को बचा ही क्या है?जो करना था वो तो तुम पहले ही कर चुकी हो l मैंने तुमसे कहा था मीरा कि अपना फैसला शब्द पर थोपने से पहले उसके बाद होने वाले नुकसान के बारे में भी अच्छे से सोच लेना पर नहीं! तुम्हें तो अपनी ज़िद प्यारी थी l देख लिया अब अपनी ज़िद का अंजाम? तुम्हारी उस एक ज़िद ने सबकी जिंदगी खराब कर दी l खास कर वाणी की l"
ऋषभ के कठोर शब्दों को सुनकर मीरा की आंखें नम हो गई और वो रोते हुए बोल पड़ी, "वाणी को अपनी बहू बनाना मेरी ज़िद नहीं थी ऋषभ,मेरी इच्छा थी l आपको याद है जब शब्द 7 साल का था l वो हर रोज नाश्ते में चॉकलेट केक मांगता था l कितनी जिद करता था वो और मैं जब उसकी ये जिद पूरी कर देती थी तो आप ही मुझे डांटते थे और उससे केक छीनकर सेब पकड़ा देते थे l तब भी तो बहुत रोता था ना वो और जब मैं उसके आंसू नहीं देख पाती थी तो आप ही मुझे समझाते थे कि जरूरी नहीं कि अपने बेटे की हर ज़िद पूरी की जाए l हमें उसे वो नहीं देना है जो उसे अच्छा लगता है l हमें उससे वो देना है जो उसके लिए अच्छा है l आज मैंने भी तो वही किया ना?आप खुद बताइए क्या आप अपने बेटे के लिए वाणी से अच्छी बहू ढूंढ पाते? क्या शब्द के लिए वाणी से अच्छी कोई और पत्नी हो सकती थी? पर हां आपने सही कहा l गलती तो हुई है मुझसे l ये नहीं कि मैंने शब्द की शादी वाणी से करवा दी बल्कि ये कि मैंने अपने बेटे से कोई उम्मीद रखी l मुझे समझना चाहिए था कि अब वो इतना बड़ा हो गया है कि उसके मां-बाप को उसके लिए फैसले लेने का कोई हक नहीं रहा l"
ये कहते हुए मीरा रोते हुए कमरे में चली गई और रिषभ सर पर हाथ रखकर वहीं सोफे पर बैठ गई l वाणी किचन से उन दोनों की सारी बातें सुन रही थी इसलिए शब्द को परेशान देखकर वो उसके पास आकर बैठ गई और अपने चेहरे पर मुस्कान लाते हुए बोली, " मेरी वजह से आप दोनों को परेशान होने की या झगड़ा करने की कोई जरूरत नहीं है डैड! मैं ठीक हूं और बहुत खुश भी हूं l तो क्या हुआ अगर मुझे शब्द का प्यार नहीं मिला? आप दोनों का प्यार तो मिल रहा है ना? मैं उसके सहारे भी अपनी पूरी जिंदगी खुशी-खुशी बिता सकती हूं l फिर ये जरूरी थोड़ी है कि मैं इस घर में शब्द की बीवी बनकर ही रहूं l मैं आप दोनों की बेटी बनकर भी तो रह सकती हूं ना? इसलिए प्लीज डैड आप हमारे डाइवोर्स के बारे में तो बिल्कुल भी मत सोचना l शब्द अब मेरे पति है और मैं उनके साथ बहुत खुश हूं l मैं जानती हूं उन्होंने मुझे कोई हक नहीं दिया है पर उन्होंने मुझे किसी चीज से रोका भी तो नहीं है? वो अभी हम सब से बहुत नाराज हैं पर आप देख ना एक ना एक दिन वो जरूर मान जाएंगे l"
"तेरी सासू मां बिल्कुल ठीक कहती है l तुझसे बेहतर शब्द के लिए कोई और लड़की मिल ही नहीं सकती थी l" ये कहते हुए ऋषभ ने प्यार से वाणी के सर पर हाथ फिरा दिया और वाणी मुस्कुराते हुए वहां से चली गई l
"मुझे शब्द को भी ये एहसास दिलाना ही होगा की वाणी उसके लिए परफेक्ट है l" ऋषभ ने मन ही मन कहा और फिर कोई तरकीब निकालने लगे l
रात के 10:00 बज रहे थे l मीरा और ऋषभ डाइनिंग टेबल पर बैठे थे l वाणी उन्हें खाना सर्व कर रही थी, तब तक दरवाजे की घंटी बजी l मेड ने जाकर दरवाजा खोला,शब्द था और उसके साथ में उसका जिगरी दोस्त और बिजनेस पार्टनर अंकिश भी था l शब्द और अंकिश कॉलेज के समय से दोस्त थे l अंकित की भी शादी हो चुकी थी और उसकी 1 साल की एक प्यारी सी बेटी भी थी l अंकिश अपनी बीवी से बहुत प्यार करता था और शब्द के माता-पिता के बाद उसे ही वाणी और शब्द की सबसे ज्यादा फिक्र रहती थी l वो हमेशा शब्द को समझाता रहता था पर इस मामले में शब्द उसकी भी नहीं सुनता l वाणी के हाथों का खाना अंकिश की कमजोरी था l वो जब भी घर आता था, खाना खाकर ही जाता था l उसके आने से वाणी को भी बहुत अच्छा लगता क्योंकि सिर्फ वही था जो वाणी को किसी भी सिचुएशन में हंसा सकता था l उसकी पत्नी तृषा वाणी की इकलौती फ्रेंड और शुभचिंतक थी l
खाना देखते ही अंकिश फटाफट आकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गया और मुस्कुराते हुए बोला, "ओ हो! क्या सही टाइम पर आया हूं आज? आते ही भाभी के हाथ के खाने के दर्शन हो गए l"
"कैसे हैं आप अंकिश भैया?" वानी ने हंसते हुए पूछा तो अंकिश मुस्कुरा कर बोला, "मैं बिल्कुल ठीक हूं भाभी और खाना देखकर तो और भी ठीक हो गया हूं l जल्दी से सर्व कर दो प्लीज! कहीं ऐसा ना हो अंकल और आंटी सब खा जाए और मैं प्लेट की शक्ल ही देखता रह जाऊं l"
वाणी हसकर उसके लिए खाना सर्व करने लगी तब तक शब्द बोल पड़ा, " तेरी नौटंकी और खाना हो जाए ना तो आकर असाइनमेंट पर भी बात कर लेना l मैं कमरे में जा रहा हूं l"
शब्द कमरे में जाने लगा पर अंकिश ने उसे रोककर अपने बगल वाली कुर्सी पर बैठा लिया l
"सुबह से तू मीटिंग और असाइनमेंट में ही लगा पड़ा है l ना खुद खाया है और ना मुझे खाने दिया है l चल तू भी पहले खाना खा ले फिर आराम से डिस्कस करेंगे प्रोजेक्ट" ये कहते हुए अंकिश वाणी की तरफ मुड़ा और मुस्कुराते हुए बोला, "भाभी इसके लिए भी खाना लगा दो प्लीज!"
"तू ही खाले मेरे हिस्से का भी! जब तक ये प्रोजेक्ट निपट नहीं जाता तब तक मुझे तो भूख लगने नहीं वाली है" ये कहते हुए शब्द उठकर जाने लगा पर अंकिश ने उसे फिर से बैठा दिया और आंखें दिखाते हुए बोला, "बैठ चुपचाप और खा l बड़ा आया प्रोजेक्ट वाला?शायद तू भूल गया है कि ये प्रोजेक्ट जितना तेरा है उतना मेरा भी है और अगर ये खाना छोड़ने से ही निपट जाने वाला है तो मैं भी नहीं खा रहा l चल पहले प्रोजेक्ट ही कंप्लीट करते हैं l"
"कितना नौटंकी है ना तू? चल खाता हूं मैं भी" शब्द ने अंकिश को घूरते हुए कहा l
वाणी ने शब्द के लिए भी खाना सर्व कर दिया और पहली बार सब एक साथ बैठकर खाने लगे l
"कितना लकी है ना ये अंकल? आई मीन इसे भाभी के हाथ का इतना टेस्टी खाना रोज खाने को मिलता है और एक मैं हूं! जिसे घर जाकर पहले खुद खाना बनाना पड़ता है तब खाने को मिलता है l अंकिश ने ऋषभ को अपना दुख सुनाया तो शब्द तिरछी नजरों से वाणी की तरफ देखने लगा l वाणी भी उम्मीद भरी नजरों से उसकी तरफ भी देख रही थी l उसे खुद को देखते देख शब्द ने अपनी नजरें हटा ली और बिना कोई प्रतिक्रिया दिए खाना खाने लगा l
"क्यों? तृषा ने अब तक खाना बनाना नहीं सीखा?" ऋषभ ने हंसते हुए पूछा तो अंकिश मासूम सा चेहरा बनाते हुए बोला, "कहां अंकल?उसे खाना छोड़ कर सब बनाना आता है l मुझे उल्लू बनाना.. गधा बनाना.. बेवकूफ बनाना.. सब बना लेती है पर खाना नहीं बना पाती l मैंने भाभी को बोला भी था कि प्लीज उसे भी सिखा दो पर भाभी तो मेरी सुन ही नहीं रही हैँ l"
"अरे मैंने कितनी बार कोशिश की पर वो सीखती ही नहीं है क्योंकि उसे आपके हाथों का खाना पसंद है l" वाणी ने मुस्कुराकर जवाब दिया l
"ये होते हैं लव मैरिज के साइड इफेक्ट! इससे अच्छा तो मैं भी अरेंज मैरिज ही कर लेता l अब तो लगता है अगले जन्म में ही बीवी के हाथ का खाना नसीब होगा क्योंकि इस जन्म में तो मुझे भाभी जैसी बीवी मिलना पॉसिबल ही नहीं है l" अंकिश से शब्दों के बाण चलाए तो शब्द समझ गया कि अंकिश क्या कहने की कोशिश कर रहा है? इसलिए वो इस बहस से बचने के लिए खाना बीच में छोड़कर ही उठ गया l
" मेरा हो गया है l तू खा कर आ जाना" ये कहते हुए सब कमरे में चला गया और सारे लोग एक बार फिर से उदास हो गये l वाणी भी शब्द को दवाइयां देने कमरे में आ गई l
"कोई फायदा नहीं है बेटा! अब तो हमने उम्मीद ही छोड़ दी है कि ये कभी समझेगा?" मीरा ने अंकिश से उदास होकर कहा तो अंकिश मुस्कुराते हुए बोला, "कैसे नहीं समझेगा आंटी?हम सब मिलकर समझाएंगे l"
" पर कैसे बेटा? हमने कितनी बार तो कोशिशे की है इसे समझाने की" इस बार ऋषभ ने बुझी हुई आवाज मे पूछा
तो अंकिश हंसते हुए बोला, "यही तो प्रॉब्लम है अंकल कि अभी तक हम इसे बातों से मतलब थ्योरेटकली समझा रहे थे पर अब हम इसे प्रैक्टिकली समझाएंगे l"
"वो कैसे? मीरा ने उम्मीद भरी नजरों से पूछा तो अंकिश मुस्कुराते हुए बोला,"वो आप मुझ पर और तृषा पर छोड़ दीजिए l"
शब्द कहने को अपना लैपटॉप खोल कर बैठा हुआ था पर उसका ध्यान कहीं और था l वो आज फिर से क्रिस्टल और अपने पुराने दिनों को याद कर रहा था कि तभी वाणी अंदर आ गई l उसकी आहट सुनते ही वो अपने ख्यालों से बाहर आकर अपना काम करने लगा l वाणी ने ड्रार से उसकी दवाई निकाली और उसे देकर जैसे ही जाने लगी शब्द की आवाज उसके कानों में पड़ी, " एक कप ब्लैक कॉफी मिलेगी?"
ये सुनकर वाणी ऐसे खुश हो गई जैसे शब्द ने उसे आई लव यू कह दिया हो और होती भी क्यों ना? शब्द ने आज पहली बार उससे कोई फरमाइश की थी l वाणी खुश होकर जैसे ही कमरे से बाहर आई तो देखा वहां अंकिश खड़ा था l उसके चेहरे की मुस्कान से पता चल रहा था कि उसने भी शब्द की फरमाइश सुन ली थी l वाणी भी उसे एक मुस्कान देते हुए किचन में चली गई और अंकिश शब्द के पास आकर बैठ गया l
"क्या बात है? आज पहली बार भाभी को कमरे से मुस्कुराकर जाते हुए देखा l" अंकिश ने कहा तो शब्द खींझकर बोला, "तू प्लीज ये फालतू की बातें छोड़ कर काम पर फोकस करेगा?ऑलरेडी बहुत टाइम वेस्ट कर चुका है l"
"पता था! तू फिर से इग्नोर ही करेगा" अंकिश ने मुंह बना कर कहा तो शब्द घूरते हुए बोला, " जब इतना ही जानता है तो बार-बार क्यों एक ही बात लेकर बैठ जाता है? यार मुझे नहीं करनी है इस बारे में बात l ये मेरी जिंदगी है और इसे मैं जैसे चाहे जिऊ l इट्स कंपलीटली माय डिसीजन"
" तो तुझे ये बात शादी के वक्त अंकल आंटी से कहनी चाहिए थी ना? कम से कम भाभी की जिंदगी तो बर्बाद होने से बच जाती l यार तू सोच कर देख उनकी क्या गलती है?इन सब में उन्हें किस बात की सजा मिल रही है? " अंकिश ने शब्द को समझाने की कोशिश की तो शब्द चिल्लाते हुए बोला, " और मेरी क्या गलती थी? मुझे किस बात की सजा मिली? क्रिस्टल से पागलों की तरह प्यार करने की या अपने मॉम डैड का अच्छा बेटा होने की? क्योंकि और कोई गलती तो थी नहीं ना मेरी l अगर इन दोनों बातों के लिए मुझे सजा मिली है तो अब ना तो मुझे किसी से प्यार करना है और ना किसी के लिए अच्छा बनना है l मैं बुरा ही ठीक हूं l"
इससे पहले अंकिश कुछ कहता उसकी नजर दरवाजे पर खड़ी वाणी पर गई जो उसे इशारे से चुप रहने को बोल रही थी l वाणी का इशारा पाकर अंकिश चुप हो गया और वाणी शब्द के पास आकर खड़ी हो गई और कॉफी का कप शब्द की तरफ बढ़ाते हुए बोली, " कॉफी"
शब्द की नजर लैपटॉप की तरफ थी इसलिए उसने बिना देखे ही अपना हाथ कॉपी की तरफ बढ़ा दिया और अनजाने में शब्द का हाथ वाणी के हाथों से टकरा गया l शब्द की छुअन से वाणी के शरीर में एक कपकपी सी दौड़ गई l शब्द को भी वाणी की छुअन से एक अलग ही एहसास महसूस हुआ l अच्छा या बुरा पता नहीं पर उसे पहली बार कुछ तो महसूस हुआ l शब्द ने जल्दी से अपना हाथ हटा लिया और वाणी टेबल पर कॉफी रख कर चली गई l
अगले दिन शब्द के प्रोजेक्ट की प्रेजेंटेशन थी और अंकिश के प्लान की शुरुआत भी इसलिए सुबह सुबह ही अंकिश अपनी वाइफ तृषा और बेटी के साथ शब्द के घर पहुंच गया l तीनों को देखते ही मीरा उनके स्वागत के लिए आगे बढ़ी और मुस्कुराते हुए बोली, "अरे वाह! तुम सब सुबह-सुबह यहां? व्हाट ए प्लेज़ेंट सरप्राइज"
"वो आंटी दरअसल हमारे घर में आज से रेनोवेशन का काम शुरू होने वाला है l तो मैंने सोचा कुछ दिनों तक हम आपके साथ ही रुक जाये l" अंकिश ने सकुचाते हुए कहा तो ऋषभ मुस्कुरा कर बोले, "हां हां क्यों नहीं? ये भी तो तुम्हारा ही घर है ना?"
उन सब के आने से वाणी बहुत खुश हो गई क्योंकि अंकिश और तृषा के साथ वाणी बहुत सहज महसूस करती थी और सबसे बड़ी बात उन दोनों की बेटी अनोखी वाणी की बहुत लाडली थी l अनोखी को देखते ही वाणी ने जल्दी से उसे अपनी गोद में ले लिया और फिर तृषा और वाणी बैठ कर बातें करने लगे l इसी बीच शब्द भी जिम से वापस आ गया और उन सब के घर पर रुकने के बाद से वो भी खुश हो गया l अनोखी शब्द की भी बहुत लाडली थी l वो जब भी अंकिश के घर जाता था हमेशा बस अनोखी के साथ ही खेलता रहता था l
अनोखी को देखते ही शब्द भी उसकी तरफ बढ़ा तो वाणी ने मुस्कुराते हुए अनोखी को शब्द की गोद में दे दिया l शब्द बिल्कुल बच्चों की तरह अनोखी के साथ खेलने लगा और वाणी मुस्कुराते हुए कमरे में आकर उसके कपड़े निकालने लगी l वाणी के पीछे पीछे तृषा भी कमरे में आ गई और शब्द की शर्ट की तरफ देखते हुए बोली, " तूने ये शर्ट क्यों निकाली है? ये कलर तो शब्द को बिल्कुल सूट नहीं करता l"
"आई नो पर आज उनकी एक जरूरी प्रेजेंटेशन है और हर इंपॉर्टेंट काम के लिए शब्द यही शर्ट पहनते हैं l ये उनकी लकी शर्ट है ना इसलिए" वाणी ने मुस्कुरा कर कहा तो तृषा मन ही मन बड़बड़ाई, " मिल गया आईडिया"
"अरे वाह! तुझे तो तेरे हस्बैंड के बारे में सब पता है? मुझे तो ये भी नहीं पता कि अंकिश की कोई ऐसी लकी शर्ट है भी या नहीं" तृषा ने हंसते हुए कहा l
"तो इसमें क्या बड़ी बात है? अब पता कर लो?" वाणी ने कहा तो तृषा मुंह बना कर बोली, "नहीं यार! मुझसे नहीं होता ये सब"
तृषा ने वाणी को अपनी बातों में उलझा कर चुपके से शब्द की शर्ट की बटन तोड़ दी और फिर दोनों किचन में आ गई l नहाने के बाद शब्द जैसे ही शर्ट पहनने लगा तो देखा कि उसकी एक बटन टूटी हुई है l
"ओह नो! इसे भी आज ही टूटना था? मीटिंग के बाद नहीं टूट सकती थी? अब क्या करूं?" शब्द ने झल्लाकर कहा और शर्ट उतारने लगा तब तक वाणी कमरे में आ गयी l शब्द का चिढ़ा हुआ चेहरा देखकर वो समझ गई कि कुछ गड़बड़ हुई है l
"क्या हुआ? आप इतने गुस्से में क्यों है?" वाणी ने धीमी आवाज में पूछा तो शब्द चिढ़कर बोला, "तुम्हारी वजह से"