"अरे पर वो तो तेरे मेहनत की कमाई है ना और तेरे पापा ठीक कह रहे हैं l इसे बाइक की कोई जरूरत नहीं है" वाणी की मां ने कहा तो वाली उन्हें समझाते हुए बोली, " मां आप जानती हो ना कि हम दोनों को अपनी हैसियत का हमेशा से पता है l हमने कभी भी आपसे कुछ भी फिजूल नहीं मांगा l अगर आज प्रणव बाइक मांग रहा है तो जरूर इसे उसकी जरूरत होगी l"
वाणी की बात सुनकर प्रणव बहुत खुश हो गया और आकर वाणी के गले से लग गया l
" अच्छा बता कितने में आ जाएगी बाइक? " वाणी ने मुस्कुराकर पूछा तो प्रणव कुछ सोचते हुए बोला, "70000 तक की आ जाएगी l"
" पर मेरे पास तो केवल 65 ही है" वाणी ने उदास होकर कहा तो प्रणव झट से बोल पड़ा, "तो क्या हुआ? आप जीजू से ले लो l"
" नहीं प्रणव तू तो जानता है कि तेरे जीजू ने मुझे अब तक अपनी बीवी होने का दर्जा नहीं दिया है l जब वो मुझ पर कोई हक नहीं जताते तो मैं कैसे उन पर कोई हक जता सकती हूं?" वाणी में उदास होकर कहा और उसे जरा भी अंदाजा नहीं था कि उसकी ये सारी बातें कमरे से नीचे आते वक्त शब्द ने सुन ली थी l
"ये अब कपूर खानदान की बहू है l इसके 1 साइन से बीएमडब्ल्यू तक आ सकती है फिर भी ये अपने भाई के लिए अपने कमाए हुए पैसों से ही गिफ्ट लेना चाहती है l मैंने इसे अपनी पत्नी नहीं माना इसलिए ये मेरे पैसों पर अपना हक भी नहीं समझती l स्ट्रेंज! आजकल के टाइम में जहां सब पैसे के पीछे भागते हैं वहां कोई ऐसा भी होता है क्या?" ये सोचकर शब्द वहां से जाने लगा पर तभी उसके दिल में एक ख्याल आया और उसने अपनी जेब से फोन निकालकर अपने पीए राहुल का नंबर डायल किया l
" यस सर" राहुल ने पूछा l
" मुझे लेटेस्ट मॉडल की बाइक आधे घंटे के अंदर मेरे घर के बाहर चाहिए l" शब्द ने कहा तो राहुल मुस्कुरा कर बोला, "हो जाएगा"
" और मैं आज ऑफिस नहीं आ पाऊंगा l मेरी सारी मीटिंग कैंसिल कर दो" शब्द ने कहा तो राहुल ने "ओके सर कहकर फोन रख दिया l
सब बैठ कर बातें कर रहे थे तभी मीरा वहां आ गई और मुस्कुराते हुए बोली," खाना लग चुका है l चलिए सब लोग चलके खाना खा लीजिए और वाणी बेटा तूने तो आज सुबह से कुछ नहीं खाया है l मैं तेरे लिए यही खाना भिजवाती हूं l"
"नहीं मां मैंने बाहर शब्द के साथ खाना खा लिया था" वाणी ने मुस्कुरा कर कहा तो मीरा खुश होकर बोली, "अच्छा फिर तू यही आराम कर l"
सब लोग डाइनिंग टेबल पर आकर खाना खाने लगे तब तक दरवाजे की घंटी बजी l
" शायद राहुल बाइक लेकर आया होगा l मैं जा कर देखता हूं l" ये सोचकर शब्द ने जाकर दरवाजा खोला तो देखा ऋषभ और अंकिश खडे थे l
" अच्छा तो तू आज ऑफिस इसलिए नहीं आया क्योंकि तू यहां गेटकीपर बना हुआ है l" अंकिश ने हंसकर शब्द को छेड़ते हुए कहा तो शब्द मुंह बनाकर बोला, "कुछ भी मत बोल! ये सब तेरी वजह से ही हुआ है l अगर तू आज जल्दी नहीं गया होता तो मैं यहां नहीं फसा होता l"
"अच्छा तो तू यहां फ़स गया था पर जहां तक मुझे पता है शब्द कपूर को तो कोई नहीं फंसा सकता l" अंकिश ने कहा तो शब्द खींझकर बोला,"यार तू बकवास बंद कर और जाकर खाना खा! मेरा दिमाग मत खा l"
अंकित हंसते हुए वहां से चला गया और थोड़ी देर में फ्रेश होकर डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गया l
"कैसे हैं आप दोनों?" अंकिश ने वाणी के माता पिता का आशीर्वाद लेते हुए पूछा l
" हम ठीक हैं! तुम कैसे हो बेटा" वाणी के पिता ने मुस्कुराकर जवाब दिया l
" मैं भी ठीक हूं!" अंकिश ने मुस्कुरा कर कहा l
डायनिंग टेबल पर अंकिश ने अपनी बातों से सब को हंसाना शुरू कर दिया और उसकी बातों से वाणी के माता-पिता के चेहरों पर भी हंसी आ गई l
शब्द अभी भी दरवाजे पर खड़े होकर राहुल का इंतजार कर रहा था l
"कहां रह गया ये?कॉल ही कर लेता हूं l" ये सोचकर शब्द ने जैसे ही अपना फोन निकाला सामने से राहुल आता दिखाई दिया l
"ये लीजिए सर! एकदम लेटेस्ट मॉडल है l अभी नई नई आई है मार्केट में" राहुल ने बाइक की चाभी शब्द को पकड़ाते हुए कहा l
" ओके और इसका पेपर वर्क और इंश्योरेंस देख लेना l जितना जल्दी हो सके करवा कर मुझे दे देना l" शब्द ने बाइक पर नजर डालते हुए कहा तो राहुल "ओके सर" कहकर वहां से चला गया l
राहुल के जाते ही शब्द दरवाजा बंद करके अंदर आ गया l सारे लोग हॉल में ही बैठे हुए थे l उन सब को एक साथ देख कर शब्द मन ही मन सोचने लगा, " यार खरीद तो ली है पर इसे दू कैसे? मैंने तो आज तक वाणी के घर वालों से बात तक नहीं की है l एक काम करता हूं मां को दे देता हूं l वही दे देगी l"
ये सोचते हुए शब्द ने मीरा को आवाज लगाई और बिना किसी देरी के उसे पूरी बात बता दी l शब्द ने पहली बार वाणी के परिवार वालों के लिए कुछ किया है l ये जानकर मीरा बहुत खुश हो गयी l
" मां आप ये प्रणव को दे देना" शब्द ने बाइक की चाभी आगे बढ़ाते हुए कहा तो मीरा मुस्कुरा कर बोली, "बेटा तू खुद क्यों नहीं दे देता?"
" नहीं मां प्लीज आप ही दे दो" शब्द ने जिद करते हुए कहा तो मीरा उसकी बात मान गई l चाभिया देकर शब्द कमरे में चला गया और मीरा मुस्कुराते हुए हॉल में आ गई l
"ये लो बेटा! तुम्हें जो चाहिए था वो बाहर पार्किंग एरिया मे है l" मीरा ने प्रणब की तरफ चाभी बढ़ाते हुए कहा तो प्रणव बहुत खुश हो गया और बाकी लोगों को कुछ समझ नहीं आया l मीरा ने उन सब को सारी बात बता दी l जिसे सुनकर सब बहुत खुश हो गए पर वाणी और उसके माता-पिता को ये ठीक नहीं लगा l इसलिए वाणी भारी आवाज मे बोल पड़ी, "नहीं मां! प्रणव ये बाइक नहीं ले सकता l"
"पर क्यों बेटा?" मीरा ने चौक पर पूछा तो वाणी उदास होकर बोली, " बहुत सारे कारण है मां! पहला तो ये कि हम दोनों को इतनी महंगी चीजों की आदत नहीं है l दूसरा ये कि शब्द की किसी चीज पर अब तक मेरा ही हक नहीं है तो प्रणव का कैसे हो सकता है? "
"वाणी बिल्कुल ठीक कह रही है दीदी! इसे इतनी महंगी बाइक की कोई जरूरत नहीं है l हम इसे बाइक दिला देंगे" वाणी की माँ ने मुस्कुराकर कहा पर इससे पहले मीरा कोई जवाब देती तृषा बोल पड़ी, " पर वाणी ये तो शब्द की तरफ से गिफ्ट है ना और गिफ्ट में महंगा सस्ता नहीं देखते l"
" अगर उन्हें गिफ्ट ही देना था तो खुद आ कर देना चाहिए ना?ऐसे मेरी बातें सुनकर देने का क्या मतलब और मैं पहले भी कह चुकी हूं कि मैं ऐसे ही खुश हूं l उन्हें मेरे लिए कुछ भी करने की जरूरत नहीं है l" वाणी ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा तो पीछे खड़ा शब्द उसे घूरते हुए बोल पड़ा, " मां.. मैं किसी के लिए कुछ नहीं कर रहा हूं? मैंने गलती से बात सुन ली और मुझे लगा कि मुझे ये करना चाहिए इसलिए मैंने कर दिया l ये गिफ्ट मैंने तुम्हारे लिए लिया है प्रणव! इसलिये किसी और को बीच में बोलने का कोई हक नहीं है l यू टेक इट एंड एंजॉय और आगे से किसी भी चीज की जरूरत हो तो मुझे बोलना" ये कहते हुए शब्द ने प्रणव को बाइक की चाभी पकड़ा दी l
प्रणब ने भी खुश होकर चाभी ले ली और मुस्कुरा कर बोला, "ओके जीजू"
"बहुत देर हो गई है l अब हमें चलना चाहिए" वाणी के पिता ने कहा तो शब्द पहली बार झुक कर उनका आशीर्वाद लेते हुए बोला, "आते रहिएगा"
"जरूर बेटा" वाणी के पिता ने खुश होकर कहा और फिर वो लोग हंसी-खुशी वहां से चले गए l
आज पहली बार हुआ था की वाणी अपने माता-पिता के जाने पर इतना ज्यादा दुखी नहीं थी क्योंकि आज पहली बार शब्द ने उसके माता-पिता से बात की थी l उसके भाई को गिफ्ट ला कर दिया था l सिर्फ वाणी ही नहीं घर के सारे लोग इस बात से बहुत खुश थे l शब्द धीरे-धीरे ही सही पर वाणी के करीब आने लगा था l अपनी जिम्मेदारियां समझने लगा था l घर के सारे लोग हॉल में बैठकर इसी बारे में बात कर रहे थे तब तक शब्द भी वहां आ गया l
" अच्छा हुआ तू आ गया? मैं तेरे कमरे में ही आने वाला था?" अंकिश ने मुस्नुराते हुए कहा तो शब्द उसके बगल वाले सोफे पर बैठते हुए बोला, "क्यों कोई काम था?"
"वो मैं सोच रहा था कि भाभी के लिए हमें एक मेल नर्स अप्वॉइंट कर लेना चाहिए l" अंकिश ने कहा तो शब्द चौक कर बोला, "क्यों क्या हुआ?"
"अभी आंटी बता रही थी कि डॉक्टर ने भाभी को चलने फिरने से मना किया है तो कोई तो होना चाहिए ना जो उनका ख्याल रखें? बाकी घर वाले तो भाभी को गोद में उठा नहीं पाएंगे और मैं और तू तो हर वक़्त घर पर रह नहीं सकते? इसलिए..." अंकिश ने तृषा की तरफ देखते हुए कहा l तृषा और बाकी के घर वाले भी उसका इरादा समझ गए इसलिए वो भी उसका साथ देने लगे l
"हां! अंकिश सही कह रहा है l ऋषभ वो आपके फ्रेंड का बेटा है ना! क्या नाम है उसका? अविनाश! वो भी तो नर्स है ना l एक काम करते हैं उसे ही बुला लेते हैं l" मीरा ने ऋषभ से कहा ऋषभ अपना फोन निकालते हुए बोले, "हां अच्छा याद दिलाया तुमने l मैं अभी उसे कॉल करता हूं l"
"अरे ये सब लोग क्या कर रहे हैँ? मैं किसी और के साथ कैसे कम्फर्टेबल हो सकती हूँ l" ये सोचकर वाणी हिचकिचाते हुए बोली, "अरे.. पर पापा"
इससे पहले वाणी अपनी बात पूरी करती ऋषभ बोल पड़े, " अरे बेटा! वो बहुत अच्छा लड़का है l तुझे बिल्कुल भी दिक्कत नहीं होने देगा और वो तो शब्द का दोस्त भी है l है ना शब्द"
ऋषभ ने शब्द की तरफ देखकर पूछा तो शब्द मन ही मन बड़बड़ाने लगा, " दोस्त! हुँह मुझे तो इस वक्त वो अपना सबसे बड़ा दुश्मन लग रहा है l क्या करूं? कैसे रोकू"
शब्द को कोई तरीका नजर नहीं आया इसलिए उसने भी सर हिलाकर "हम्म्म" कह दिया l
" तो फिर ठीक है अंकल! आप उसी की बुला लीजिए l उससे तो शब्द को भी कोई प्रॉब्लम नहीं होगी l हैँ ना शब्द" अंकिश ने मुस्कुराकर पूछा तो शब्द मुंह बनाते हुए बोला, "आप लोगो को जो ठीक लगता है कीजिए l मुझसे क्यों पूछ रहे हैं?"
इतना कहकर शब्द वहां से चला गया और बाकी के लोग उदास होकर बैठ गए l