" नहीं बहुत मजा आया! अब दरवाजे से टकराऊंगा तो लगेगी ही ना l हुँह बड़ी आई लगी तो नहीं? " शब्द ने झल्लाकर कहा तो वाणी ने फट से सॉरी कह दिया l लेकिन शब्द का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था इसलिए वो चिल्लाते हुए बोला, " यू शुड बी! क्योंकि ये सब तुम्हारी वजह से ही हो रहा है l"
ये कहते हुए शब्द बाहर आ गया और वाणी मुस्कुरा कर सोचने लगी, "आप मेरी वजह से इतने परेशान हो रहे हैं फिर भी किसी की मदद नहीं ले रहे हैँ l सब खुद ही कर रहे हैं l पहली बार आपको परेशान देखकर भी मुझे खुशी हो रही है l
शब्द ने आकर कबर्ड से सूट निकाला और जाकर वाणी को दे दिया l वाणी ने कपड़े पहन लिए और फिर से शब्द को आवाज लगाई,"हो गया"
"आ रहा हूं! नौकर ही बना लिया है मुझे" बड़बड़ाते हुए शब्द बाथरूम में पहुंच गया और फिर से वाणी को गोद में उठाकर कमरे में ले आया l शब्द वाणी को बेड पर बिठाकर ऑफिस के लिए तैयार होने लगा और वाणी मुस्कुराते हुए उसे निहारने लगी l
कुछ ही देर में शब्द तैयार हो गया और वो जैसे ऑफिस के लिए निकलने लगा तभी उसका फोन बजा l
" हेलो" शब्द ने फोन उठाया तो सामने से एक लड़की की आवाज आई, " हेलो सर! मैं सिटी हॉस्पिटल से बोल रही हूं l आपको याद दिलाना है कि आज 12:00 बजे आपकी अपॉइंटमेंट है डॉक्टर गुप्ता के साथ, आपकी वाइफ के एक्स-रे और चेकअप के लिए! तो आप आ रहे हैं या मैं पोस्टपोन दूँ? "
" अरे हां मैं तो भूल ही गया" ये सोचकर शब्द सकपकाते हुए बोला, "आ.. नहीं.. पोस्टपोन करने की जरूरत नहीं है l हम आ रहे हैं l"
" ओके सर! हैव अ गुड डे" कहकर लड़की ने फोन रख दिया और शब्द वाणी की तरफ देखते हुए बोल पड़ा, " हॉस्पिटल से फोन था l तुम्हारी अपॉइंटमेंट है 12:00 बजे l मैं अंकिश को बोल देता हूं, वो ले जाएगा l"
ये सुनकर वाणी का चेहरा उतर गया l शब्द ने बाहर हॉल मे बैठी तृषा और मीरा से जाकर पूछा तो पता चला कि अंकिश ऑफिस के लिए निकल चुका था l
"और डैड कहां है?" शब्द ने पूछा तो मीरा ने बताया कि वो अपने किसी दोस्त से मिलने गए हैं l
"क्या हुआ?कुछ काम था?" तृषा ने पूछा तो शब्द उसे बताने लगा, "वो हॉस्पिटल से फोन आया था वाणी के चेकअप के लिए l डैड और अंकिश नहीं है तो तुम उसे लेकर चली जाओगी प्लीज?
शब्द की बात सुनकर तृषा तपाक से बोल पड़ी,"नहीं नहीं! मैं कैसे जा सकती हूं?"
"क्यों?" शब्द ने पूछा तो तृषा कुछ सोचते हुए बोली, "वो मुझे... मुझे... ठीक से कार ड्राइव करनी नहीं आती ना? "
"कोई बात नहीं मैं ड्राइवर भेज दूंगा" शब्द ने कहा तो तृषा फिर से बहाना बनाते हुए बोली, "हां पर मैं उसे कार मे बिठाउंगी कैसे? वो चल भी नहीं पाती है तो सीढिया कैसे उतरेगी? एक काम करो तुम भी लेकर जाओ उसे l"
" मेरी एक बहुत जरूरी मीटिंग है, मुझे वहां जाना है l" शब्द ने कहा तो इस बार मीरा बोल पड़ी, "अरे तो मीटिंग अंकिश अटेंड कर लेगा ना और फिर मीटिंग वाणी की सेहत से बढ़कर तो नहीं है ना? मैं जानती हूं तेरी जिंदगी में उसकी कोई अहमियत नहीं है पर हमारे लिए वो हमारी बेटी जैसी है और हमें उसकी बहुत परवाह है l इसलिए अपने लिए नहीं तो कम से कम हमारे लिए जाकर उसका चेकअप करवा दें l फिर पूरी जिंदगी अटेंड करते रहना अपनी मीटिंग l"
"हम्म्म.. ओके" इतना कहकर शब्द अपने कमरे की तरफ बढ़ते हुए सोचने लगा, " वैसे भी ये सब मेरी वजह से ही हुआ है l इसलिए जब तक वाणी ठीक नहीं हो जाती मुझे ना चाहते हुए भी उसकी केयर करनी पड़ेगी l वरना मेरा गिल्ट मुझे चैन से बैठने नहीं देगा l"
शब्द कमरे में आया तो देखा वाणी मुंह लटका कर बैठी हुई थी l
"इसे क्या हुआ? अभी तो बहुत हंस रही थी l शायद दर्द हो रहा होगा" ये सोचते हुए शब्द नरमी से बोला, " क्या हुआ? दर्द हो रहा है?"
"नहीं" वाणी ने सर हिलाते हुए कहा l
"फिर ऐसे मुंह क्यों बनाया है?" शब्द ने पूछा तो वाणी उदास होकर बोली, "बस ऐसे ही"
" ऐसे मुंह बना छोड़ो और जल्दी से तैयार हो जाओ l हॉस्पिटल चलना है "शब्द ने कहा तो वाणी को लगा कि वो अंकिश के साथ जाने वाली है इसलिए वो अभी भी मुंह लटका कर बैठी रही l ये देखकर शब्द चिल्लाते हुए बोला,"मेरे पास पूरा दिन नहीं है l तुम्हारा चेकअप कराने के अलावा भी बहुत काम है मुझे l इसलिए थोड़ा जल्दी करो l"
ये सुनकर वाणी मुस्कुराते हुए बोल पड़ी, "आप चल रहे हैं मेरे साथ?"
"ये सच में अजीब है l कब हंसने लगती है? कब रोने लगती है? कुछ पता नहीं चलता" ये सोच कर शब्द खींझकर बोला, " हां! अंकिश ऑफिस चला गया है इसलिए मुझे ही जाना पड़ेगा l"
"थैंक यू सो मच भगवान! आखिरकार आपने मेरी प्रार्थनाये सुनना शुरू कर ही दिया l" वाणी ने मुस्कुराते हुए मन ही मन भगवान को धन्यवाद दिया और उसे मुस्कुराते देख शब्द फिर से बोल पड़ा, " अब हंसती ही रहोगी या तैयार भी होगी l"
"वो कंघी चाहिए" वाणी ने मासूमियत से कहा तो शब्द झल्लाकर बोला, "हाँ हाँ दे रहा हूं l"
शब्द ने वाणी को कंघी लाकर दे दी l वाणी ने अपने बाल बना लिए l
"अब चले!" शब्द ने पूछा तो वाणी डरते हुए बोली, "एक चीज रह गई"
" अब क्या" शब्द ने पूछा तो वाणी सहमकर बोली, "सिन्दूर"
ये सुनकर शब्द वाणी की तरफ बढ़ा और उसे गोद में उठाकर ड्रेसिंग टेबल के पास बैठातें हुए बोला, " जो करना है फटाफट कर लो! ज्यादा वक्त नहीं है मेरे पास? "
"हम्म्म" वाणी ने सिर्फ़ इतना ही कहा और फिर मन ही मन सोचने लगी, "केयर करना चाहते हैं पर दिखाना नहीं चाहते"