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पार्ट 6

18 अक्टूबर 2021

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"अहह.. लग गई मुझे" अंदर से वाणी की दर्द भरी आवाज आई l

" व्हाट पर कैसे" शब्द ने परेशान होकर पूछा तो वाणी डरते हुए बोली, "पता नहीं कैसे शावर जेल जमीन पर गिरा हुआ था l मैंने देखा ही नहीं और मैं फिसल गई l"

ये सुनकर शब्द को याद आया कि थोड़ी देर पहले उससे ही गलती से शावर जेल जमीन पर गिर गया था l वाणी को उसकी वजह से चोट लगी ये जानकर शब्द थोड़ा सा
नरम होते हुए बोला, " तुम बाहर आओ! मैं डॉक्टर को कॉल करता हूं l"

शब्द को खुद के लिए इतना फ़िक्रमन्द होते देख वाणी बहुत खुश हुई पर जैसे ही वो उठने की कोशिश करने लगी उसके पैर में जोरो का दर्द हुआ और वो दर्द से चिल्लाते हुए फिर से वहीं बैठ गई l

"अब क्या हुआ" शब्द ने पूछा तो वाणी रोते हुए बोली, "पैर में बहुत जोर का दर्द हो रहा है l मैं उठ ही नहीं पा रही हूं l"

" रुको मैं अंदर आता हूं" शब्द ने कहा तो वाणी घबरा कर बोली, " नहीं प्लीज"

" क्यों" शब्द ने पूछा तो वाणी सकुचाते हुए बोली, "आ. वो एक्चुअली... मैंने कपड़े..."

"डोंट वरी.. मैं आंखे बंद रखूंगा" ये कहते हुए शब्द ने जाकर वाणी की कबर्ड से दूसरी नाईटड्रेस निकाली और फिर उसे लेकर आंखे बंद करते हुए बाथरूम मे आ गया l उसे ऐसे देखकर वाणी के रोतलू से चेहरे पर मुस्कान आ गई l

"ये लो! पहन लो" शब्द ने नाईट ड्रेस वाणी की तरह बढ़ाते हुए कहा तो वाणी हिचकिचाहते हुए बोली, "मैं आपसे बहुत दूर हूं! थोड़ा सा और आगे आइये"

शब्द धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा और वाणी की नजर  उसके चेहरे पर ही अटक गई l

"कितने क्यूट है ना ये, पर फिर भी पता नहीं क्यों हमेशा सडू बने रहते हैं?" वाणी मन ही मन सोचने लगी और इतने में शब्द झल्लाते हुए बोला, "और कितना आगे आना है?"

"बस इतना ही!" ये कहते हुए वाणी ने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए उससे ड्रेस ले ली और जल्दी से ड्रेस पहन कर मुस्कुराते हुए बोली, "हो गया"

शब्द ने अपनी आंखें खोली और उसकी नजरें भी वाणी की घबराई हुई नज़रों से जाकर मिल गई l दोनों कुछ पल के लिए वहीं रुक गए और फिर वाणी ने अपनी नजरे झुका ली l शब्द ने भी उस पर से अपनी नज़रे हटा कर इधर-उधर देखते हुए वाणी को अपनी गोद में उठा लिया l शब्द का ये रूप देखकर वाणी हैरानी से उसकी तरफ देखने लगी l शब्द ने भी एक बार तिरछी नज़रो से वाणी की तरफ देखा तो वाणी ने अपनी बाहे शब्द के गले मे डाल दी और शब्द उसे लेकर बाथरूम से बाहर आ गया l

" तुम बैठो! मैं डॉक्टर को कॉल करता हूं l" शब्द ने वाणी को बेड पर बिठाते हुए कहा l

"नहीं! इस वक्त डॉक्टर को बुलाना ठीक नहीं होगा l मॉम डैड भी फालतू में परेशान हो जाएंगे l आप मुझे ड्रार से पेन किलर निकाल कर दे दीजिए l मैं सुबह तृषा के साथ डॉक्टर के पास चली जाऊंगी l" वाणी ने कहा तो शब्द वाणी के पैर की तरफ देखते हुए बोला, " नहीं ऐसे इग्नोर करना ठीक नहीं होगा l फैक्चर भी हो सकता है l मैं डॉक्टर को बुला लेता हूं l"

वाणी उसे मना करने वाली थी पर उसका गुस्से वाला चेहरा देखकर रुक गई l शब्द ने डॉक्टर को कॉल करके बुला लिया l

आधे घंटे मे डॉक्टर आ गए और वाणी का चेक अप करने लगे l घर के सारे लोग चिंतित होकर वाणी के आस पास ही खडे हो गए l

"कोई परेशानी वाली बात तो नहीं है ना डॉक्टर" ऋषभ ने पूछा तो डॉक्टर बताने लगे, "मिस्टर कपूर.. लग तो रहा है कि इनके एंकल मे हल्का सा फ्रैक्चर हुआ है पर स्योरिटी के लिए इनका एक एक्सरे निकलवाना पड़ेगा अभी मैं कुछ दवाइयां लिख कर दे रहा हूं l प्लीज इन्हे टाइम पर देते रहिएगा और हां अगले कुछ दिनों तक इन्हे चलना फिरना बिलकुल बंद करना होगा l"

वाणी की हालत के बारे मे सुनकर सब उदास हो गये और डॉक्टर दवाई का पर्चा देकर चले गए l

"सुना ना तूने? डॉक्टर ने क्या कहा l अबसे तू यही बेड पर बैठकर आराम करेगी l तुझे जो भी चाइये होगा, मुझे बोलेगी ...समझी .." मीरा ने वाणी को हिदायत देते हुए कहा l

"पर माँ! मैं ठीक हूं l कुछ नहीं हुआ है मुझे" वाणी ने कहा तो तृषा भी उसे डांटते हुए बोली,"हाँ! वो तो दिख रहा है l पैर तुड़वाकर बैठी है और बोल रही है कि मैं ठीक हूं l कान खोल कर सुन ले वाणी! अब तेरी कोई मनमानी नहीं चलेगी l तू कुछ दिनों तक सिर्फ आराम करेगी l"

"तृषा सही कह रही है भाभी! आपको आराम की शख्त जरूरत है और सही वक़्त पर दवाइयो की l मैं जाकर दवाई लेकर आता हूं l" ये कहकर अंकिश जाने लगा तभी शब्द बोल पड़ा, " तू रहने दे! वैसे भी ऑफिस से लेट आया है l थक गया होगा l मैं लेकर आता हूं l"

शब्द की बातें सुनकर सब हैरान होकर उसे देखने लगे पर शब्द उन्हें नजरअंदाज करते हुए प्रिस्क्रिप्शन लेकर चला गया l

शब्द जैसे ही दवाइयां लेकर कमरे में आया तो देखा वाणी आराम से सोई हुई है l उसे सोते हुए देखकर शब्द ने बिना आवाज किये दरवाजा बंद किया और फिर धीरे से उसके पास आकर बैठ गया l


" तुम ये मत समझना कि अब मेरे दिल में तुम्हारे लिए कोई स्वीट कॉर्नर बनने लगा है l मैं ये सब जो कुछ भी कर रहा हूं इसलिए कर रहा हूं क्योंकि तुम्हे ये चोट मेरी वजह से लगी है l" शब्द वाणी की तरफ देखते हुए बुदबुदाया l

शब्द एक बार फिर से अपने दिल को समझाने की कोशिश करने लगा कि वो ये सब सिर्फ अपने गिल्ट को कम करने के लिए कर रहा है l पर असल में तो बात कुछ और ही थी l जिसे शब्द अभी मानना नहीं चाहता था l इसी उधेड़बुन में रात गुजर गई और सुबह जब उसकी आंख खुली तो उसने देखा कि उसने अपना सिर वाणी के हाथ पर रखा हुआ है और वाणी बहुत धीरे से अपना हाथ निकाल कर उठने की कोशिश में लगी हुई है l ये देखकर शब्द तुरंत उठ कर बैठ गया और नज़रे चुराते हुए बोला, " सॉरी! वो मुझे पता नहीं चला कि मैं कभी यहीं पर सो गया l"

"कोई बात नहीं" वाणी ने मुस्कुराकर जवाब दिया l

" मैं तुम्हारे लिए नाश्ता भिजवाता हूं l उसके बाद तुम्हें दवाई भी लेनी है l" ये कहते हुए शब्द जाने लगा तो वाणी डरते हुए बोल पड़ी, "ब्रश नहीं किया अभी"

"अरे यार! अब फिर से इसे गोद में उठाकर ले जाना पड़ेगा l पता नहीं क्या हो रहा है मेरे साथ? मैं जितना इससे दूर भागना चाहता हूं उतना ही इसके करीब जाना पड़ रहा है l लेकिन ये सब हुआ भी तो मेरी वजह से ही है ना?अब तो इसकी मदद करनी ही पड़ेगी l" ये सोचकर शब्द बुझी हुई आवाज में बोला, "चलो मैं लेकर चलता हूं"


शब्द वाणी को अपनी गोद में उठाकर बाथरूम की तरफ बढ़ने लगा और वाणी एक प्यारी सी मुस्कान के साथ उसे देखतें हुए सोचने लगी, "अगर मुझे पता होता कि पैर टूटने के बाद आप मेरी इतनी परवाह करेंगे?तो मैं बहुत पहले ही अपना पैर तुड़वा लेती l"

"ये क्या जबरदस्ती की मुसीबत गले पड़ गई है? जिसकी शक्ल तक से नफरत करता आया हूं l उसे आज गोद में उठा कर घूमना पड़ रहा है l" शब्द मन ही मन बढ़बढ़ाया और फिर वाणी को ले जाकर बाथरूम मे बिठा दिया l

"ये रहा टूथपेस्ट ब्रश सोप शावर जेल फेसपैक फेसवाश मॉइस्चरजर शैम्पू और टॉवल.. जो कुछ भी करना है, एक बार मे ही कर लेना क्योकि मैं बार बार तुम्हे गोद मे उठाकर अंदर बाहर नहीं करने वाला l" शब्द ने बाथरूम मे मौज़ूद सारी चीज़े वाणी के पास रखते हुए कहा l

शब्द के इस व्यवहार से वाणी को हसीं आ गई l इसलिए वो सर झुकाकर चुपके से हंसते हुए बोली, "जी"

" अब मैं जा रहा हूं l जब हो जाए तो बुला लेना" ये कहते हुए शब्द बाथरूम से बाहर आ गया और वाणी जोर जोर से हसने लगी l

लगभग 15 20 मिनट बाद वाणी ने शब्द को आवाज लगाई, "सुनिए"

"हो गया" शब्द ने पूछा तो वाणी घबराते हुए बोली, "आ..नहीं.."

"तो फिर बुलाया क्यों?" शब्द ने झल्लाकर पूछा तो हिचकिचाते हुए बोली, "वो मेरे कपड़े... नहीं हैँ l"

" अरे हाँ! कपड़े तो दिये ही नहीं तो पहनेगी क्या" ये सोचकर शब्द "लाता हूं" कहकर वाणी के कबर्ड से कपड़े निकालने लगा l

जल्दी मे शब्द के हाथ साड़ी और ब्लाउज ही लगा इसलिए वो उसे लेकर थोड़ा सा दरवाजा खोलकर साड़ी वाणी की तरफ बढ़ाते हुए बोला, "ये लो और फटाफट पहनो क्योंकि मुझे भी तैयार होना है l"

"मेरा हाथ आप तक नहीं पहुंच रहा"वाणी ने घबराते हुए कहा तो शब्द गुस्से में दरवाजा खोल कर अंदर आ गया पर वाणी को सिर्फ तौलिए में देखकर उसने अपने हाथों से अपनी आंखे ढक ली और घबराते हुए बोला,"सॉरी सॉरी! वो मुझे याद नहीं रहा l आई एम रियली सॉरी!" ये रहे तुम्हारे कपड़े" इतना कहकर शब्द ने वाणी की तरफ कपड़े बढ़ा दिए l

"आप साड़ी लेकर आए हैं?" वाणी कपड़ों की तरफ देख कर कहा तो शब्द झल्लाकर बोला, "यार अब तुम टिपिकल लड़कियों की तरह अपना ड्रेसिंग सेंस लेकर मत मत बैठ जाना प्लीज! मुझे जो मिला मैं ले आया lअब यही पहन लो"


"सॉरी मैं आपको बहुत परेशान कर रही हूं पर बात वो नहीं है" वाणी ने डरते हुए कहा तो शब्द चिढ़कर बोला, " अच्छा तो फिर क्या बात है? "


" पैर में फ्रैक्चर है इसलिए खड़ी नहीं हो पाऊंगी और बैठे-बैठे तो साड़ी नहीं पहन सकते ना? इसलिए.. " वाणी ने कहा तो इस बार सब खुद पर ही बड़बड़ाने लगा, "अरे हाँ यार! लॉजिकल सी बात है पर मेरे दिमाग में क्यों नहीं आ रही है ऐसी लॉजिकल बातें?"

" ठीक है तो फिर क्या लेकर आऊं? " शब्द ने पूछा तो वाणी मुस्कुरा कर बोली, "सूट"

" ओके लेकर आता हूं" कहकर शब्द आंखें बंद करके ही बाहर जाने लगा और तभी जाकर दरवाजे से टकरा गया l

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