"आपको कैसे पता कि मैं उसके बारे में सोच रही हूं?" वाणी ने चौककर पूछा l
"क्योंकि तुम्हारे चेहरे पर लिखा है कि तुम टेंशन में हो! अब तुम्हारे पास तो कोई टेंशन बची नहीं है नहीं तो जाहिर सी बात है कि तुम उसे लेकर ही परेशान होगी l" शब्द ने कहा वाणी एक लंबी सांस लेते हुए बोली, "आप भी ना.. डरा देते हैँ l"
"तुम तो मेरी हर बात से डर जाती हो?अब इसमें डरने जैसा क्या था?"शब्द ने मुँह बनाकर कहा तो वाणी सकपकाते हुए बोली,"कुछ नहीं.. बस ऐसे ही! अच्छा आप जल्दी चलाइए ना मुझे भूख लग रही है l"
" जल्दी ही तो चला रहा हूं और तुम क्या चाहती हो कि उस लड़की के जैसे मैं भी एक्सीडेंट... " इससे पहले शब्द अपनी बात पूरी करता वाणी ने घबराकर उसके मुँह पर हाथ रख दिया l दोनों की नज़रे जाकर आपस मे टकरा गई l फिर शब्द अपनी नज़रे हटाकर गाड़ी चलाने लगा और वाणी चुप होकर बैठ गई l
शब्द और वाणी अभी घर पहुंचे ही थे कि तभी उसके ऑफिस से फोन आ गया l शब्द की एक बहुत अर्जेंट मीटिंग आ गई थी इसलिये वो ऑफिस के लिए निकलने लगा पर वाणी उसे रोकते हुए बोली, " मुझे आपसे एक बहुत जरुरी बातें करनी है l"
"मैं तुमसे वापस आकर बात करूंगा वाणी! अभी मेरा जाना बहुत जरुरी है l" ये कहते हुए शब्द तेजी से घर से बाहर निकल गया और वाणी उदास होकर बैठ गई l इसी बीच तृषा वहां आ गई और वाणी को यू उदास देखकर हैरानी से बोली, " क्या बात है तू अब क्यों उदास है? अब तो सब ठीक हो गया न"
"सब ठीक नहीं हुआ है तृषा! अभी सब ठीक होना बाकी है l" ये कहते हुए वाणी ने तृषा को सारी बात बता दी और ये सब जानकर तृषा अपना सर पीटते हुए बोल पड़ी, "ओह गॉड! और तू ये बात शब्द को बताने वाली थी l तू पागल हो गई है क्या? अभी अभी सब ठीक हुआ है और तू फिर से सब गड़बड़ करने पर तुली हुई है l"
" अगर सब ठीक हो गया है तो ये बात शब्द के जानने के बाद भी सब ठीक ही रहेगा और अगर ठीक नहीं रहा तो इसका मतलब सब कभी ठीक हुआ ही नहीं था l" वाणी ने उदास होकर कहा l
इससे पहले तृषा उसे कुछ समझाती उसकी नजर मीरा पर गई जो उन दोनों की बातें सुन रही थी l
"आंटी अब आप ही इसे समझाइए! मुझसे तो ये समझेगी नहीं" तृषा ने मीरा का हाथ पकड़ कर उसे अपने पास बिठाते हुए कहा तो मीरा वाणी के सिर पर हाथ फेरते हुए बोली, "तृषा सही कह रही है बेटा! अभी तो तुम दोनों मे थोड़ी दूरियां कम हुई है l अगर तूने शब्द को क्रिस्टल के बारे में बता दिया तो वो फिर से परेशान हो जाएगा और वैसे भी तूने उसकी जान तो बचा ही ली है ना? फिर ये सब बताने की जरूरत क्या है?"
"अगर ये जानने के बाद हमारे बीच फिर से दूरियां आ गई माँ तो इसका मतलब हमारे बीच कभी नज़दीकियां आई ही नहीं थी और अगर ये जानने के बाद भी नज़दीकियां नहीं मिटी तो हमारे बीच फिर कभी दूरियां नहीं आएंगी"
वाणी ने मुस्कुराकर कहा तो तृषा गुस्से मे बोल पड़ी, " ये नहीं मानेगी आंटी! कर लेने दीजिए इसे मनमानी! ज़ब शब्द इससे फिर से दूर हो जाएगा ना? तब पता चलेगा"
ये कहते हुए तृषा गुस्से में कमरे में चली गई और वाणी मीरा की तरफ देखने लगी l मीरा भी उससे बिना कुछ कहे चुपचाप उठकर वहां से चली गई l ये देखकर वाणी मन ही मन सोचने लगी, "सब लोग मुझसे नाराज हो गए हैँ? अब मैं क्या करूं? जो भी हो मैं शब्द से इतनी बड़ी बात नहीं छुपा सकती l इन लोगों को तो मैं बाद में मना लूंगी पर अगर ये बात नहीं बताने से शब्द नाराज हो गए
तो उन्हें नहीं मना पाऊँगी l"
शाम हो गई थी l तृषा उदास होकर अपने कमरे में बैठी हुई तब तक अंकिश भी ऑफिस से आ गया l तृषा इतनी परेशान थी कि उसका ध्यान अभी तक अंकिश पर नहीं गया l
" क्या बात है? आज तो कोई बहुत चुप बैठा है? आज सूरज ने अपनी दिशा बदल दी क्या" अंकिश ने शीशा देखकर अपना कोट उतारते हुए कहा तो तृषा का ध्यान अंकिश पर गया l अंकिश को देखकर तृषा बिना कुछ कहे उसके गले से लग गई l अंकिश समझ गया कि त्रिशा कुछ परेशान है इसलिए उसने उसका हाथ थामकर अपने सामने बिठाते हुए पूछा, " क्या बात है? कुछ हुआ क्या? किसी ने कुछ कहा क्या? "
तृषा ने बिना देरी किये अंकिश को भी पूरी बात बता दी जिसे सुनकर अंकिश भी परेशान हो गया l
"अब क्या होगा अंकिश?" तृषा ने उदास होकर पूछा तो अंकिश उसका सर अपने कंधे पर टिकाते हुए बोला, " देखो त्रिशा! कभी-कभी चीजों को वक्त पर ही छोड़ देना चाहिए l हमसे जो हो सकता था हमने किया? पर अब भाभी को सच बताने से तो नहीं रोक सकते ना l"
" पर अगर शब्द फिर से पहले जैसा हो गया तो वाणी का क्या होगा" तृषा ने घबराते हुए पूछा तो अंकिश उसे हौसला देते हुए बोला, " वही होगा जो ऊपर वाला चाहेगा l तुम चिंता मत करो! वाणी भाभी ने कभी किसी का बुरा नहीं किया है तो ऊपर वाला उनका भी बुरा नहीं होने देगा l"
रात के 12:00 बज गए थे और शब्द अब तक घर नहीं आया था l वाणी लगातार उसे कॉल कर रही थी पर उसका नंबर ऑफ था l शब्द का इंतजार करते करते वाणी एक बार फिर से डाइनिंग टेबल पर ही सो गई l
थोड़ी देर में जब शब्द घर वापस लौटा तो देखा वाणी डाइनिंग टेबल पर ही सोइ हुई है l
"मैम ने खाना खाया? शब्द ने मेड से पूछा तो उसने बताया कि वो उसका इंतज़ार करते करते ही सो गई है l शब्द मेड को कमरे मे खाना लाने को कहकर वाणी को गोद मे उठाकर कमरे मे ले आया l
कपड़े बदलने के बाद शब्द ने वाणी के सर पर प्यार से हाथ रखते हुए उसे जगाया,"वाणी उठो! थोड़ा सा खाना कहा लो"
शब्द की आवाज सुनकर वाणी चौककर उठते हुए बोली, "आप.. आप आ गए और मैं यहां कैसे आई"
"उड़कर! ओवियसली मैं ही लाया तुम्हे! अच्छा अब ये बाते बंद करो और खाना खाओ l मुझे जोरो की भूख लगी है l" शब्द ने मुस्कुराते हुए कहा तो वाणी हैरानी से बोल पड़ी, " आपने भी अभी तक खाना नहीं खाया? "
"नहीं! तुम्हारे साथ खाना था l हो गया तुम्हारा केबीसी खत्म l चलो अब खाओ" ये कहते हुए शब्द अपने हाथो से वाणी को खाना खिलाने लगा और वाणी मन ही मन सोचने लगी, "अब शब्द मुझे सच मे समझने लगे हैँ l मुझे पूरा यकीन है कि अब ये बात जानने के बाद भी वो डिस्टर्ब नहीं होंगे l"
खाना खाने के बाद वाणी ने शब्द को सच्चाई बताने कि कोशिश की पर शब्द काफ़ी थका हुआ था इसलिए वो सुबह बात करने का कहकर सो गया l अगले दिन भी वाणी ने बात करने की कोशिश की पर इतने दिनों के गैप मे काम इतना बढ़ गया था कि शब्द पूरे दिन काम मे ही उलझा रहा और इसलिए उस दिन भी बात नहीं हो पाई l
अगले दिन जब शब्द ऑफिस पहुंचा तो उसे याद आया कि आज डॉक्टर के साथ वाणी की अपॉइंटमेंट है l अंकिश अभी तक ऑफिस नहीं आया था इसलिए उसने फटाफट अंकिश को कॉल किया l
" हां बोल" फोन उठाते ही अंकिश ने पूछा तो शब्द उसे बताने लगा, "आज वाणी की डॉक्टर के साथ अपॉइंटमेंट है l मैं भूल गया था l तू एक काम कर ऑफिस आते वक्त उसे हॉस्पिटल छोड़ दे l वो जब तक चेकअप कराएगी मैं काम खत्म करके उसे लेने पहुंच जाऊंगा l"
"क्या बात है? आजकल तू बड़ा ख्याल रख रहा है भाभी का" अंकिश ने शब्द को छेड़ते हुए कहा तो शब्द झल्लाते हुए बोल पड़ा, " जितना कह रहा हूं उतना करेगा! प्लीज"
" ठीक है ठीक है मैं छोड़ दूंगा l" ये कहते हुए अंकिश ने फ़ोन रख दिया और फिर वाणी को लेकर हॉस्पिटल पहुंच गया l
चेकअप होने के बाद वाणी वेटिंग हॉल मे शब्द का इंतजार कर रही थी l उसके दिल में तरह तरह के ख्याल चल रहे थे l उसे डर भी लग रहा था कि कहीं उसके बताने से पहले ही शब्द को क्रिस्टल के बारे में पता चल गया तो क्या होगा?
हॉस्पिटल पहुंचकर शब्द डॉक्टर के केबिन की तरफ ही जा रहा था तभी उसकी नजर सामने के कमरे पर बैठी लड़की पड़ गई l उसे देखकर शब्द वहीं ठहर गया l उसके पैर जैसे आगे बढ़ ही नहीं पा रहे थे l वो लड़की कोई और नहीं क्रिस्टल थी l शब्द की क्रिस्टल! अपने प्यार को 7 महीने बाद इस हालत में देखकर शब्द की आंखों से बहुत रोकने के बाद भी आंसू बहने लगे l वो धीरे-धीरे कमरे में पहुंच गया और उसे ऐसे अचानक इतने दिनों बाद यू देखकर क्रिस्टल भी एकदम हैरान रह गई l
" तुम यहां" क्रिस्टल ने चौक कर पूछा तो शब्द टूटे फूटे शब्दों मे बोला, "तुम.. इस हालत मे... यहां.. ये सब कैसे हुआ?तुम्हें ये चोट कैसे लगी?"
क्रिस्टल कुछ कह पाती तब तक नर्स वहां आ गई और शब्द को देख कर खुश होते हुए बोली, " अरे सर! आप यहां?अकेले आए हैं! मैम नहीं आई"
"तो ये और उनकी वाइफ पहले भी यहां आ चुके हैं?" क्रिस्टल ने हैरान होकर नर्स से पूछा तो नर्स उसे बताने लगी, " अरे सर इनकी वाइफ ने हीं तो सही वक्त पर खून देकर आपकी जान बचाई थी l
नर्स की बात सुनकर शब्द और क्रिस्टल दोनों हैरान रह गए l नर्स क्रिस्टल को दवाइयां देकर वहां से चली गई और शब्द क्रिस्टल के सामने बुत बनकर बैठ गया l
" इसका मतलब एलविन तुम्हारा पति है?" शब्द ने नम आँखों से पूछा तो क्रिस्टल मुँह फेरते हुए भावहीन होकर बोली, " हां मेरी शादी हो चुकी है l"
" तुम ऐसा कैसे कर सकती हो क्रिस्टल? तुम तो मुझसे प्यार... " शब्द ने चिल्लाकर कहा तो क्रिस्टल भी तेज आवाज मे बोल पड़ी, " रुक क्यों गए शब्द? बोलो! बोलो कि मैं तुमसे प्यार करती थी पर प्यार तो तुम भी मुझसे करते थे ना तो फिर तुमने किसी और को अपना क्यों बना लिया? "
"अपना बनाने मे और शादी करने मे फर्क होता है" शब्द ने गुस्से मे कहा तो क्रिस्टल नज़रे चुराते हुए बोल पड़ी, " पर मेरे लिए इन दोनों बातों में कोई फर्क नहीं है l मैं एलविन से शादी भी कर चुकी हूं और उसे अपना भी चुकी हूं l बहुत ही जल्द हमारे प्यार की निशानी भी इस दुनिया मे आने वाली है l"
ये सुनकर शब्द के ऊपर तो जैसे आसमान ही टूट पड़ा और वो चिल्लाते हुए बोला, "झूठ! ये नहीं हो सकता?"