"घबराने वाली तो कोई बात नहीं है ना डॉक्टर" शब्द ने चिंतित होकर पूछा तो डॉक्टर मुस्कुरा कर बोले, " नहीं घबराने वाली कोई बात नहीं है l बस इन्हें कुछ दवाइयां और कुछ दिन प्रॉपर रेस्ट की जरूरत है l देन शी विल बी ऑल राइट!"
"ओके डॉक्टर! तो अभी मैं इसको घर ले जा सकता हूं" शब्द ने पूछा l
"हां बिल्कुल पर आप को इस बात का खास ख्याल रखना है कि ये अपनी मेडिसिन टाइम पर ले और प्रॉपर रेस्ट करें? इनके पैर पर जरा सा भी जोर नहीं पड़ना चाहिए l" डॉक्टर ने हिदायत देते हुए कहा l
"ओके डॉक्टर! आई विल टेक केयर ऑफ इट! अब मैं चलता हूं l" ये कहते हुए शब्द वाणी को लेकर हॉस्पिटल से बाहर आ गया और उसे कार में बिठाते हुए बोला, " तुम थोड़ी देर बैठो! मैं फार्मेसी से मेडिसिन लेकर आता हूं l"
"ओके" वाणी ने बुझी हुई आवाज मे कहा तो शब्द "आता हूं" कहकर वहाँ से चला गया l शब्द का ये केयरिंग साइड वाणी पहली बार देख रही थी और मन ही मन बहुत खुश भी हो रही थी l पर आज जल्दी-जल्दी मे उसने नाश्ता नहीं किया था इसलिए उसे जोरों की भूख भी लग रही थी l इसी वजह से ना चाहते हुए भी उसके चेहरे पर 12:00 बजे हुए थे l
10 मिनट बाद जब शब्द मेडिसिन लेकर आया तो देखा कि वाणी का चेहरा एकदम मुरझाया हुआ है l
" क्या हुआ? दर्द हो रहा है क्या? " शब्द ने वाणी को उदास देखकर पूछा तो वाणी बिना कुछ कहे "ना" में सर हिलाने लगी l
"फिर" शब्द ने भौहे चढ़ाकर पूछा l
" आप डाटेंगे तो नहीं ना? " वाणी ने डरते हुए कहा l
" मैं क्या तुम्हें कोई राक्षस लगता हूं जो हमेशा डांटता ही रहूंगा l" शब्द ने चिल्लाकर कहा तो वाणी उदास होकर बोली, "देखा! आप अभी भी डांट ही रहे हैं l"
" ओके ओके नहीं डांटूगा! बताओ? " शब्द ने अपने गुस्से पर नियंत्रण रखते हुए कहा l
"वो...मुझे भूख लगी है" वाणी ने बुझी हुई आवाज में कहा तो शब्द को भी याद आ गया कि जल्दी-जल्दी में आज वाणी ने नाश्ता नहीं किया था l
" तो पहले नहीं बोल पा रही थी" शब्द ने आंखें दिखा कर कहा तो वाणी सहम गई l
वाणी को डरते देख शब्द एक बार फिर से अपने गुस्से को काबू करते हुए बोला, " अच्छा ठीक है! चलो पहले कुछ खा लेते हैं फिर घर चलते हैं l"
यह सुनकर वाणी बहुत खुश हुई और उसकी भूख तो अब और भी बढ़ गई क्योकि शादी के बाद आज पहली बार वो शब्द के साथ खाना खाने वाली थी l
थोड़ी देर ड्राइव करने के बाद शब्द का फेवरेट रेस्टोरेंट आ गया l शब्द ने नीचे उतरकर वेटर को व्हीलचेयर लाने का इशारा किया l वेटर व्हीलचेयर लेकर आ गया और शब्द में धीरे से वाणी को कार से उतारकर व्हील चेयर पर बैठा दिया l दोनों रेस्टोरेंट के अंदर आकर बैठ गए और शब्द वाणी की तरफ मैन्यू कार्ड बढ़ाते हुए बोला, "जो भी खाना है ऑर्डर कर लो l"
"और आप" वाणी ने धीमी आवाज में पूछा तो शब्द जेब से अपना फोन निकालकर मेल चेक करते हुए बोला, "मुझे भूख नहीं है l"
शब्द फोन में लग गया और वाणी ने अपने साथ-साथ शब्द के लिए भी उसका फेवरेट खाना आर्डर कर दिया l थोड़ी देर में वेटर ने खाना टेबल पर लगा दिया और शब्द की तरफ कॉफी मग बढ़ाते हुए बोला, " सर योर ब्लैक कॉफी!"
" मैंने आर्डर नहीं की" शब्द ने कहा तो वेटर मुस्कुराकर बोला, "मैम ने की है"
वेटर शब्द के सामने कॉफी रखकर चला गया और शब्द भौहे चढ़ाकर वाणी की तरफ देखने लगा l
"वो आपने भी नाश्ता नहीं किया था ना? इसलिए मैंने आपके लिए भी नाश्ता मंगा लिया l" वाणी ने नजर झुका कर कहा तो शब्द ने अपना फोन किनारे करते हुए टेबल पर देखा l वहां उसका फेवरेट व्हाइट सॉस पास्ता रखा हुआ था l"
"अब इतने मंगा लिया है तो खा लेता हूं l वैसे भी यहां तमाशा नहीं करना चाहिए" ये सोचकर शब्द फ़ोन किनारे रखकर पास्ता खाने लगा l शब्द को खाते देख वाणी भी खुश होकर नाश्ता करने लगी l थोड़ी देर में दोनों ने अपना नाश्ता खत्म कर लिया और फिर दोनों घर के लिए निकल गए l
शब्द वाणी जैसे ही घर आए तो देखा कि वाणी के माता पिता और उसका छोटा भाई वाणी की चोट के बारे में सुनकर उससे मिलने आए हुए थे l अपने माता पिता को देखते ही वाणी की आंखों में आंसू आ गए l वाणी को भावुक होते देख शब्द ने उसे वहीं सोफे पर बैठा दिया और खुद कमरे में आकर कपड़े बदलने लगा l
" कैसी है तू? और ये चोट कैसे लगी तुझे?" वाणी की माँ ने रोते हुए पूछा तो वाणी उनके आंसू पोछते हुए बोल पड़ी, "मैं ठीक हूं माँ और ये तो बस छोटी सी चोट है l डॉक्टर ने भी कहा है कि जल्दी ही ठीक हो जाउंगी l आप रोइये मत प्लीज"
"ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा ना तुझे बेटा?" वाणी के पिता ने पूछा तो वाणी मुस्कुराकर बोली, "नहीं पापा मैं बिल्कुल ठीक हूं l"
"तू सच में ठीक है ना दी? या सिर्फ़ हमें दिखाने के लिए बोल रही है l" इस बार वाणी के छोटा भाई प्रणव ने चिंतित होकर पूछा तो वाणी प्यार से उसके गाल खींचते हुए बोली, "अरे मैं सच में ठीक हूं मेरे गोलू मोलू"
"आई थिंक अब वाणी को उसके माँ पापा से बात करने देते हैं l तब तक किचन में चल कर खाने की तैयारी कर लेते हैं l" मीरा ने तृषा से कहा तो तृषा मुस्कुरा कर बोली, "आप चलिए आंटी! मैं जरा शब्द से वाणी की दवाइयां वगैरह पूछ कर आती हूं l"
"हां मैं तो पूछना ही भूल गई कि क्या बताया डॉक्टर ने? तू एक काम कर तू शब्द को नीचे ही बुला ला l वैसे भी इन दोनों ने सुबह से कुछ नहीं खाया है तो खाना भी खा लेंगे l" मीरा ने कहा तो तृषा "ओके आंटी" कहकर वहां से चली गई और मीरा भी किचन में आकर खाने की तैयारी करने लगी l
मीरा और तृषा के जाते ही वाणी की मां रोते हुए वाणी से पूछने लगी, " बेटा! तू सच-सच बता? कहीं शब्द ने तो कुछ... "
इससे पहले वाणी की मां अपनी बात कह पाती l वाणी घबराकर उन्हें बीच में ही रोकते हुए बोल पड़ी, " कैसी बातें कर रही हैं आप माँ? माना शब्द मुझे अपनी पत्नी नहीं मानते पर वो कभी ऐसी हरकतें भी नहीं करते? "
"कभी-कभी लगता है कि हमने तेरे साथ बहुत नाइंसाफी की है बेटा! तुझे एक ऐसे इंसान के हवाले कर दिया है जिसे तेरी कदर तक नहीं हैl "वाणी के पिता ने उदास होकर कहा तो वाणी उन्हें समझाते हुए बोली,"ऐसा कुछ नहीं है पापा! मैं बहुत खुश हूं l आपने शब्द को देखा पर मां पापा को नहीं देखा? वो कितना प्यार करते हैं मुझसे? बिल्कुल अपनी बेटी की तरह और आपने देखा नहीं अब तो शब्द भी मेरी परवाह करने लगी है l जब से मुझे चोट लगी है, वही तो सब कुछ कर रहे हैं l"
वाणी ने अपने माता पिता को पूरी बात बताई तो वाणी की मां खुश होकर बोली, "अगर ऐसा है,फिर तो बहुत खुशी की बात है l"
" हां! अब तो मेरे दिल का बोझ भी थोड़ा सा हल्का हो गया l बस अब तो ऊपर वाले से यही प्रार्थना है कि तुम दोनों में सब जल्दी से ठीक हो जाए" वाणी के पिता ने भी मुस्कुराकर कहा l
"हो जाएगा पापा! अब मुझे पूरी उम्मीद है l" वाणी ने खुश होकर कहा तो प्रणव उन सबका ध्यान अपनी तरफ खींचते हुए बोला, " अच्छा अब आप सबकी बातें पूरी हो गई हो तो क्या मैं अपनी दीदी से बात कर सकता हूं? "
"मुझे पता है तुझे क्या बात करनी है?" वाणी की मां ने गुस्से में उसके सिर ठोकते हुए कहा l
"आप तो रहने ही दो मां?" प्रणब ने मुंह बनाकर कहा तो वाणी हंसते हुए बोली, "अच्छा अच्छा! तू मुझे बता क्या बात है?"
"देखो ना दीदी! मैं कब से पापा से कह रहा हूं कि मुझे एक बाइक लाकर दे दे?तुझे पता है ना कॉलेज से घर कितना दूर है? मैं ऑटो से जाता हूं तो रोज लेट हो जाता हूं l" प्रणब ने उदास होकर कहा तो वाणी के पिता बोल पड़े, "ये सब इसके बहाने हैं l इसे सिर्फ बाइक पर अपने दोस्तों के साथ घूमना है l वैसे भी तुझे खुद से अकल नहीं है कि मेरे पास अब बिल्कुल भी पैसे नहीं है l प्राइवेट जॉब है मेरी! सब कुछ तो तुम दोनों की पढ़ाई और वाणी की शादी में ही.." कहते कहते वाणी के पिता के भावुक हो गए तो वाणी की आंखों में भी आंसू आ गए पर वो उन्हें छिपाते हुए प्रणब से बोल पड़ी, " तू चिंता मत कर! जब मैं स्कूल टीचर थी तब मैंने थोड़ी सी सेविंग की थी l मैं उससे तुझे बाइक दिला दूंगी l"
"अरे पर वो तो तेरे मेहनत की कमाई है ना और तेरे पापा ठीक कह रहे हैं l इसे बाइक की कोई जरूरत नहीं है" वाणी की मां ने कहा तो वाली उन्हें समझाते हुए बोली, " मां आप जानती हो ना कि हम दोनों को अपनी हैसियत का हमेशा से पता है l हमने कभी भी आपसे कुछ भी फिजूल नहीं मांगा l अगर आज प्रणव बाइक मांग रहा है तो जरूर इसे उसकी जरूरत होगी l"
वाणी की बात सुनकर प्रणव बहुत खुश हो गया और आकर वाणी के गले से लग गया l
" अच्छा बता कितने में आ जाएगी बाइक? " वाणी ने मुस्कुराकर पूछा तो प्रणव कुछ सोचते हुए बोला, "70000 तक की आ जाएगी l"
" पर मेरे पास तो केवल 65 ही है" वाणी ने उदास होकर कहा तो प्रणव झट से बोल पड़ा, "तो क्या हुआ? आप जीजू से ले लो l"