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पार्ट 11

22 अक्टूबर 2021

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ये सोचकर शब्द उलटे पैर कमरे में वापस पहुंच गया और उसने जाते ही वाणी को गोद में उठा लिया l उसकी इस हरकत से वाणी हैरान रह गई l

"जल्दी से नहा लो फिर मुझे ऑफिस भी जाना है l" शब्द वाणी को बाथरूम की तरफ ले जाते हुए बोला l इस बार वाणी ने प्यार से उसके गले में हाथ डाल लिए और मुस्कुराते हुए बोली, "ओके"

कुछ ही देर मे वाणी नहा धोकर तैयार हो गई l उसके तैयार होते ही शब्द ने फिर से उसे अपनी गोद में उठा लिया और वाणी मुस्कुरा कर उसकी तरफ देखते हुए सोचने लगी, " क्या बात है खडूस भी रोमांटिक हो रहे हैं आजकल? जब जरूरत नहीं है तब भी गोद में उठा रहे हैंl"

वाणी की मुस्कुराहट देखकर शब्द मुंह बनाते हुए बोला, "ज्यादा हंसने की जरूरत नहीं है l नाश्ते के लिए लेकर जा रहा हूं l"

शब्द वाणी को गोद में लेकर नाश्ते की टेबल पर आ गया उसे देखकर सारे लोग चुपके से मुस्कुराने लगे l शब्द वाणी को कुर्सी पर बैठाकर नाश्ता करने लगा l तभी अंकिश बोल पड़ा, " मैं सोच रहा हूं आज ऑफिस से छुट्टी ले लूं?"


"क्यों" शब्द ने भौहे चढ़ाकर पूछा l

"यार! क्योकि इस ऑफिस के चक्कर में मैं अपनी फैमिली को बिल्कुल भी टाइम नहीं दे पा रहा हूं इसलिए सोच रहा हूं कि आज मैं तृषा और अनोखी को कहीं घुमाने ले जाऊं?"

" आइडिया अच्छा है बेटा पर क्या तू कल जा सकता है क्योंकि आज मुझे और तेरी आंटी को एक चैरिटी शो के लिए जाना है l" ऋषभ ने कहा तो अंकिश कुछ सोचते हुए बोला, "अंकल दरअसल मैंने सारी बुकिंग कर ली है रेस्टोरेंट मूवी वगैरह की और वैसे भी कल से मुझे घर के रिनोवेशन का काम भी देखना है l"

"हमारा जाना भी बहुत जरूरी है बेटा! मेरी बेस्ट फ्रेंड का शो है और हमें एज अ चीफ गेस्ट बुलाया है l" मीरा ने कहा तो तृषा बोल पड़ी, " कोई बात नहीं आंटी! हम सब आज ही जाते हैं l अविनाश और बाकी के नौकर है ना! वो वाणी का ख्याल रख लेंगे l"

" अरे ऐसे कैसे" शब्द ने कहा तो सब उसे घूर कर देखने लगे l सब को घूरते देख शब्द सभलते हुए बोला, "मेरा मतलब है घर पर कोई मेंबर तो रहना चाहिए ना?अगर कोई रिश्तेदार या दोस्त आ गया तो?"

"हाँ तो वाणी है ना घर पर? वो संभाल लेगी" तृषा ने मुस्कुरा कर कहा l

"और वैसे भी हम ज्यादा दूर नहीं जा रहे हैं l एक कॉल कर देना भाभी! हम आ जाएंगे" अंकिश ने वाणी की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा l

शब्द के पास अब कहने के लिए कुछ नहीं था इसलिए वो सिर्फ "ओके" कह कर मन ही मन सोचने लगा," ये क्या हो गया है मेरे घर वालों को? अभी तो बहुत बेटी बेटी कर रहे थे और अब एक अजनबी के भरोसे छोड़कर जा रहे हैं उसे"

" जब तक हम भाभी का हाथ छोड़ेंगे नहीं, तब तक तू उनका हाथ थामना कैसे सीखेगा?" ये सोचकर अंकिश मुस्कुराते हुए बोला, "चलो तृषा फटाफट तैयार हो जाओ और अनोखी को भी तैयार कर दो l"

शब्द गुस्से में उठकर कमरे में आ गया और सारे लोग किनारे आकर आपस में बातें करने लगे l

"तुझे पक्का यकीन है कि वो ऑफिस नहीं जाएगा?" ऋषभ ने अपनी चिंता जाहिर की तो अंकिश मुस्कुराकर बोला, " मैं शब्द को अच्छे से जानता हूं अंकल! वो कभी किसी को ऐसे मुसीबत में नहीं छोड़ सकता? "

सब बातें कर ही रहे थे कि तब तक शब्द ऑफिस के लिए निकल गया l

"ये तो चला गया" मीरा ने परेशान होकर कहा तो अंकिश मुस्कुराकर बोला, "गया नहीं है,हमारे जाने का इंतजार कर रहा है l"

घर के सारे लोग चिंता मुक्त होकर एक-एक करके निकल गए और शब्द भी गुस्से में ऑफिस आ गया l शब्द ऑफिस आ तो गया पर उसका किसी काम में मन नहीं लग रहा था l उसे रह रह कर वाणी का ख्याल आ रहा था जिसके चलते वो किसी भी काम में फोकस नहीं कर पा रहा था l

"ओ गॉड! ये क्या हो रहा है मुझे? जितना उसके बारे में 6 महीनो में नहीं सोचा उससे ज्यादा इन 6 दिनों में सोच चुका हूं l अभी भी बार-बार उसी का ख्याल आ रहा है l क्या करूं? एक काम करता हूं कॉल कर लेता हूं? कुछ प्रॉब्लम होगी तो बता देगी! नहीं नहीं किसी बहाने से घर ही चला जाता हूं l"

शब्द जैसे ही घर वापस आया तो देखा कि वाणी गंदा सा मुँह बनाकर हॉल मैं बैठी हुई थी और अविनाश किसी से फोन पर बात कर रहा था l शब्द को देखते ही वाणी की आंखों में चमक आ गई और अविनाश भी फोन रखते हुए बोल पड़ा, "अरे तू ऑफिस से जल्दी आ गया?"

" क्यों नहीं आ सकता? " शब्द ने उसे घूरते हुए पूछा तो अविनाश सकपकाते हुए बोला, " अरे नहीं नहीं! मेरा वो मतलब नहीं था l"

"एक फाइल भूल गया था, वही लेने आया हूं l" शब्द ने मुंह बनाकर कहा और इससे पहले अविनाश कुछ कहता वाणी बोल पड़ी, " अच्छा हुआ आप आ गए! जरा मुझे रूम तक ले चलेंगे प्लीज!"

" क्यों तुम्हारा नौकर हूं मैं?" शब्द ने भौहे चढ़ाकर पूछा तो वाणी दुखी स्वर मे बोली, "नहीं.. रहने दीजिये फिर.."

" मैं ले चलूं आपको" अविनाश ने डरते हुए पूछा तो शब्द बिना कुछ कहे उसे घूरने लगा l अविनाश चुपचाप वहां से चला गया l उसके जाते ही शब्द ने वाणी को गोद में उठा लिया और उसे लेकर कमरे में आ गया l

"वो वॉशरूम जाना है मुझे" वाणी ने सकुचाते हुए कहा तो शब्द समझ गया की वाणी इसीलिए मुंह बनाकर बैठी थी l शब्द फिलहाल बिना कुछ कहे उसे बाथरूम में छोड़ आया l फिर कुछ देर बाद उसे वापस लेकर आ गया और बेड पर बिठाते हुए बोला, " अगर वॉशरूम जाना था तो उस अविनाश को नहीं बोल पा रही थी? "

" मैं उसके साथ कंफर्टेबल नहीं थी" वाणी ने नजरे झुकाते हुए कहा l

" अच्छा तो फिर डैड को उसके लिये मना क्यों नहीं किया?" शब्द ने गुस्से में कहा तो वाणी हैरान होकर उसे देखने लगी l

"मेरा मतलब है अगर तुम कंफर्टेबल नहीं थी तो डैड को उसी टाइम मना कर सकती थी ना? वो कोई और रास्ता ढूंढ लेते? अब ऐसे अच्छा थोड़ी लगता है कि वो अपना सारा कामकाज छोड़कर यहां बैठा है?" शब्द ने स्पष्टीकरण दिया तो वाणी मासूमियत से बोल पड़ी, " पर उसके अलावा और कोई रास्ता भी तो नहीं था l"

"हां तो फिर क्यों अंकफर्टबल हो रही हो? उसी से मदद लो ना? मैं जा रहा हूं ऑफिस और उसे यहां भेज देता हूं l" शब्द ने चिढ़ते हुए कहा तो वाणी उदास हो गई l उसका मुरझाया हुआ चेहरा देखकर शब्द रुक गया l

"ये मुंह बनाने की जरूरत नहीं है l तुम्हें ये चोट मेरी वजह से लगी है तो जब तक तुम ठीक नहीं होती,मैं तुम्हारा ख्याल रखूंगा l" शब्द ने कहा तो वाणी बहुत खुश हो गई l शब्द डिब्बे से उसकी दवाई निकलने लगा तो वाणी थोड़ा सा हिचकिचाते हुए बोली, " आपसे एक और बात करनी है? "

" बोलो" शब्द ने कहा l

" मैं जानती हूं आप कभी मुझे अपनी पत्नी नहीं मानेंगे पर क्या हम सिर्फ दोस्त बनकर नहीं रह सकते? आई मीन पिछले 6 महीनों से हम दोनों एक ही घर में एक ही कमरे में रहते हैं पर एक दूसरे को अपनी प्रॉब्लम तक नहीं बता सकते? ऐसा नहीं हो सकता कि कम से कम हम एक दूसरे से अपनी तकलीफ या खुशी शेयर कर पाए" वाणी ने बड़ी हिम्मत करते हुए अपने दिल की भावनाएं जाहिर कर दी l जिस पर शब्द ने सिर्फ़ "ओके" कह दिया l

"सिर्फ़ ओके" वाणी में उदास होकर कहा तो शब्द उसे घूरते हुए बोला, "हां तो तुम क्या चाहती हो दोस्ती पर कोई स्पीच दूं या तुम्हें ये बताऊ कि तुमने ये स्टेप लेकर कितना बड़ा एहसान किया है मुझ पर?"

" आप कभी प्यार से बात नहीं कर सकते?" वाणी ने खींझकर पूछा l

"नहीं! मैं ऐसे ही बात करता हूं l करनी हो तो करो वरना मैं फर्स्ट ऑप्शन के साथ भी बहुत कंफर्टेबल था" शब्द ने चिढ़कर कहा तो वाणी भी सिर्फ़ ओके कहकर मन ही मन सोचने लगी, " ऐसे तो कोई प्रॉब्लम क्या? खुशी भी नहीं शेयर कर पाएगा l"

" मेरे दिल में इसके लिए कोई जगह नहीं है और ना ही मैं बनने दूंगा" ये सोचते हुए शब्द ने वाणी को दवाई पकड़ा दी और फिर कमरे से बाहर चला गया l

रात के 12:00 बज रहे थे l वाणी आराम से सोई हुई थी पर आज फिर से शब्द की नींद उड़ी हुई थी l वो लगातार वाणी को देखे जा रहा था और उसके दिल में कई तरह के ख्याल आ रहे थे l

" मैं जो भी कर रहा हूं ठीक तो कर रहा हूं ना?कहीं मैं सच में अपनी किस्मत की सजा  इसे तो नहीं दे रहा? क्रिस्टल मेरी किस्मत मे नहीं थी इसलिए वो मुझे नहीं मिली पर उसमें इसकी तो कोई गलती नहीं है l ज्यादा कुछ नहीं तो कम से कम दोस्त तो बन ही सकता हूं इसका? और दोस्त भी नहीं तो कम से कम प्यार से बात तो कर ही सकता हूं? इतना तो डिस्टर्ब करती है ये"

शब्द अभी भी सोच में डूबा हुआ था कि तभी अचानक वाणी की आंख खुल गई l उसे जगा हुआ देखकर शब्द ने अपनी नजरें उस पर से हटा ली l

" क्या हुआ? आप सोए नहीं अभी तक? कोई बात है क्या? " वाणी ने उठकर बैठते हुए पूछा l

" नहीं बस मुझे नींद नहीं आ रही है" शब्द ने जवाब दिया l

" नींद क्यों नहीं आ रही? कोई टेंशन है क्या? मुझे बताइए? " वाणी ने अपनेपन से पूछा तो शब्द इधर उधर देखते हुए बोला, "नहीं कोई टेंशन नहीं है! बस ऐसे ही आजकल काम ज्यादा नहीं है इसलिए थकान नहीं हो रही l तुम सो जाओ! मैं थोड़ी देर में सो जाऊंगा"

" मुझे भी दोबारा इतनी जल्दी नींद नहीं आएगी" वाणी ने मुस्कुराकर कहा तो शब्द मुंह बनाकर बोला, "ठीक है! तो फिर तुम भी जगो"

" हम कुछ इंटरेस्टिंग करें क्या" वाणी ने डरते हुए पूछा तो शब्द उसे आंखें दिखाकर बोला, "एक्सक्यूज मी"

"मेरा मतलब है कि हम थोड़ी देर के लिए छत पर चले क्या?वहां चांदनी रात और ठंडी हवा में बैठेंगे तो मन और शरीर दोनो को आराम मिलेगा l" वाणी ने मुस्कुरा कर कहा और इस बार उसका आईडिया शब्द को पसंद भी आया l उसने बिना देरी किए वाणी को गोद में उठा लिया और फिर दोनों आकर छत पर लगे झूले पर बैठ गए l

" कितना सुंदर लग रहा है ना ये चांद" वाणी ने मुस्कुराकर चांद की तरफ देखते हुए पूछा तो शब्द जो लगातार वाणी की तरफ ही देख रहा था मुस्कुराते हुए बोल पड़ा, "हाँ! बहुत सुंदर लग रहा है l"

" आप इससे पहले आए हैं कभी इस तरह छत पर" वाणी ने शब्द की तरफ देखकर पूछा l


"नहीं.. कभी वक़्त ही नहीं मिला इस चाँद को इतनी फुरसत से देखने का" शब्द वाणी पर से अपनी नज़रे हटाकर चाँद की तरफ देखते हुए बोला l

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