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pati patni aur woh

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गुफ़्तुगू...! अपने आशियाने की गरिमा है तुम्हारे मौन में दबी असंख्य अहसासों की गूँज, क्या मन नहीं करता तुम्हारा की इस मौन के किल्ले को तोड़ कर अपने अंदर छुपी हर अच्छी बुरी संवेदना को बाँट कर नीज़ात पा लो..!चलो आज तुम मेरे सारे सुख बाँट लो मैं तुम्हारे सारे गम बाँट लूँ..स

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